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नतिक पुनरुत्थान के नये सन्देशवाहक जीवन को सभी प्रवृत्तियों का समावेदा हो जाता है । अपात मनुष्यों को बुद्धिसगत जीवन की सिद्धि के लिए प्रात्म-निर्भर बनने में सहायता देता है। उसके फलस्वरूप महिंसा, मन्ति, सद्भावना और सहमति को स्थापना हो सकेगी। नैतिक क्रान्ति का सन्देश
भारत चौदह वर्ष पूर्व विदेशी शासन के जए से स्वतन्त्र हुमा। विशाल पंचवर्षीय योजनामो के द्वारा भी हम प्राधिक और सामाजिक प्रान्ति नहीं कर पाये । जब तक हम ऐमो नई समाज-व्यवस्था को स्थापना नहीं करेंगे, सिमें निधन से निधन व्यक्ति भी सुखी जीवन विता सकेगा, तब तक हमागस्वराज्य इस विशाल देश के करोगे व्यक्तियो का स्वराज्य नहीं हो सकेगा। पन्तर्राष्ट्रीय क्षेत्र में हमारे सिर पर सर्वमहारवारीपणुयुद्धरा भयानक खतरा मरा रहा है। इस पारराविक युग मे जबकि शस्त्रो की प्रतियोगिता चल रही है. सर्वनाश प्रायः निश्चित दिखाई देता है। हमारे राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय दोनों क्षेत्रों में समस्याएं अधिकाधिक जटिल होती जा रही है और ऐसा प्रतीत होता है कि लोकमत मम्बन्धित सरकारों को प्रभावित नही कर पा रहा है। इस सफ्ट में मारायंत्री तुलमी का पणुव्रत-पान्दोलन एक नई सामाजिक, प्राधिक, राजनीतिक प्रौर नतिक क्रान्ति वा सन्देश देकर हमसो मागं दिखा रहा है। यह न तो दया रापार्यक्रम है पोर न हो दान-पुष्प का। यह तो माम मुद्धि का कार्यकम है। इममें केवल पक्ति को हो प्रात्म-रक्षा नहीं है. प्रस्तुत ससार के सभी राष्ट्रों को रा निहित है।बर कि विनाशा खतरा हमारे सम्मुख है, पण भान्दोलन हमे ऐसो राह रिसा रहा है, जिस पर चल कर मानव-जाति वा पा सस्तो है।