Book Title: Agam 03 Ang 03 Sthanang Sutra Part 01 Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Shreechand Surana
Publisher: Padma Prakashan

View full book text
Previous | Next

Page 517
________________ फ्र लोकस्थिति - पद LOK-STHITI-PAD (SEGMENT OF STRUCTURE OF UNIVERSE) २५९. चउव्विहा लोगट्टिती पण्णत्ता, तं जहा - आगासपतिट्ठिए वाते, वातपतििट्ठए उदधी, उदधिपतिट्ठिया पुढवी, पुढविपतिट्ठिया तसा थावरा पाणा । २५९. लोकस्थिति चार प्रकार की है - ( 9 ) आकाश पर वायु (तनुवात - घनवात) स्थित है, (२) वायु पर घनोदधि, (३) घनोदधि पर पृथ्वी, और (४) पृथ्वी पर स्थावर और त्रस प्राणी स्थित हैं । 259. Lok-sthiti (structure of universe) is four tiered-(1) vayu (thin air and thick air) is situated over akash (space), (2) ghanodadhi (dense water) is situated over vayu, ( 3 ) prithvi (earth) is situated over 5 ghanodadhi (dense water), and (4) sthavar and tras pranis ( immobile 5 and mobile beings) are located over prithvi. पुरुष - भेद - पद PURUSH BHED-PAD (SEGMENT OF TYPES OF MAN) २६०. चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा - तहे णाममेगे, णोतहे णाममेगे, सोवत्थी णाममेगे, पधाणे णाममेगे । २६०. पुरुष चार प्रकार के होते हैं - ( १ ) तथापुरुष - आदेश को स्वीकार कर काम करने वाला अथवा यथार्थवादी, (२) नोतथापुरुष - आदेश को न मानकर स्वच्छंदता से काम करने वाला अथवा मिथ्यावादी, (३) सौवस्तिकपुरुष - स्वस्ति पाठक अथवा खुशामद करने वाला, और ( ४ ) प्रधानपुरुष - पुरुषों में प्रधान, स्वामी अथवा सबका विश्वासपात्र । 260. Purush (man) is of four kinds-(1) tatha-purush-man who accepts order and does accordingly; a realist, (2) notatha-purush-man who does not take order and works independently; unrealistic, (3) sauvastik-purush-a flatterer, and (4) pradhan-purush-prime among men; master or one who has confidence of all. आत्म- पद ATMA-PAD (SEGMENT OF THE SELF) २६१. चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा - आयंतकरे णाममेगे णो परंतकरे, परंतकरे णाममेगे णो आयंतकरे, एगे आयंतकरेवि परंतकरेवि, एगे णो आयंतकरे णो परंतकरे । - २६१. पुरुष चार प्रकार के होते हैं - (१) कोई पुरुष अपना अन्त करता है, किन्तु दूसरे का नहीं; (२) कोई दूसरे का अन्त करता है, किन्तु अपना नहीं; (३) कोई अपना भी अन्त करता है और दूसरे का भी; और (४) कोई न अपना अन्त करता है और न दूसरे का । चतुर्थ स्थान 261. Purush (man) is of four kinds-(1) some man ends (ant) his life and not that of the other, (2) some man does not end his life but does that of the other, (3) some man ends his life and that of the other as well, 5 and (4) some man neither ends his own life nor that of the other. फ्र Jain Education International (435) 27 5 5 55 5 5 5955 595 5555 55555 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 595952 For Private & Personal Use Only Fourth Sthaan 卐 www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 515 516 517 518 519 520 521 522 523 524 525 526 527 528 529 530 531 532 533 534 535 536 537 538 539 540 541 542 543 544 545 546 547 548 549 550 551 552 553 554 555 556 557 558 559 560 561 562 563 564 565 566 567 568 569 570 571 572 573 574 575 576 577 578 579 580 581 582 583 584 585 586 587 588 589 590 591 592 593 594 595 596 597 598 599 600 601 602 603 604 605 606 607 608 609 610 611 612 613 614 615 616 617 618 619 620 621 622 623 624 625 626 627 628 629 630 631 632 633 634 635 636 637 638 639 640 641 642 643 644 645 646 647 648 649 650 651 652 653 654 655 656 657 658 659 660 661 662 663 664 665 666 667 668 669 670 671 672 673 674 675 676 677 678 679 680 681 682 683 684 685 686 687 688 689 690 691 692 693 694 695 696