Book Title: Agam 03 Ang 03 Sthanang Sutra Part 01 Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Shreechand Surana
Publisher: Padma Prakashan

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Page 617
________________ 55555555555555555555555555555555555555;)))))))))) (४) [ ओमराइणिए समणोवासए अप्पकम्मे अप्पकिरिए आतावी समिते धम्मस्स आराहए भवति । ॐ महाकर्म-अल्पकर्म-श्रमणोपासिका-पद MAHATKARMA-ALPAKARMA-SHRAMANOPASIKA-PADS (SEGMENT OF ASCETICS WITH LONG AND SHORT DURATION OF KARMAS) ४२९. चत्तारि समणोवासियाओ पण्णत्ताओ, तं जहा- . (१) राइणिया समणोवासिता महाकम्मा तहेव चत्तारि गमा। ४२८. श्रमणोपासक चार प्रकार के होते हैं-(१) कोई रात्निक श्रमणोपासक महाकर्मा (भारी कर्मों वाला), महाक्रिय, अनातापी और असमित होने के कारण अर्थात् श्रावक जीवन में आने वाले कष्टों को सहने में असमर्थ एवं श्रावकाचार के प्रति उदासीन रहकर स्वधर्म में निष्ठावान नहीं होता। अतः धर्म का ॐ अनाराधक होता है। (२) कोई रात्निक श्रमणोपासक अल्पकर्मा, अल्पक्रिय, आतापी और समित होने के कारण धर्म का आराधक होता है। म (३) कोई अवमरात्निक (अल्पकालिक श्रावकपर्याय वाला) श्रमणोपासक महाकर्मा, महाक्रिय, अनातापी और असमित होने के कारण धर्म का अनाराधक होता है। (४) कोई अवमरालिक श्रमणोपासक अल्पकर्मा, अल्पक्रिय, आतापी और समित होने के कारण धर्म का आराधक होता है। ४२९. श्रमणोपासिकाएँ चार प्रकार की होती हैं-(१) कोई रात्निक श्रमणोपासिका, महाकर्मा, महाक्रिय, अनातापिनी और असभित होने के कारण धर्म की अनाराधिका होती है। (सूत्र ४२८ की ऊ तरह चार भंग समझने चाहिए। श्रमणोपासक के स्थान पर श्रमणोपासिका कहें।) 428. Shramanopasaks (male devotees of ascetics) are of four kinds— 41 (1) In spite of being a ratnik (senior in terms of period of initiation) some Shramanopasak is dharma-anaradhak (religious transgressor; one who does not properly follow the religious path) because of being mahakarma 4. (having long lasting bondage of karmas), mahakriya (one who indulges in rigorous penance for a long period), anataapi (devoid of austerities) and asamit (devoid of samitis or self-regulation). In other words, failing to endure the rigours of religious life he becomes apathetic to the right conduct, loses faith in his religion and becomes a transgressor. (2) Some ratnik Shramanopasak is dharma-aradhak (one who ti immaculately follows the religious path) because of being alpakarma $i (having short lived bondage of karmas), alpakriya (one who indulges in 555555555555555555555555555555)55555555555555558 चतुर्थ स्थान (531) Fourth Sthaan 8555555555555555555%$$$$$$$$$$$$$$ 553 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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