Book Title: Agam 03 Ang 03 Sthanang Sutra Part 01 Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Shreechand Surana
Publisher: Padma Prakashan

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Page 651
________________ 步步步步步步步步步步步步步步步步步步步步步步步步步步步步步步步步步步 ) ) ) )) ) )) ) )) )) ज इसी प्रकार पुरुष भी चार प्रकार के होते हैं-(१) जातिसम्पन्न, किन्तु रूपसम्पन्न नहीं। (२), रूपसम्पन्न, किन्तु जातिसम्पन्न नहीं। (३) जातिसम्पन्न भी, रूपसम्पन्न भी, और (४) न जातिसम्पन्न, न ॥ रूपसम्पन्न। 472. Prakanthak (horse) are of four kinds—1) Some horse is jati si sampanna (of good maternal lineage) and not rupa sampanna 卐 (beautiful). (2) Some horse is rupa sampanna and not jati sampanna. (3) Some horse is both jati sampanna and rupa sampanna. (4) Some horse is neither.jati sampanna nor rupa sampanna. Purush (men) are also of four kinds—(1) Some man is jati sampanna + (of good maternal lineage) and not rupa sampanna (beautiful). (2) Some man is rupa sampanna and not jati sampanna. (3) Some man is both jati fi sampanna and rupa sampanna. (4) Some man is neither jati sampanna Si nor rupa sampanna. __४७३. चत्तारि कंथगा पण्णत्ता, तं जहा-जातिसंपण्णे णाममेगे णो जयसंपण्णे। [जयसंपण्णे फणाममेगे णो जातिसंपण्णे, एगे जातिसंपण्णेवि जयसंपण्णेवि, एगे णो जातिसंपण्णे णो जयसंपण्णे ]। एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा-जातिसंपण्णे। [णाममेगे णो जयसंपण्णे, म जयसंपण्णे णाममेगे णो जातिसंपण्णे, एगे जातिसंपण्णेवि जयसंपण्णेवि, एगे णो जातिसंपण्णे णो ॐ जयसंपण्णे ] F ४७३. घोड़े चार प्रकार के होते हैं-(१) कोई घोड़ा जातिसम्पन्न होता है, किन्तु जयसम्पन्न (विजय 卐 प्राप्त कराने वाला) नहीं होता। (२) कोई घोड़ा जयसम्पन्न होता है, किन्तु जातिसम्पन्न नहीं। (३) कोई घोड़ा जातिसम्पन्न भी होता है और जयसम्पन्न भी। (४) कोई घोड़ा न जातिसम्पन्न और न जयसम्पन्न 卐 होता है। ॐ इसी प्रकार पुरुष भी चार प्रकार के होते हैं-(१) कोई पुरुष जातिसम्पन्न होता है, जय सम्पन्न नहीं। (२) कोई जयसम्पन्न होता है, जाति सम्पन्न नहीं। (३) कोई जयसम्पन्न भी, जातिसम्पन्न भी। (४) कोई न 卐 जातिसम्पन्न, न जयसम्पन्न। 473. Prakanthak (horse) are of four kinds—1) Some horse is jati sampanna (of good maternal lineage) and not jaya sampanna (instrumental in victory). (2) Some horse is.jaya sampanna and not jati sampanna. (3) Some horse is both jati sampanna and jaya sampanna. (4) Some horse is neither jati sampanna nor jaya sampanna. Purush (men) are also of four kinds-(1) Some man is jati sampanna 41 (of good maternal lineage) and not jaya sampanna (victorious). (2) Some ))))))))))))))))55555555555555))))))))))))))) )) ) ))) ))) )) )))) ) ) क ॐ चतुर्थ स्थान (565) Fourth Sthaan ज B))))))))))))))))))))))))) For Private & Personal Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org

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