Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhyaprajnapti Sutra Part 01 Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Shreechand Surana
Publisher: Padma Prakashan
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[उ. ] गोयमा ! आणुपुव्विं कडा कज्जति नो अणाणुपुव्विं कडा कज्जति । जा य कडा, जा य कज्जति,
जस्सति सव्वा सा आणुपुव्विकडा, नो अणाणुपुव्विकड त्ति वत्तव्यं सिया ।
[प्र.५] भगवन् ! जो क्रिया की जाती है, वह क्या आनुपूर्वी - अनुक्रमपूर्वक (एक के पश्चात्
दूसरी) की जाती है, या बिना अनुक्रम से की जाती है ?
[ उ. ] गौतम ! वह अनुक्रमपूर्वक की जाती है, किन्तु बिना अनुक्रम से नहीं की जाती। जो क्रिया की गई है, या जो क्रिया की जा रही है, अथवा जो क्रिया की जायेगी, वह सब अनुक्रमपूर्वक कृत है। किन्तु बिना अनुक्रमपूर्वक कृत नहीं है, ऐसा कहना चाहिए।
[Q. 5] Bhante ! Is that activity performed in a sequence (anupurvi) or without a sequence (ananupurvi) ?
[Ans.] Gautam ! It is performed in a sequence and not without a sequence. The activity which has been performed, that which is being performed or that which will be performed, all these follow a sequence and are not without a sequence. This is how it must be stated.
८. [ प्र. १ ] अत्थि णं भंते ! नेरइयाणं पाणातिवायकिरिया कज्जति ?
[उ. ] हंता, अत्थि ।
[प्र.२ ] सा भंते! किं पुट्ठा कज्जति ? अपुट्ठा कज्जति ?
[उ. ] जाव नियमा छद्दिसिं कज्जति ।
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[प्र. ३ ] सा भंते ! किं कडा कज्जति ? अकडा कज्जति ?
[उ. ] तं चैव जाव नो अणाणुपुव्विं कड त्ति वत्तव्वं सिया । ८. [ प्र. १ ] भगवन् ! क्या नैरयिकों द्वारा प्राणातिपात क्रिया की जाती है।
[उ.] हाँ, गौतम ! की जाती है।
[प्र. २ ] भगवन् ! नैरयिकों द्वारा जो क्रिया की जाती है, वह स्पृष्ट की जाती है या अस्पृष्ट की जाती है।
[ उ.] गौतम ! वह यावत् नियम से छहों दिशाओं में की जाती है।
[प्र. ३ ] भगवन् ! नैरयिकों द्वारा जो क्रिया की जाती है, वह क्या कृत है अथवा अकृत है ?
[उ. ] वह पहले की तरह जानना चाहिए, यावत् - वह अनुक्रमपूर्वक कृत है, बिना अनुक्रम कृत नहीं; ऐसा कहना चाहिए।
8. [Q.1] Bhante ! Do infernal beings indulge in the act of killing (pranatipat ) ?
[Ans.] Yes, Gautam ! They do.
भगवतीसूत्र (१)
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Bhagavati Sutra (1)
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