Book Title: Agam 03 Ang 03 Sthanang Sutra Part 01 Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Shreechand Surana
Publisher: Padma Prakashan

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Page 567
________________ a5F听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听u 卐5555555555555555) पर्वत, (२) दक्षिण-पूर्व दिशा का रतिकर पर्वत, (३) दक्षिण-पश्चिम दिशा का रतिकर पर्वत, (४) उत्तर-पश्चिम दिशा का रतिकर पर्वत। वे रतिकर पर्वत एक हजार योजन ऊँचे और एक हजार कोस गहरे हैं। ऊपर. मध्य औ अधोभाग में सर्वत्र समान विस्तार वाले हैं। वे झालर के आकार से अवस्थित हैं, अर्थात् गोलाकार हैं। उनका विस्तार दस हजार योजन और परिधि इकतीस हजार छह सौ तेईस (३१,६२३) योजन है। ॐ वे सर्वरत्नमय, स्वच्छ यावत् रमणीय हैं। 344. In the middle of the chakraval vishkambh (circular area) of Nandishvar Dveep there are four Ratikar parvats (areas of entertainment akin to hill-station) in the four intermediate directions(1) north-eastern Ratikar Parvat, (2) south-eastern Ratikar Parvat, (3) south-western Ratikar Parvat, and (4) north-western Ratikar Parvat. The height of these Ratikar Parvats is one thousand Yojans (a unit of eight miles) and depth from the ground level is one thousand Kos (a unit of two miles). Their expanse is uniform at the bottom, middle and top. There shape is round (cylindrical) like jhalar (cymbals). Their length and breadth is ten thousand Yojans. Their circumference thirty one thousand six hundred twenty three (31,623) Yojans. They are gem studded ...and ___so on up to... and extremely pleasing. ३४५. तत्थ णं जे से उत्तरपुरथिमिल्ले रतिकरगपव्वते, तस्स णं चउद्दिसिं ईसाणस्स देविंदस्स देवरण्णो चउण्हमग्गमहिसीणं जंबुद्दीवपमाणाओ चत्तारि रायहाणीओ पण्णत्ताओ, तं जहा-णंदुत्तरा, णंदा, उत्तरकुरा, देवकुरा। कण्हाए, कण्हराईए, रामाए, रामरक्खियाए। ३४५. उनमें जो उत्तर-पूर्व दिशा का रतिकर पर्वत है, उसकी चारों दिशाओं में देवराज ईशान ॐ देवेन्द्र की चार अग्रमहिषियों-(१) कृष्णा, (२) कृष्णराजिका, (३) रामा, (४) रामरक्षिता की जम्बूद्वीप प्रमाण वाली-एक लाख योजन विस्तृत चार राजधानियाँ हैं, उनके नाम हैं-(१) नन्दोत्तरा, (२) नन्दा, (३) उत्तरकुरा, (४) देवकुरा। 345. In all the four directions of the north-eastern Ratikar Parvat there are four capital cities of the four Agramahishis (chief queens) of king of gods Ishaan Devendra-(1) Krishnaa, (2) Krishnarajika, (3) Rama, and (4) Ramarakshita. These capital cities are of the size of Jambu Dveep (one hundred thousand Yojans in area) and th are-(1) Nandottara, (2) Nanda, (3) Uttarakura, and (4) Devakura. ३४६. तत्थ णं जे से दाहिणपुरथिमिल्ले रतिकरगपव्वते, तस्स णं चउद्दिसिं सक्कस्स देविंदस्स देवरण्णो चउण्हमग्गमहिसीणं जंबुद्दीवपमाणाओ चत्तारि रायहाणीओ पण्णत्ताओ, ॐ तं जहा-समणा, सोमणसा, अच्चिमाली, मणोरमा। पउमाए, सिवाए, सतीए, अंजूए। 845555555555555555555555555555)))))))))))) | चतुर्थ स्थान (483) Fourth Sthaan Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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