________________ * विषय-शीर्षक पृष्ठ सं. *** ...............180 ** ........... ** ...185 ** .199 ** .........21 ** ...........217 *** ..240 245 ** .248 *** ...........251 ** ........... मति व श्रुत में कार्यकारण भाव का विचार ........... ज्ञान-अज्ञान विचार ....... स्वभेदों की भिन्नता से मति व श्रुत में भेद .... श्रुतोपलब्धि श्रुत है, शेष मति है ....... द्रव्यश्रुत आदि क्या है? .... भाष्यमाण शब्द मति है या श्रुत है या उभय? अभिलाप्य व अनभिलाप्य का विचार ............ चतुर्दशपूर्वी परस्पर (उनमें हीनाधिकता) षट्स्थानपतित हैं मति व श्रुत में वल्क व शुम्ब का दृष्टान्त ........... मति अनक्षर भी, साक्षर भी ................... श्रुतनिश्रित व अश्रुतनिश्रित मति .................. द्रव्याक्षर की अपेक्षा से मति व श्रुत में साक्षर व अनक्षर का भेद मूक व मुखर की तरह मति व श्रुत में भेद ............. मति व श्रुत की भिन्नता के सन्दर्भ में शंका व समाधान ........... आभिनिबोधिक ज्ञान के निरूपण की प्रस्तावना ... आभिनिबोधिक ज्ञान के भेद ........... अवग्रह आदि के स्वरूप ............................ ईहा व संशय में अन्तर ............ अपाय व धारणा सम्बन्धी पूर्वपक्ष ..... अविच्युत वासना-स्मृति रूप धारणा ................... (व्यञ्जनावग्रहादि) व्यञ्जनावग्रह में ज्ञान-मात्रा की सिद्धि व्यञ्जनावग्रह के प्रत्येक समय में तथा समुदाय में ज्ञान-मात्रा ..... व्यञ्जनावग्रह के भेद .......... श्रोत्र व घ्राण का विषय-सम्पर्क नेत्र की अप्राप्यकारिता (नेत्र में अनुग्रह-उपघात नहीं) ......... मन की अप्राप्यकारिता ............. द्रव्य मन का बहिर्गमन नहीं मन का विषयकृत अनुग्रह व उपघात नहीं द्रव्यमन-कृत जीव का अनुग्रह व उपघात ............................. ** ** ** ............271 ..............2 ** * [284] *** 287 ........792 ............298 ..............300 ............304 ..........3214 ............322 *