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माचार्यश्री तुलसी जन-जागति के लिए एक अनुकरणीय मादर्श उपस्थित कर दिया है। युगको पुकार सुनने वाली सस्थाएं ही अपने मस्तित्व को सार्थक सित कर सरती हैं। इसमें तनिक भी सन्देह नहीं कि प्राचार्यश्री के तेरापध साबु-मंप ने अपने अस्तित्व को पूरी तरह सफल एवं सार्थक सिद्ध कर दिया है।