Book Title: Agam 03 Ang 03 Sthanang Sutra Part 01 Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Shreechand Surana
Publisher: Padma Prakashan

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Page 432
________________ - 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 55 फ the tip is planted, such as wheat. (2) mool-beej-those which grow when the root-bulb is planted like lotus and potatoes. (3) parva-beej-those ! 5 which grow when the knot is planted like sugar-cane, and (4) skandh- ! beej-those which grow when the branch is planted like roses. फफफफफफफफफफफफ अधुनोपपन्न - नैरयिक- पद ADHUNOPAPANNA-NAIRAYIK-PAD (SEGMENT OF NEWBORN INFERNAL BEINGS) ५८. चउर्हि ठाणेहिं अहुणोववण्णे णेरइए णिरयलोगंसि इच्छेज्जा माणुसं लोगं हव्यमागच्छित्तए, णो चेव णं संचाति हव्यमागच्छित्तए (१) अहुणोववणे णेरइए णिरयलोगंसि समुन्भूयं वेयणं वेयमाणे इच्छेज्जा माणुसं लोगं हव्यमागच्छित्तए, णो चेव णं संचाएति हव्वमागच्छित्तए । (२) अहुणोववण्णे रइए णिरयलोगंसि णिरयपालेहिं भुज्जो - भुज्जो अहिट्ठिज्जमाणे इच्छेज्जा माणुसं लोगं हव्वमागच्छित्तए, णो चेव णं संचाएति हव्वमागच्छित्तए । ( ३ ) अहुणोववण्णे णेरइए णिरयवेयणिज्जंसि कम्मंसि अक्खीणंसि अवेइयंसि अणिजिणंसि इच्छेज्जा माणुसं लोगं हव्वमागच्छित्तए, णो चेव णं संचाि हव्वमागत्च्छित्तए। (४) [ अहुणोववण्णे णेरइए णिरयाउअंसि कम्मंसि जाव अक्खीणंसि जाव अवेयंसि अणिजिसि इच्छेज्जा माणुसं लोगं हव्वमागच्छित्तए ] णो चेव णं संचाएति हव्वमागच्छित्तए । इच्चेतेहिं चउहिं ठाणेहिं अहुणोववण्णे णेरइए [ णिरयलोगंसि इच्छेज्जा माणुसं लोगं हव्वमागच्छित्त ] णो चेव णं संचाएति हव्यमागच्छित्तए । ५८. नरकलोक में तत्काल उत्पन्न हुआ नैरयिक चार कारणों से शीघ्र ही मनुष्यलोक में आना चाहता है, किन्तु आ नहीं सकता फ्र (१) तत्काल उत्पन्न नैरयिक नरकलोक में होने वाली वेदना का अनुभव करता है तब वह शीघ्र ही फ्र मनुष्यलोक में आने की इच्छा करता है, किन्तु आ नहीं सकता । (२) तत्काल उत्पन्न नैरयिक नरकलोक 5 में नरकपालों के द्वारा बार-बार पीड़ित होता हुआ शीघ्र ही मनुष्यलोक में आने की इच्छा करता है, किन्तु आ नहीं सकता। (३) तत्काल उत्पन्न नैरयिक शीघ्र ही मनुष्यलोक में आने की इच्छा करता है, 5 किन्तु नरकलोक में भोगने योग्य कर्मों के क्षीण हुए बिना, उन्हें भोगे बिना, उनके निर्जीर्ण हुए बिना आ नहीं सकता। (४) तत्काल उत्पन्न नैरयिक शीघ्र ही मनुष्यलोक में आने की इच्छा करता है, किन्तु नारक सम्बन्धी आयुष्य के क्षीण हुए बिना, उसको भोगे बिना, उसके निर्जीर्ण हुए बिना आ नहीं सकता । उक्त चार कारणों से नरकलोक में तत्काल उत्पन्न नैरयिक शीघ्र मनुष्यलोक में आने की इच्छा करता है, किन्तु आ नहीं सकता। 58. A newly born infernal being in the infernal realm soon wants to come to the land of humans but he is unable to come for four causes/reasons स्थानांगसूत्र (१) (352) Jain Education International Sthaananga Sutra (1) For Private & Personal Use Only 5555 ****************ததததததத************தின் 卐 www.jainelibrary.org

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