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वर्तमान पताब्दी के महापुरुष
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कम-से-कम घोडे समय के लिए तो वे नित्य प्रति को चिन्तावों मौर भौतिक स्वायों के लिए होने वाले अपने नैरन्तरिक संघर्षो को भूल जाते हैं और संकुचित मौर दकियानूसी दृष्टिकोण को त्याग कर मानो किसी उच्च, भव्य और प्रो रिक जगत में पहुँच जाते हैं ।
बुराइयों की रामबाग पोि
शु-पालन जिसका पूज्य प्राचार्यश्री मचालन कर रहे हैं और जो प्रायः उनके जीवन का ध्येय ही है वास्तव में एक महान वरदान है पौर वर्तमान युग को रामस्त बुराइयों को रामबाग पौषधि होगी। दुनिया में जो व्यक्ति लोगों के जीवन मोर भाग्य-विधाता बने हुए हैं, यदि वे इस महान आयोजन पर गम्भीरता से विचार करें तो हमारे पृथ्वी-मण्डल का मुम ही एकदम बदल जाए मोर दुनिया में जो परस्पर भ्रात्मनाश की उमत पौर मावेशपूर्ण प्रतिस्पर्धा चल रही है, बन्द हो जाए तब निशस्त्रीकरण, माणविक अस्त्रों के परीक्षण को शेरने घोर मानव जाति के सम्पूर्ण विभाग के सर को टालने के लिए मयोपोडो बेकार की बसें करने को कोई प्रावश्यकता नहीं ह जायेगी | मनुष्य मरने को सृष्टिबाट मे गनुभव करता है । किन्तु स्मात् ये उद्गार फूट पड़ते हैं 'मनुष्य ने मनुष्य को मया बना दिया है ।'
पत्र मान्दोलन वास्तव में सम्प्रदायिक पान्दावन है पर उसको हमारी पनि सरकार का भी नविना चाहिए। यदि इस आन्दोलन के मूलभूत मिलों को नई दो को शिक्षा दी जाए तो वे बहुत मध्ये नागरिक बन सकेंग और वास्तव में विदश नागरिक बनाने के धिकारी किनेकोसम्बी-पोटी बातों के बजाय जो प्रायः बहुते कुछ है प्रकारका योजन राष्ट्रीय एकता को पूर्वक बिरसा
बुध है, और दमिक