________________
बामि युगे युगे योग करने का अधिकार नहीं है। जब तक गायोजी हमारे बीच थे, तब हम लोगों के एक बड़े पथ-प्रदर्शक थे। वे हरएक व्यक्ति को, हरएक दल हरएक वर्ग को, शासन के अधिकारियों को, समस्त देश को चरित्र की - से देखा करते थे। उनकी वही एक बसोटी थी। राजनीति के क्षेत्र में पौर चरित्र की रक्षा करते हुए काम करना असम्भव समझा जाता था। । सारा जीवन इस बात का प्रमाण है कि यह विचार अत्यन्त भ्रममूलक प्रविधिन अपनी प्रार्थना-समामो में जो छोटे छोटे दम-दम मिनट के भापरण । करते थे, उनमा मुग्य उद्देश्य जनता का चरित्र-निर्माण ही था। उनके ये रण वो मार्मिक थे, विचारगोन लोग उनकी प्रतीक्षा करते थे, समाचार में सबसे पहले उन्ही को पार करने थे और दिन में अपने मित्रों के साथ
पो चर्चा पाने थे । इन भाषणों का प्रभाय मरवारी कर्मचारियो पर, भारत और विधायिती पर, व्यापारियों पर, महाथों पर, धर्मोपदेशों पर, तो जनता पर पाना पा । पात्रोत्री के स्वर्गवाम होने के बाद उनका वर न पर भी रिक्त है। कोई भी उसको प्रहण करने में अपने को समथं न
iनिरपेक्षता बनाम धर्म-विमुखता
देश पुनिर्माण में सबसे बड़ा बाम मोय मोर प्रादेशिक पानों राहाहा है। यह साभारिक भी है। उनके पास शक्ति भी । भी है। इस बार में पागों की एक विशेष दृष्टि होती है। उन पपिसा पाकिती है। हमारे सामन यो प-निरपेश धामन । बड़ा गहै। वारता येतो हमाग सामन पप-दिपेश पास नहीं रिप में पेश नही हो परन्तु मदा धर्म में रिमुव नहीं है कोई सिनगामार धर्म की पानीरमाया पिरत यस्तुस्थिति यह है सिनको नार मंगोष्टि नहीं बनाई जा रही है। हम
मन तो बार पारमाविमा परि सही। हमारेन एमnिम स्टार के पार परिष गिर रहा है। पम्प नाहग में मिल उन्नति मार-माय परिधी पर हमारो रि-सिमसारमा सामना।