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घोसवों सदी के महापुरुष भाइयों के लिए पवित्र स्थान और धर्म-स्थान बन गया था। जीवन में एक बड़ी क्रान्ति
अणुव्रत-अान्दोलन का प्रसार कर प्राचार्यश्री ने जनता के जीवन में एक पहुत बड़ी क्रान्ति कर दी है। यह हमारा सौभाग्य है कि प्राज भारत के कोनेकोने मे सत्य भोर प्रेम का प्रसार हो रहा है । जनता जनार्दन अपने साधारण जीवन मे ईमानदारी का व्यवहार कर रही है। सरकारी कर्मचारी भी अपने पर्तव्य को ईमानदारी से पूरा करने का उपदेश ले रहे हैं। व्यापारी वर्ग से धोखेबाजी और चोरबाजारी दूर होती जा रही है। केवल भारतीय ही नहीं, दूसरे देश भी प्राचार्यश्री के उच्च विचारों से प्रभावित हो रहे हैं।
यह मेरा सौभाग्य है कि मैं भी प्रणवत-पान्दोलन का एक साधारण सदस्य हूँ और मुझं देश-देश की यात्रा करने का सौभाग्य भी प्राप्त हुआ है। जब यूरोप और रूस को कड़कती ठडक मे भी मैंने चाय और कॉफी तक को हाथ नहीं लगाया तो वहां के लोगों को पाश्चर्य होता था कि यह कैसे सम्भव है? किन्तु यह वेवल भाचार्यश्री के उन शन्दों का चमत्कार है जो मापने सन् १९५४ के नवम्बर महीने के प्रारम्भ मे बम्बई मे कहे थे-फादर साहब, पाप सराव तो नहीं पीते हैं ?
पाचार्यश्री के साथ संकों साधु और साध्वी जन-सेवा में अपना जीवन बलिदान कर रहे है। इन तेसपथी जैनी साघुषों जैसा त्याग, तप और सेवा हमारे देश और मानव समाज के लिए बड़े गौरव की बात है। प्राचार्यश्री के शिप्य और ये लोग भी जो मापके सम्पर्क में मा चुके हैं, अपने प्राचार-विचार से मनुष्य जाति को अनमोल सेवा कर रहे हैं।
प्राचायंत्री ने हर जाति के और धर्म के लोगों को ऐसा प्रभावित किया है कि पापके प्रादर्श कभी भुलाये नही पा सकते और वे सदा ही मनुष्य-जाति को जीवन ज्योति दिखाते रहेगे।