Book Title: Agam 03 Ang 03 Sthanang Sutra Part 01 Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Shreechand Surana
Publisher: Padma Prakashan

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Page 330
________________ 25555 5 5 5 5 5 555 5555 5 5 55 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 55 555 5952 फ्र फ्र 5 विदिशाओं में प्राकार ( परकोटा) से घिरे होते हैं तथा उनको एक द्वार होता है। फ 卐 फ्र 卐 (१) जो विमान वृत्त होते हैं वे खिले हुए कमल के आकार के गोलाकार होते हैं, सर्व दिशाओं और 卐 251. Vimaan (celestial vehicle) has three kinds of samsthan 5 (structure; shape ) — ( 1 ) vritta (circular), (2) trikone (triangular), and (२) जो विमान त्रिकोणाकार होते हैं वे सिंघाड़े के आकार में होते हैं, दो ओर से परकोटे से घिरे हुए तथा एक ओर से वेदिका से घिरे होते हैं तथा उनके तीन द्वार होते हैं। 卐 (३) जो विमान चतुष्कोण होते हैं वे अखाड़े या चौपड़ के आकार के होते हैं, सर्व दिशाओं और विदिशाओं में वेदिकाओं से घिरे होते हैं तथा वे चार द्वार वाले होते हैं। (3) chatushkone (square or quadrangular). (1) The circular vimaans resemble the shape of a blooming lotus. They are fully surrounded by a parapet wall and have one gate. (2) The triangular vimaans resemble the shape of a singhada (water- 5 chestnut). They are surrounded by a parapet wall on two sides and a 5 vedika (raised platform) on the third. They have three gates. 卐 (3) The square or quadrangular vimaans resemble the shape of a boxing-ring or a chess board. They are surrounded by vedikas (raised platforms) in all cardinal and intermediate directions. They have four gates. २५२. तिपतिट्ठिया विमाणा पण्णत्ता, तं जहा - घणोदधिपइट्ठिता, घणवातपइट्ठिता, ओवासंतरपट्ठिता । २५३ . तिविहा विमाणा पण्णत्ता, तं जहा - अवट्ठिता, वेउव्विता, पारिजाणिया । २५२. विमान त्रिप्रतिष्ठित (तीन आधारों से अवस्थित ) होते हैं - घनोदधि - प्रतिष्ठित, घनवातप्रतिष्ठित और अवकाशान्तर - ( आकाश - ) प्रतिष्ठित । २५३. विमान तीन प्रकार के होते हैं (१) अवस्थित - देवताओं के स्थायी निवास वाले । (२) वैक्रिय - भोगादि के लिए बनाये गये अस्थायी । (३) पारियानिक - मध्यलोक में आने-जाने हेतु यातायात के लिए बनाये गये । 252. Vimaans rest on three kinds of bases-(1) ghanodadhi फ pratishthit (resting on dense water ), ( 2 ) ghanavaat-pratishthit (resting on dense air), and ( 3 ) avakashantar-pratishthit (resting in empty space). 253. Vimaans are of three kinds-(1) avasthit-the permanent abodes of gods, (2) vaikriya-temporary, its means made for entertainment and 5 enjoyments, and (3) paariyanik - made for commuting to the middle world. फ्र स्थानांगसूत्र (१) फफफफफफफफफफफ (258) Jain Education International Sthaananga Sutra (1) For Private & Personal Use Only ****************தமிதமிமிமிமிமி***********திது 卐 www.jainelibrary.org

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