Book Title: Agam 03 Ang 03 Sthanang Sutra Part 01 Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Shreechand Surana
Publisher: Padma Prakashan

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Page 467
________________ 5555மிமிமிமிமிமிமிமிமிமிததமி******மிமிததமிமிமிமிதகழிக்க F 卐 दिया जाता है । (४) परिकुंचना - प्रायश्चित्त - एक दोष को छिपाने के लिए पुनः असत्य आदि अन्य दोषों 5 का सेवन करने पर दिया जाने वाला । फ्र Elaboration-(1) Pratisevana-prayashchit-this prescribed on committing a fault. (2) Samyojana-prayashchit-this 5 atonement_is_prescribed for same type of faults. ( 3 ) Aaropanaprayashchit-this atonement is prescribed for committing the same fault repeatedly while atonement for the first instance is in progress. (4) Parikunchana-prayashchit-this atonement is prescribed for later faults committed for concealing an earlier fault. १३५. पुद्गल का परिणाम ( परिणमन) चार प्रकार का होता है - (१) वर्ण - परिणाम - श्वेत, रक्त आदि रूपों का परिणमन, (२) गन्ध - परिणाम - सुगन्ध - दुर्गन्ध रूप गन्ध का, (३) रस - परिणाम - आम्ल, मधुर आदि रसों का, तथा ( ४ ) स्पर्श - परिणाम - स्निग्ध, रूक्ष आदि स्पर्शो का परिणमन । atonement is काल- पद KAAL-PAD (SEGMENT OF TIME) १३४. चउव्विहे काले पण्णत्ते, तं जहा - पमाणकाले, अहाउयनिव्वत्तिकाले, मरणकाले, 5 अद्धाकाले । 卐 चतुर्थ स्थान 259595959595959595959 55955 595959555555959595959595959595959555555552 १३४. काल चार प्रकार का है - ( 9 ) प्रमाणकाल - समय, आवलिका, दिवस - रात्रि आदि, (२) यथायुनिवृत्तिकाल - आयुष्य के अनुसार नरक आदि गतियों में रहने का काल, (३) मरणकाल-मृत्यु का समय, (४) अद्धाकाल - सूर्य की गति से ज्ञात होने वाला दिन-रात का काल । (काल का विशेष वर्णन अनुयोगद्वार, भाग १, पृष्ठ २९ पर देखें) 卐 134. Kaal (time) is of four kinds – (1) praman - kaal-measure of time, 5 such as Samaya, Avalika, day and night etc., (2) yathayunivritti-kaal - the period of stay in a specific genus (hell etc.) according to the predetermined life span, (3) maran-kaal-time of death, and (4) addhakaal-the measure of time based on the movement of the sun (day and night). (for more details refer to Illustrated Anuyogadvara Sutra, Part I, p. 29) पुद्गल - परिणाम - पद PUDGAL-PARINAM-PAD (SEGMENT OF TRANSFORMATION OF MATTER) १३५. चउव्विहे पोग्गलपरिणामे पण्णत्ते, तं जहा - वण्णपरिणामे, गंधपरिणामे, रसपरिणामे, फासपरिणामे । (385) Jain Education International फ For Private & Personal Use Only फ 135. Pudgal-parinam (transformation of matter) is of four kinds (1) varna-parinam (transformation of appearance or colour)-change of appearance into white, red and other colours, (2) gandh-parinam 5 Fourth Sthaan फ्र 卐 1 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 555 55555555 5 55 55 5 5 5 5 5 52 卐 www.jainelibrary.org

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