Book Title: Agam 03 Ang 03 Sthanang Sutra Part 01 Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Shreechand Surana
Publisher: Padma Prakashan

View full book text
Previous | Next

Page 602
________________ 85555555听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听 __ ३९९. (१०) [ चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा-कुलसंपण्णे णाममेगे णो सीलसंपण्णे, । सीलसंपण्णे णाममेगे णो कुलसंपण्णे, एगे कुलसंपण्णेवि सीलसंपण्णेवि, एगे णो कुलसंपण्णे णो ! सीलसंपण्णे ] ४००. (११) [चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा-कुलसंपण्णे णाममेगे णो चरित्तसंपण्णे, ॐ चरित्तसंपण्णे णाममेगे णो कुलसंपण्णे, एगे कुलसंपण्णेवि चरित्तसंपण्णेवि, एगे णो कुलसंपण्णे णो ! चरित्तसंपण्णे ] ३९६. (७) पुरुष चार प्रकार के होते हैं-(१) कोई कुलसम्पन्न होता है, किन्तु बलसम्पन्न नहीं; (२) कोई बलसम्पन्न होता है, किन्तु कुलसम्पन्न नहीं; (३) कोई कुलसम्पन्न भी और बलसम्पन्न भी; और (४) कोई न कुलसम्पन्न और न बलसम्पन्न होता है। ___ ३९७. (८) पुरुष चार प्रकार के होते हैं-(१) कोई कुलसम्पन्न होता है, किन्तु रूपसम्पन्न नहीं; (२) कोई रूपसम्पन्न होता है, कुलसम्पन्न नहीं; (३) कोई कुलसम्पन्न भी होता है और रूपसम्पन्न भी; तथा (४) कोई न कुलसम्पन्न होता है और न रूपसम्पन्न ही होता है। __३९८. (९) पुरुष चार प्रकार के होते हैं-(१) कोई कुलसम्पन्न होता है, किन्तु श्रुतसम्पन्न नहीं; (२) कोई श्रुतसम्पन्न होता है, किन्तु कुलसम्पन्न नहीं; (३) कोई कुलसम्पन्न भी और श्रुतसम्पन्न भी; और (४) कोई न कुलसम्पन्न और न श्रुतसम्पन्न ही होता है। ३९९. (१०) पुरुष चार प्रकार के होते हैं-(१) कोई कुलसम्पन्न होता है, किन्तु शीलसम्पन्न नहीं; (२) कोई शीलसम्पन्न होता है, किन्तु कुलसम्पन्न नहीं; (३) कोई कुलसम्पन्न भी होता है और शीलसम्पन्न ॐ भी; और (४) कोई न कुलसम्पन्न और न शीलसम्पन्न होता है। ४००. (११) पुरुष चार प्रकार के होते हैं-(१) कोई कुलसम्पन्न होता है, किन्तु चरित्रसम्पन्न नहीं; ॐ (२) कोई चरित्रसम्पन्न होता है, किन्तु कुलसम्पन्न नहीं; (३) कोई कुलसम्पन्न भी और चरित्रसम्पन्न भी; और (४) कोई न कुलसम्पन्न और न चरित्रसम्पन्न ही होता है। 396. (7) Purush (men) are of four kinds—(1) Some man is kula sampanna (of good paternal lineage) and not bal sampanna (strong). (2) Some man is bal sampanna and not kula sampanna. (3) Some man is both kula sampanna and bal sampanna. (4) Some man is neither kula 卐 sampanna nor bal sampanna. 397. (8) Purush (men) are of four kinds—(1) Some man is kula 15 sampanna (of good paternal lineage) and not rupa sampanna (beautiful). (2) Some man is rupa sampanna and not kula sampanna. (3) Some man is both kula sampanna and rupa sampanna. (4) Some man is neither kula sampanna nor rupa sampanna. | स्थानांगसूत्र (१) (516) Sthaananga Sutra (1) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 600 601 602 603 604 605 606 607 608 609 610 611 612 613 614 615 616 617 618 619 620 621 622 623 624 625 626 627 628 629 630 631 632 633 634 635 636 637 638 639 640 641 642 643 644 645 646 647 648 649 650 651 652 653 654 655 656 657 658 659 660 661 662 663 664 665 666 667 668 669 670 671 672 673 674 675 676 677 678 679 680 681 682 683 684 685 686 687 688 689 690 691 692 693 694 695 696