Book Title: Agam 03 Ang 03 Sthanang Sutra Part 01 Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Shreechand Surana
Publisher: Padma Prakashan

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Page 548
________________ B5555555555555555555555555559 位听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听 ३१२. जम्बूद्वीप द्वीप में मन्दर पर्वत के पश्चिम भाग में सीतोदा महानदी के दक्षिणी किनारे पर ॐ चार वक्षस्कार पर्वत कहे हैं-(१) अंकावती, (२) पक्ष्मावती, (३) आशीविष, (४) सुखावह। + ३१३. जम्बूद्वीप द्वीप में मन्दर पर्वत के पश्चिम भाग में सीतोदा महानदी के उत्तरी किनारे पर चार - वक्षस्कार पर्वत हैं-(१) चन्द्रपर्वत, (२) सूर्यपर्वत, (३) देवपर्वत, (४) नागपर्वत। ३१४. जम्बूद्वीप द्वीप ऊ में मन्दर पर्वत की चार विदिशाओं में चार वक्षस्कार पर्वत हैं-(१) सौमनस, (२) विद्युत्प्रभ, (३) गन्धमादन, (४) माल्यवान्। 312. In Jambu Dveep in the western part of Mandar mountain there are four Vakshaskar mountains on the southern bank of great rive Sitoda-(1) Ankavati, (2) Pakshmavati, (3) Ashivish, and (4) Sukhavah. 313. In Jambu Dveep in the western part of Mandar mountain there are four Vakshaskar mountains on the northern bank of great river Sitoda(1) Chandraparvat, (2) Suryaparvat, (3) Devaparvat, and (4) Naagparvat. 314. In Jambu Dveep in the four intermediate directions there are four Vakshaskar mountains—(1) Saumanas, (2) Vidyutprabh, (3) Gandhamadan, and (4) Malyavan. शलाका-पुरुष-पद SHALAKA PURUSH-PAD (SEGMENT OF EPOCH MAKERS) ३१५. जंबुद्दीवे दीवे महाविदेहे वासे जहण्णपए चत्तारि अरहंता, चत्तारि चक्कवट्टी, चत्तारि ॐ बलदेवा चत्तारि वासुदेवा उप्पज्जिंसु वा उप्पज्जंति वा उप्पज्जिस्संति वा। ३१५. जम्बूद्वीप द्वीप के महाविदेह क्षेत्र में कम से कम चार अर्हन्त, चार चक्रवर्ती, चार बलदेव और चार वासुदेव उत्पन्न हुए थे, उत्पन्न होते हैं और उत्पन्न होंगे। 315. In the Mahavideh area of Jambu Dveep at least four Arhants, four Chakravartis, four Baladevas and four Vasudevas were, are and will be born. विवेचन-इस सूत्र का अभिप्राय है-महाविदेह में कम से कम चार अरिहंत, चार चक्रवर्ती, चार ॐ बलदेव-वासुदेव, दो पूर्व महाविदेह तथा दो पश्चिम महाविदेह में हर समय रहते हैं। कभी इनका अभाव + नहीं होता। जिस विजय में चक्रवर्ती होते हैं। उसमें बलदेव-वासुदेव नहीं होते। हाँ, जिस विजय में : तीर्थंकर होते हैं। उसमें चक्रवर्ती भी हो सकते हैं और बलदेव-वासुदेव भी। (हिन्दी टीका, पृष्ठ ८४५) Elaboration-This aphorism conveys that in Mahavideh at least four Arhants, four Chakravartis, four Baladevas and four Vasudevas always exist. They are never extinct. Chakravarti and Baldeva-Vasudeva do not coexist in any Vijaya (a sub-continent size area). However, with a Tirthankar either a Chakravarti or Baldeva-Vasudeva may coexist. 4 (Hindi Tika, p. 845) ב ת ת ת תב תב תג ת תב תב ובוב וב ב כ ת נ ת נ ת ת וב ת ת | स्थानांगसूत्र (१) (464) Sthaananga Sutra (1) ת Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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