Book Title: Agam 03 Ang 03 Sthanang Sutra Part 01 Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Shreechand Surana
Publisher: Padma Prakashan
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4. In the same way purush (men) are of four kinds—(1) Some purush
(man) has rupa (beauty) but not sheel (character). (2) Some purush (man) has sheel (character) but not rupa (beauty). (3) Some purush (man) has sheel (character) as well as rupa (beauty). (4) Some purush (man) has neither sheel (character) nor rupa (beauty). जाति-पद JATI-PAD (SEGMENT OF CASTE)
३९०. (१) चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा-जातिसंपण्णे णाममेगे णो कुलसंपण्णे, [कुलसंपण्णे णाममेगे णो जातिसंपण्णे, एगे जातिसंपण्णेवि.कुलसंपण्णेवि, एगे णो जातिसंपण्णे णो कुलसंपण्णे ]
३९१. (२) चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा-जातिसंपण्णे णाममेगे णो बलसंपण्णे, बलसंपण्णे णाममेगे णो जातिसंपण्णे, एगे जातिसंपण्णेवि बलसंपण्णेवि, एगे णो जातिसंपण्णे णो बलसंपण्णे।
३९२. (३) एवं जातीए य, रूवेण य, चत्तारि आलावगा, एवं जातीए य, सुएण य, एवं जातीए य, सीलेण य, एवं जातीए य, चरित्तेण य, एवं कुलेण य, बलेण य, एवं कुलेण य, रूवेण य, कुलेण य, सुएण य, कुलेण य, सीलेण य, कुलेण य, चरित्तेण य।
[चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा-जातिसंपण्णे णाममेगे णो रूवसंपण्णे, स्वसंपण्णे के णाममेगे णो जातिसंपण्णे, एगे जातिसंपण्णेवि स्वसंपण्णेवि, एगे णो जातिसंपण्णे णो रूवसंपण्णे ] __ ३९३. (४) [चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा–जातिसंपण्णे णाममेगे णो सुयसंपण्णे, म सुयसंपण्णे णाममेगे णो जातिसंपण्णे, एगे जातिसंपण्णेवि सुयसंपण्णेवि, एगे णो जातिसंपण्णे णो सुयसंपण्णे ]।
३९४. (५) [चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा-जातिसंपण्णे णाममेगे णो सीलसंपण्णे, सीलसंपण्णे णाममेगे णो जातिसंपण्णे, एगे जातिसंपण्णेवि सीलसंपण्णेवि, एगे णो जातिसंपण्णे णो सीलसंपण्णे ]
३९५. (६) [चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा-जातिसंपण्णे णाममेगे णो चरित्तसंपण्णे, चरित्तसंपण्णे णाममेगे णो जातिसंपण्णे, एगे जातिसंपण्णेवि चरित्तसंपण्णेवि, एगे णो जातिसंपण्णे __णो चरित्तसंपण्णे | 卐 ३९०. (१) पुरुष चार प्रकार के होते हैं-(१) कोई जातिसम्पन्न (उत्तम मातृपक्ष वाला) होता है,
किन्तु कुलसम्पन्न (उत्तम पितृपक्ष वाला) नहीं होता; [(२) कोई कुलसम्पन्न, किन्तु जातिसम्पन्न नहीं ऊ होता; (३) जातिसम्पन्न भी और कुलसम्पन्न भी; और (४) कोई न जातिसम्पन्न, न कुलसम्पन्न होता है।
चतुर्थ स्थान
(618)
Fourth Sthaan
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