Book Title: Aacharya Shree Tulsi
Author(s): Mahendramuni
Publisher: Atmaram and Sons

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Page 110
________________ * यो यो a uttी milnutritी होती ? filind Rai Atit TRA fin i tti 11tta ftir faar मि में BR मा MRI I Amriti ___समाधीमे 11 3 fARTI मुहा Tramati fim TATHI भारो sumstantraft maretat ofitnfatuilt मानन में n ite है। Tre arwar मा on 201ulaming cागर पर ही गिरा । प्रपम रासायी ने कहा frERो प. मान्यता दायका और नो पापमयाका बार में दिना या होन भापात्रा प्रांग रमाबर उपमं के किरहे। दूसरे प्रान पार IN fult और सम्मा पा। उनमकहना था कि हिंगा मोर मोहनिम्मामूमन बुरामा.जिनमे मानव जाति पीडित है मोरपे युटभरपा उप पोरया प्रतीक है। इन दोनों नाम बुराइयों पर विसर प्राप्त करने का एकमात्र मार्ग पहिसा हो है पौर नया को यह सत्य एक दिन सवार करना ही होगा । मनध्य सबने बहो बराइयो पर विजय प्राप्त किये बिना को महत्तर सिद्धि प्राप्त कर सकता है? मन्त में प्राचापंधी मेरी मोर मुसये और पूछा कि क्या मेरा समाधान हो गया। मैंने उत्तर दिया कि मुझे उतर अत्यन्त सहायक प्रतीत हुए हैं और मैंने प्रणाम कर उनसे विदा सी। उसके बाद इस घटना के वर्षों बाद, मैंने कलकत्ता में एक विशाल जन-समूह से भरे हए पण्डाल में प्राचार्यश्री को प्रणुवत-प्रान्दोलन पर प्रवचन करते हुए मुना। उसके बाद उन्होने थोड़े समय के लिए मुझसे व्यक्तिगत वार्तालाप के लिए - कहा। उन्होंने देश के भीतर नैतिक मूल्यो के हास पर अपनी चिन्ता व्यक्त

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