Book Title: Aacharya Shree Tulsi
Author(s): Mahendramuni
Publisher: Atmaram and Sons

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Page 128
________________ मानाचंधी नुरमी रामा विरोध कोनी riti Tarना पसियों पोर माची का गबम बरा पापा पागधीएक य.नियंग कमाना हैं और पहा मी गाविना, अनुरा तथा प्रगति मे घोर मीन है। भारमीन का मनपा 34 गाय को प्रतिष्ठा बढ़ाने के लिए किया गया है पौर उमाप्रदाय के अनुपाची पाने प्राचार को पुत्रवाने के लिए उगला हुए ६। यह भी गहा जाना पाकिम मन्त्रदाय की मागे पवम्या पधिनाय स्वार पर धापारित है। उसके पना उनके मवंतत्र स्वतन्त्र पधिनायक हैं। वर्तमान प्रवा-युग में प्रधिनायकवाद पर माधिन प्रान्दोलन बड़ा मनग्नाम है।सी प्रकार के तरह-तरह के मारांप व प्रासादोलन पर किये जाते थे। नेरारथी सम्प्रदाय की मारतामों व मर्यादामा कसम्बन्ध में गरुविन यसको साम्प्रदापिक दृष्टिकोण से विचार व विरोध करने वाले इसी पक्षरावपूर्ण चश्मे से अणुव्रत-प्रान्दोलन को देखते थे मोर उम पर मनमाने प्रारोग व प्रार्पा करने में तनिक भी सकोच न करते थे। तरह-तरह के हस्तपत्रक छाप कर वाट गए पोर दीवारों पर बड़े-बडे पोस्टर भी छाप कर चिपकाये गए। विरोध करने यालों ने भरसक विरोध किया पोर आन्दोलन को हानि पहुंचाने में कुछ भी कसर उठा न रखी। इस बवण्डर का जो प्रभाव पड़ा, उसको प्रकट करने के लिए एक ही उदाहरण पर्याप्त होना चाहिए। कुछ साथियो का यह बितार हुमा कि अस्तअान्दोलन का परिचय राष्ट्रपति डा. राजेन्द्रप्रसाद को देकर उनकी सहानुभूति प्राप्त करने का प्रयत्न किया जाना चाहिए । उनका यह अनुमान था नि राष्ट्र पविजी नैतिक नव-निर्माण के महत्त्व को अनुभव करने वाले महानुभाव है। उनको यदि इस नैतिक मान्दोलन का परिचय दिया गया तो भवम्य हो उनकी सहानुभूति प्राप्त की जा सकेगी। श्रीमान् सेठ मोहनलालजी कठोनिया के साथ में राष्ट्रपति भवन गया और उनके निजी सचिव से चर्चा वार्ता हुई, नो उसने स्पद कह दिया किया कि यह मान्दोलन विशुद्ध रूप से सामपदाधिक है और ऐसे किसी साम्प्रदायिक मान्दोलन के लिए राष्ट्रपति की सहानुभूति प्राप्त नहीं की जा सकती। मैंने अनुरोध किया कि राष्ट्रपतिजी से एक बार मिलने का अवसर तो भाप दें, परन्तु वे उसके लिए भी सहमत न हुए । यह एक ही उदा. हष्ण पर्याप्त होना चाहिए; यह दिखाने के लिए कि माचार्यश्री की राजधानी में

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