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मापाग्री उमा है। समाग में कारण वह कोर 4 मही हर हैं। उनकी प्रारपिसपी है, जो प्रथम वर्णन पर ही मानाप्रमालनी है । ना घोडा और ज्योतिर्मम ने भागा पोर पालिका मायामन है और मागगुतिमध्यपहार माने भालोर मुग्ध कर देता है।
उनमें और मात्रा पुर में समानता प्रतीत होती है। गौतम बुद्ध महानसम हिडपे, त्रिदोंने सीम मागम से प्रेरित होकर अपने पदुपात्रियों नोभमन हिताय पोरम मुसाय धर्म का उपदेश देने के लिए भेजा। उन महान धर्म-गयार मोहाह हो माधयंत्री नवगी ने पर-पानामों का पायोजन किया है । इग नवीन प्रयोग में कुछ पमापार गुन्दरता है । तेराइप में साधु अपनी प-यात्रामों में जहाँ कही भी जाते हैं, नई भावना पार नया बातावरण उत्पन्न कर देते हैं। धर्म का ठोस माधार
अपनी पदयात्रा के मध्य प्राचारं श्री तुलसी बंगान पाए और कुछ दिन कलकत्ता में ठहरे । उम समय मैंने उनसे साक्षाकार पिया मोर बातचीत की। उन्होंने मुझसे अणुव्रतों की प्रतिक्षा लेने को कहा । मुझे लग्नापूर्वक बहना पड़ता है कि मैंने अपने भीतर प्रतिज्ञाएं लेने जितनी शक्ति अनुभव नहीं की मोर झिझरपूर्वक वैसा करने से इन्कार कर दिया । बिन्तु वे इससे तनिक भी नाराज नही हुए । तटस्थ भाव से, जो उनकी विशेषता है और क्षमाशील स्वभाव से, जो अपूर्व है. उन्होंने मुभम तौरने, विचार करने और फिर निर्णय करने की यहा। प्राचार्यश्री तुलसी की शिक्षाएं बुद्ध की शिक्षाग्रो की भांति नैतिक मादसा वाद पर आधारित हैं। उनके अनुसार नैतिक श्रेष्टता ही धर्म का निश्चित मार टॉस 'माधार है। जब कि भौतिकवाद का चारों मोर बोलबाला है, उन्हान मानवता के नैतिक उत्थान के लिए अशुद्रत-मान्दोलन चलाया है।
दुमरे अनेक व्यक्तियों के साथ जो ज्ञान भौर अनुभव में विद्वत्ता प्रार भाध्यात्मिक भावना में मुझ से मागे हैं, मैं पतनोन्मुख भारत के नतिक उत्थान के लिए प्राचार्यश्री तुलसी ने जो काम हाथ में लिया है और जो प्रामातात सफलताएँ प्राप्त की हैं, उनके प्रति अपनी हार्दिक श्रम समषित करता हूँ।
अगुवत-मान्दोलन एक महान प्रयास है और उसकी वल्पना भी उतनी हा