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३५२. प्रायश्चित्त (ज्ञान, दर्शन एवं चारित्र की विशुद्धि के लिए किया जाने वाला प्रायश्चित्त) तीन प्रकार का है - ( १ ) ज्ञानप्रायश्चित्त, (२) दर्शनप्रायश्चित्त, और (३) चारित्रप्रायश्चित्त ।
352. Prayashchit (atonement) is of three kinds- (1) jnana- prayaschit 5 (atonement related to knowledge), (2) darshan-prayaschit (atonement 5 related to perception/faith), and (3) chaaritra-prayaschit related to conduct).
३५३. तओ अणुग्धातिमा पण्णत्ता, तं जहा - हत्थकम्मं करेमाणे, मेहुणं सेवेमाणे, राईभोयणं भुंजमाणे ।
३५३. तीन अनुद्घात्य (गुरु या कठोर प्रायश्चित्त के भागी) होते हैं - (१) हस्त - कर्म करने वाला, (२) मैथुन सेवन करने वाला, और (३) रात्रिभोजन करने वाला ।
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३५४. तीन पारंचित प्रायश्चित्त (संघ से बहिष्कृत करने योग्य प्रायश्चित्त) के भागी होते हैं(१) दुष्ट पारांचित (तीव्रतम कषाय दोष से दूषित तथा विषयदुष्ट साध्वी ), ( २ ) प्रमत्त पारांचित (स्त्यानद्धि 'निद्रा वाला), और (३) अन्योन्य (समलैंगिक) मैथुन सेवन करने वाला |
353. Three are anudghatya (those who deserve heavy or rigorous 5 atonement)—(1) who do amorous by activity, (2) who indulge in sexual act, and (3) who eat during night.
३५५. तओ अणवट्ठप्पा पण्णत्ता, तं जहा- साहम्मियाणं तेणियं करेमाणे, अण्णधम्मियाणं तेणियं करेमाणे, हत्थातालं दलयमाणे ।
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३५४. तओ पारंचिता पण्णत्ता, तं जहा दुट्टे पारंचिते, पमत्ते पारंचिते, अण्णमण्णं करेमाणे 5 पारंचिते ।
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355. Three are anavasthapya (those who deserve to be re-initiated after specified austerities ) - ( 1 ) who steal from a co-religionist, ( 2 ) who steal from people following other religions, and (3) who give fatal blow.
विवेचन- किस प्रकार के दोष सेवन से कौन-सा प्रायश्चित्त दिया जाता है, इसका विशद विवेचन बृहत्कल्प आदि छेदसूत्रों में देखना चाहिए।
तृतीय स्थान
354. Three are paranchit (those who deserve atonement by being expelled from the organization ) - ( 1 ) dusht - paranchit — female ascetic intoxicated by intense passions and lust, (2) pramatt-paranchit—ascetic instyanagriddhi - nidra ( comatose state), and (3) anyonya-paranchit— 5 who indulges in sodomy.
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३५५. तीन अनवस्थाप्य प्रायश्चित्त - ( तपस्यापूर्वक पुनः दीक्षा) के योग्य होते हैं - (१) साधर्मिकों की चोरी करने वाला, (२) अन्यधार्मिकों की चोरी करने वाला, और (२) हस्तताल देने वाला ( मारक क प्रहार करने वाला) ।
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