________________
मानवता के उन्नायक
११०
लिए सुना है। उसमें किसी भी धर्म, नत्र यत्रा सम्पदाय का विभाग से सकता है। पण्श्व के व्रतियों में बहुत से जैनेवर स्त्री-पुरुष भी हैं।
न्दोलन के अन्तर्गत प्रति वर्ष महिला तथा मंत्री दिवस भी देश भर मन जा है। जिससे तनाव का वातावरण सुधरे और यह इच्छा सामूहिक रूप से कम हो कि वास्तविक गुण और शान्ति दिया एवं वैर से नहीं, बि महिला और भाईचारे से स्थापित हो सकती है।
प्रभावशाली वक्ता और साहित्यकार
भवानी
तथा अच्छे साम्विकार भी है। उनके प्रवचनों मेंदों का प्रादम्बर यश कला को हटा नहीं रहती । वे जो बोलते हैं. यह न केवल होता है, उसे दिवारों को भी रहती है | टि-से-टिम बात हो वे बहुत हो सीधे नारे में बहु देते हैं। कभीकभी वे धरतो बात को समाने के लिए कथा-कहानियों का माधव मेवे है । वे महानियाँ वास्तव में बसे रोचक एवं विवाद होती है ।
धावा भी निते रहते हैं । जब उन कविताओं का सामूहिक रूप में सरबर पाठ होता है तो बड़ा हो मनोहारी वायुमण्डल उपग्न हो जाता है।
लेकिन में प्रकरते हो
को त्रिमा बन रही है और मानवता के मे हिमोरे तो है । मानो कहा करते है कि भूटान पत्र के
हृष्य
दिन उन्हें एक भी दुर्जन
देश का भ्रमण किया है. मानव के प्रति उनकी पहचान
है।
बहुत बहा में ग्रह और पम दोनों प्रकारको रिती हूँ। बाप है कि मनुष्य पर हावी होने का डर न मिले।
को
રે
जिस हों, उनके सामने मानव
को उस नावा
भाभी पर
उपने सारे नहीं बिना
रहे है। बिकी बेटा देते है और कि दुनिया मे कोई को नहीं है।च्छा काम करने को
मों को
है
र