Book Title: Agam 03 Ang 03 Sthanang Sutra Part 01 Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Shreechand Surana
Publisher: Padma Prakashan

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Page 537
________________ C தததகக*****ழ************************* reincarnates as a human being. (4) A man dying when under the influence of maan (ego) like tinish-lata stambh reincarnates in divine dimension. लोभ - पद LOBH-PAD (SEGMENT OF GREED ) २८४. चत्तारि वत्था पण्णत्ता, तं जहा - किमिरागरत्ते, कद्दमरागरत्ते, खंजणरागरत्ते, हलिद्दरागरत्ते । एवामेव उव्विहे लोभे पण्णत्ते, तं जहा - किमिरागरत्तवत्थसमाणे, कद्दमरागरत्तवत्थसमाणे, खंजणरागरत्तवत्थसमाणे, हलिद्दरागरत्तवत्थसमाणे । १. किमिरागरत्तवत्थसमाणं लोभमणुपविट्टे जीवे कालं करेइ, णेरइएसु उववज्जइ । २. तहेव जाव [कद्दमरागरत्तवत्थसमाणं लोभमणुपविट्टे जीवे कालं करेइ, तिरिक्खजोणिएसु उववज्जइ । ३. खंजणरागरत्तवत्थसमाणं लोभमणुपविट्टे जीवे कालं करेइ, मणुस्सेसु उववज्जइ । ] ४. हलिद्दरागरत्तवत्थसमाणं लोभमणुपविट्टे जीवे कालं करेइ, देवेसु उववज्जइ । 45 55 5 5 5 5 95 95 95 95 9 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 555 卐 फ्र २८४. वस्त्र चार प्रकार के होते हैं - ( १ ) कृमिरागरक्त-कृमियों के रक्त से या किर्मिजी रंग से रंगा हुआ वस्त्र, (२) कर्दमरागरक्त कीचड़ से रंगा हुआ, (३) खञ्जनरागरक्त - काजल के रंग से रंगा हुआ, फ और (४) हरिद्रारागरक्त - हल्दी के रंग से रंगा हुआ । (453) Jain Education International 卐 इसी प्रकार लोभ भी चार प्रकार का होता है - (१) कृमिरागरक्त वस्त्र के समान अत्यन्त कठिनाई से छूटने वाला अनन्तानुबन्धी लोभ, यावत् [ ( २ ) कर्दमरागरक्त वस्त्र के समान कठिनाई से छूटने वाला 5 अप्रत्याख्यानावरण लोभ, (३) खञ्जनरागरक्त वस्त्र के समान स्वल्प कठिनाई से छूटने वाला प्रत्याख्यानावरण लोभ ], और (४) हरिद्रारागरक्त वस्त्र के समान सरलता से छूटने वाला संज्वलन लोभ । फफफफफफफफफफफफफफ 卐 Fourth Sthaan For Private & Personal Use Only 卐 (१) कृमिरागरक्त वस्त्र के समान लोभ में प्रवर्तमान जीव काल करके नारक में उत्पन्न होता है, यावत् [ (२) कर्दमरागरक्त वस्त्र के समान लोभ वाला तिर्यग्योनिकों में, (३) खञ्जनरागरक्त वस्त्र के समान लोभ वाला मनुष्यों में], और (४) हरिद्रारागरक्त वस्त्र के समान लोभ वाला जीव काल करके 5 देवों में उत्पन्न होता है। 卐 फ्र 284. Vastra (cloth) are of four kinds – (1) krimiragarakt-coloured 5 with blood of worms or with kirmichi (blood-red ) colour, (2) 5 kardamaragarakt-coloured with slime, (3) kardamaragarakt-coloured with soot, and (4) haridraragarakt vastra-coloured with turmeric. 卐 फ Lobh (greed) is of four kinds – (1) Like krimiragarakt—extremely 5 hard to remove anantanubandhi lobh unending greed. (2) Like kardamaragarakt vastra-very hard to remove apratyakhyanavaran lobh. (3) Like khanjanaragarakt vastra-hard to pratyakhyanavaran lobh. (4) Like haridraragaraht vastra-a little hard to remove sanjualan lobh. remove चतुर्थ स्थान 卐 卐 卐 www.jainelibrary.org

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