Book Title: Vijaychand Kevali Charitra
Author(s): Chandraprabh Mahattar
Publisher: Jain Dharm Prasarak Sabha
View full book text
________________ // 3 // अष्टप्र. तहविदुः परकालिज अंगं एयस्स फासुयजलेण।जेणावणेश्गंधोश्य जणि ती निय दर्ज // नाऊण निछयं नियपियाश्गहिऊणपोर्णिपुडेहिं / पचयनिशरणानिवतं फासुझं नीरं // 5 // है परकालिऊण नीरेण सहरिसं मुणिवरस्स तंदेहं।अनिविमं दोहिं पिवि विलंपिउँ सुरहि गंधेहिं | नमिऊण मुणिवरिंदं उन्नवितं वर विमाणमारुहिजं।वचंताजश्त्थं वदंति जहिछिए तिबे॥५॥ / मुणितणुगंधविबुझा मुत्तूणं कुसुमियंपिवणगहणं। निवझति साहुदेहे जुगवंपिहु महुयरा बहवे॥8 कयमहुयरोवसग्गं घोरं अश् दूसहं सह धीरो।श्रापूरियताणा न चलश्सो कंचणगिरिव // 6 // |8 पवंतरा वलियो तिबाणिनमंसिऊण सो खयरो। संपुत्तो मुणिदेसे ता जणि निययजङाए॥ सामिय एसपएसो दीसश्सोजब मुणिवरो दिछो।न हु दीस सो संपर जोऊतोवि पुणं श्च // नणियाय तेण दएँ जब पएसंमि सो मुणी दिछो।तब पएसेदीस दवदवोकीलगो एगो // 6 // जाव निहालंति पुणो समं गयणंगणा अवयरिख।ता पिछति मुर्णिदं खजंतं नमरेहिं // 6 // उवयारो विहु एसो श्रवयारो मुणिवरस्स संजा।अचिंतिऊण खयरो निझाडे३ महुअरे सवे // 8 श्तो उवसग्गंते घाश्चउक्कंमि तस्स खीणंमि।उप्पन्नंऽहदलणं केवलनाणं मुर्णिदस्स // 6 // चविहदेवनिकाया केवलिमहिमं कुणंति संतुझा।मुंचंति कुसुमवासं गंधोदयमीसिअंसीसे॥६० है 1 पनमिणि / निवडं / 3 विलिंपिठ / पदबेहिं / एश्रावंताइनहेणं / 6 संपत्तो। 7 किं। दश्या। ए सम्म / 10 कसिण / 11 निझामइ / MORECORRECORRUPCOCONSORRC // 3 // AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak T

Page Navigation
1 ... 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95