Book Title: Aacharya Shree Tulsi
Author(s): Mahendramuni
Publisher: Atmaram and Sons

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Page 156
________________ 董事等 fref टिकेको बाद में ज प्रतिकार्ड बनाया गया है - (जे) « nì quì (15) uzaqmı magifa (if:*) + मानिकपर्व मना पात्र पापा को मन मे भी #3131 037 2 vwww 2 सो " दी कर्मयानि तयाने मनसा स्मरन । याराना मिस्याबार स उच्यते ॥ मन में एक है, बोरों में उत्पन्न करें, तो इन क्या है विश्व की महान शक्तियों शान्ति के नाम को गुप्त रूप से जो तैयारियt र रही है यह सियार का ही दोन है और इसीलिए पूर्व तथा पश्चिम में पारस्परिक विश्वास का निहोरको भावना उद्दो हो उठी है । भारत में मात्र रार्वोरकृष्ट प्रजातन्त्र विद्यमान होते हुए भी प्रजा (जनता) मुख एव सन्तुष्ट क्यो नही है ? मद्यनिषेध के लिए इतन कडे कानून लागू होने पर धौर केन्द्र द्वारा इतना अधिक प्रोत्साहन किये जाने पर भी वह कारगर होता क्यों नहीं दिखाई पड़ता ? भ्रष्टाचार रोकने के लिए शासन की कोर में इतना मधिक कम होने के स्थान से बड़ क्यो रहा है ? मोरक्या है ? प्रान्तरिक प्रवा बन्धन-मुक्ति का साधन नहीं - ही उत्थान का एकमात्र 54 माना है पौर तथा - दोश अणुव्रत (नैतिक आवरण) को महत्त्व रखता है, जिवना राजनीतिक स्वतन्त्रता के

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