Book Title: Agam 03 Ang 03 Sthanang Sutra Part 01 Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Shreechand Surana
Publisher: Padma Prakashan

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Page 592
________________ ) ) )) )) )) ) ))) ))) %%%%%%%%%% %%%%%%%% %%%%%%% %%%% %%%%% % In the same way purush (men) are of four kinds(1) Some purush (man) is yojak (one who engages others in good deeds) and not viyojak (one who disengages others from bad deeds). [(2) Some purush (inan) is 5 viyojak (one who disengages) and not yojak (one who engages). (3) Some purush (man) is yojak (one who engages) as well as viyojak (one who disengages). (4) Some purush (man) is neither yojak (one who engages) nor viyojak (one who disengages)]. युक्त-अयुक्त-अश्व-पद YUKTA-AYUKTA-ASHVA-PAD (SEGMENT OF EQUIPPED AND NON-EQUIPPED HORSE) ३८०. चत्तारि हया पण्णत्ता, तं जहा-जुत्ते णाममेगे जुत्ते, जुत्ते णाममेगे अजुत्ते, [ अजुत्ते । णाममेगे जुत्ते, अजुत्ते णाममेगे अजुत्ते ]। ___ एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा–जुत्ते णाममेगे जुत्ते, [जुत्ते णाममेगे अजुत्ते, अजुत्ते णाममेगे जुत्ते, अजुत्ते णाममेगे अजुत्ते ]। ३८१. एवं जुत्तपरिणते, जुत्तरूवे, जुत्तसोभे, सव्वेसिं पडिवक्खो पुरिसजाता। [चत्तारि हया , पण्णत्ता, तं जहा-जुत्ते णाममेगे जुत्तपरिणते, जुत्ते णाममेगे अजुत्तपरिणते, अजुत्ते णाममेगे जुत्तपरिणते, अजुत्ते णाममेगे अजुत्तपरिणते। ___ एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा-जुत्ते णाममेगे जुत्तपरिणते, जुत्ते णाममेगे अजुत्तपरिणते, अजुत्ते णाममेगे जुत्तपरिणते, अजुत्ते णाममेगे अजुत्तपरिणते ]। __३८२. एवं जहा हयाणं तहा गयाण वि भाणियव्वं, पडिवक्खे तहेव पुरिसजाता। [ चत्तारि हया पण्णत्ता, तं जहा-जुत्ते णाममेगे जुत्तरूवे, जुत्ते णाममेगे अजुत्तरूवे, अजुत्ते णाममेगे जुत्तरूवे, अजुत्ते । णाममेगे अजुत्तरूवे। ज एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा-जुत्ते णाममेगे जुत्तरूवे, जुत्ते णाममेगे अजुत्तरूवे, अजुत्ते णाममेगे जुत्तरूवे, अजुत्ते णाममेगे अजुत्तरूवे ]। जी ३८३. [ चत्तारि हया पण्णत्ता, तं जहा-जुत्ते णाममेगे जुत्तसोभे, जुत्ते णाममेगे अजुत्तमोभे, + अजुत्ते णाममेगे जुत्तसोभे, अजुत्ने णाममेगे अजुत्तसोभे। एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा-जुत्ते णाममेगे जुत्तसोभे, जुत्ते णाममेगे है अजुत्तसोभे, अजुत्ते णाममेगे जुत्तसोभे, अजुत्ते णाममेगे अजुत्तसोभे ] ॐ ३८०. घोड़े चार प्रकार के होते हैं-(१) कोई घोड़ा जीन-पलान से युक्त और वेगयुक्त भी होता है; (२) कोई जीन-पलान से युक्त, किन्तु वेगयुक्त नहीं होता; (३) कोई जीन-पलान से अयुक्त, किन्तु ॐ वेगयुक्त; और (४) कोई न जीन-पलान से युक्त और न वेग से ही युक्त होता है। )) ) 5555555555555555555555555555555555))))) )))) )) ))) )))) ) 9 स्थानांगसूत्र (१) (506) Sthaananga Sutrc (1) फ़ फ़ फ़ फ़फ़)))))))))))))5555555555 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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