Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhyaprajnapti Sutra Part 01 Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Shreechand Surana
Publisher: Padma Prakashan
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- अस्तित्व-नास्तित्व परिणमन EXISTENCE AND NON-EXISTENCE
७. [प्र. १ ] से नूणं भंते ! अत्थित्तं अत्थित्ते परिणमइ, नत्थित्तं नत्थित्ते परिणमति ? [उ. ] हंता, गोयमा ! जाव परिणमति।
७. [प्र. १ ] भगवन् ! क्या अस्तित्व अस्तित्व में परिणत होता है तथा नास्तित्व नास्तित्व में परिणत होता है?
[उ. ] हाँ, गौतम ! अस्तित्व अस्तित्व में परिणत होता है और नास्तित्व नास्तित्व में परिणत होता है।
7. [Q. 1] Bhante ! Does condition of existence (astitva) transform (parinat) into condition of existence and condition of non-existence (anastitva) transform into condition of non-existence ?
(Ans.) Yes, Gautam ! Condition of existence transforms into condition of existence and condition of non-existence transforms into condition of non-existence.
[प्र. २ ] जं तं भंते ! अत्थित्तं अत्थित्ते परिणमति, नत्थित्तं नत्थित्ते परिणमति तं किं पयोगसा; वीससा? [उ. ] गोयमा ! पयोगसा वि तं, वीससा वि तं।
[प्र. २ ] भगवन् ! वह जो अस्तित्व अस्तित्व में परिणत होता है और नास्तित्व नास्तित्व में परिणत होता है, सो क्या वह प्रयोग (जीव के व्यापार या प्रयत्न) से परिणत होता है अथवा स्वभाव से ?
[उ. ] गौतम ! वह प्रयोग से भी परिणत होता है और स्वभाव से भी परिणत होता है।
(Q. 2] Bhante ! Is this transformation of condition of existence into state of existence and condition of non-oxistence into state of nonexistence induced or natural ?
(Ans.] Gautam ! This transformation is induced as well as natural. ॐ [प्र. ३ ] जहा ते भंते ! अत्थित्तं अत्थित्ते परिणमइ तहा ते नत्थित्तं नत्थित्ते परिणमति ? जहा ते
नत्थित्तं नत्थित्ते परिणमति तहा ते अत्थित्तं अत्थित्ते परिणमति ? ___ [उ. ] हंता, गोयमा ! जहा मे अस्थित्तं अस्थित्ते परिणमति तहा मे नत्थित्तं नत्थित्ते परिणमति, जहा मे नत्थित्तं नत्थित्ते परिणमति तहा मे अत्थित्तं अत्थित्ते परिणमति।
[प्र. ३ ] भगवन् ! जैसे आपके मत से अस्तित्व अस्तित्व में परिणत होता है, उसी प्रकार नास्तित्व नास्तित्व में परिणत होता है? और जैसे आपके मत से नास्तित्व नास्तित्व में परिणत होता है, उसी के प्रकार अस्तित्व अस्तित्व में परिणत होता है ? E [उ.] गौतम ! जैसे मेरे मत से अस्तित्व अस्तित्व में परिणत होता है, उसी प्रकार नास्तित्व 卐 नास्तित्व में परिणत होता है और जिस प्रकार मेरे मत से नास्तित्व नास्तित्व में परिणत होता है; उसी
प्रकार अस्तित्व अस्तित्व में परिणत होता है। | भगवतीसूत्र (१)
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