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पाचार्यश्री तुन .काय निष्ठा कापणं है-सम्पूर्ण पारम-रामपंग को पावन यिा वित पारमा उम जीवन में कुछ भी सफलता प्राप्त नहीं कर सकता पनिाय हमारे समय राममिशार है । प्राय सारी दुनिया में शिमा प्रवानिय इस मान्तरिक विघटन की बुराई का पोषण कर रही है । एमसन ने बहुत समय पूर्व दर बुराई के विरह वाया था। मारम-समर्पण की भावना हमको पान्तरिक मनुशासन का जीवन बिताने में ममयं बनायेगी। इस शताबों के शान्तिदूत
भाधुनिक जीवन दिखावटी हो गया है। उममे कोई गम्भीरता, कोई सार वकोई अर्थ नहीं है। मनुप्य सम्पएं प्रात्म-पान के किनारे पहेब गया है। मनुष्य यदि प्राचार्य नुससी के प्रात्मानुशामन के मार्ग का अनुसरण करे वो वह अपने फो मारम-नाच से बचा सकता है। प्रणवत की विचारधारा मनुष्य को अपने प्रान्तरिक प्रमों से सहने के लिए अत्यन्त शक्तिशाली स्त्र प्रदान करती है । प्रल्प अनुशामन प्राध्यात्मिक शक्ति का विशाल भण्डार सुलभ कर सकता है। प्राचार्य तुलसी प्रपने प्रणमत-मस्त्र के साथ इस शादी के शान्ति दूत हैं। हम मरणुव्रतों का व्याकुलता, दृढ संकल्प और निष्ठापूर्वक पालन कर उनके देवी पथ-प्रदर्शन के अधिकारी बनें।