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पावाश्री तुमी से परहो की दोमी शत्रवानी में प्रसारित हो। मनमुन भ्रष्टाचार, चोरपामारी, मुहायोरी.मितावर तपा पतिकता वातावरण को पवित्र करने लिए प्राचार्यश्री के पyan-पादोलन का मैतिक मच दूध को दूध पौर पानी को पानी कर देने वाला हो पा। तोन घोषणाएं
नयारागार में पापंग करने के बाद जो पहला प्रवचन हुमा, उसके कारण मेरे लिए प्राचार्यश्री मा राप्रपानी की ऐतिहासिक नगरी में शुभागमन एक मनोयो ऐतिहामिक घटना थी । वह प्रवचन मेरे कानों में माही बना रहता है और उसके कुछ दाद कितनी हो वार उधत करने के कारण मेरे लिए शास्त्रीय वचन के समान महत्त्वपूर्ण बन गये हैं। प्राचार्यश्री पी पहती धोपए। यह पो कि यह तेरापंथ किसी व्यक्ति विदोष का नहीं है । यह प्रभु का पय है। इसीलिए इसके प्रवत्तंक प्राचार्यश्री भिनत्री ने यह कहा कि यह मेरा नहीं, प्रभु ! तेरा पंप है । इस घोषणा द्वारा प्राचार्यश्री ने यह व्यस्त किया कि वे किसी भी सकोणं साम्प्रदायिक भावना से प्रेरित न होकर, राष्ट्र-कल्याण तया मानव-हित की भावना से प्रेरित होकर राजधानी माये हैं ।।
दूसरी घोषणा प्राचार्यश्री को यह थी कि मैं मणुव्रत-पान्दोलन द्वारा उन राष्ट्रीय नेतामों के उस प्रान्दोलन को बलशाली तथा प्रभावशाली बनाना चाहता है, जो राष्ट्रीय जीवन को ऊंचा उठा कर उसमें पवित्रता का संचार करने में लगे हैं। ___ इसी प्रकार तीमरी घोषणा प्राचार्यधी ने यह की थी कि मैं मरने समस्त साघु-सव तथा साध्वी-संघ को राष्ट्र के नैतिक उत्थान के इस महान कार्य में लगा देना चाहता है।
इन घोपणानों का सष्ट अभिप्राय यह था कि जिस नैतिक नव-निर्माण के महान् प्रान्दोलन का सूत्रपात राजस्थान के सरदारशहर में किया गया था, उसको राष्ट्रव्यापी बना देने का शुभ सकल्प करके प्राचार्यश्री राजधानी पधारे थे। स्थानीय समाचारपत्रों में इसी कारण पाचायंधी के शुभागमन का हार्दिक स्वागत एवं भभिनन्दन किया गया। मैं उन दिनों में दैनिक 'प्रमर-भारत' का सम्पादन करता था । इन घोषणामो से प्रभावित होकर मैंने 'अमर भारत' को