Book Title: Agam 03 Ang 03 Sthanang Sutra Part 01 Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Shreechand Surana
Publisher: Padma Prakashan

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Page 589
________________ ) ))) )) ) )) ))))))))))55555555) In the same way purush (men) are of four kinds(1) some man is endowed with (yukta) wealth and also endowed with (yukta) good conduct. (2) some man is endowed with (yukta) wealth but not endowed with (ayukta) good conduct, (3) some man is not endowed with (ayukta) wealth but still endowed with (yukta) good conduct, and (4) some man is neither endowed with (ayukta) wealth nor endowed with (ayukta) good conduct. ३७६. चत्तारि आलावगा, तथा जुग्गेण वि, पडिवक्खो, तहेव पुरिसजाया जाव सोभेत्ति। एवं है जहा जाणेण [चत्तारि जुग्गा पण्णत्ता, तं जहा-जुत्ते णाममेगे जुत्तपरिणते, जुत्ते णाममेगे अजुत्तपरिणते, अजुत्ते णाममेगे जुत्तपरिणते, अजुत्ते णाममेगे अजुत्तपरिणते। ___ एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा-जुत्ते णाममेगे जुत्तपरिणते, [जुत्ते णाममेगे । ॐ अजुत्तपरिणते, अजुत्ते णाममेगे जुत्तपरिणते, अजुत्ते णाममेगे अजुत्तपरिणते ]। ____ ३७६. चार आलापक यहाँ भी कहने चाहिए। जिस प्रकार यान के विषय में युक्त (उपकरणों से ॐ युक्त), युक्त-परिणत (वहन कार्य में लगा हुआ), युक्त रूप और युक्त शोभा के चार आलापक हैं, वैसे यहाँ युग्य के विषय में कहकर पुरुषों की भी धन, सदाचार, ज्ञान आदि के साथ चतुगियाँ कहनी चाहिए। म [युग्य चार प्रकार के होते हैं-(१) कोई युग्य युक्त और युक्तपरिणत होता है, (२) कोई युक्त होकर भी अयुक्त-परिणत, (३) कोई अयुक्त होकर भी युक्त-परिणत, और (४) कोई न युक्त और न ॐ युक्त-परिणत होता है। इसी प्रकार पुरुष भी चार प्रकार के होते हैं-(१) कोई पुरुष गुणों से युक्त होता है और योग्य ॐ परिणति वाला भी; (२) कोई गुणों से तो युक्त होता है, किन्तु योग्य परिणति घाला नहीं; (३) कोई गुणों म से युक्त नहीं, किन्तु योग्य परिणति वाला होता है; और (४) कोई न तो गुणों से युक्त और न योग्य परिणति वाला होता है।] ki 376. Four alternatives should also be read here with regard to yugya like those mentioned with regard to yaan (yukta, yukta parinat, yukta rupa and yukta shobha). And the same should be repeated about purush (man). (1) some yugya (pair) is well equipped (yukta) initially and later also (yukta parinat), (2) some pair is well equipped (yukta) initially but gets ill equipped later (ayukta parinat), (3) some pair is ill equipped (ayukta) initially but gets well equipped later (yukta parinat), and (4) some pair is ki neither well equipped (ayukta) initially nor later (ayukta parinat). ___In the same way purush (men) are of four kinds-(1) some man is endowed with (yukta) virtues initially and later as well (yukta parinat), (2) some man is endowed with (yukta) virtue initially but not later 355555555555555))))))))))))))))))))))))))) 5555555))))) चतुर्थ स्थान (503) Fourth Sthaan Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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