Book Title: Vijaychand Kevali Charitra
Author(s): Chandraprabh Mahattar
Publisher: Jain Dharm Prasarak Sabha
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________________ तं वयणं सोऊणं बाहजलापुमलोयणो राया। पछत्तावेण हर्ज जलंजलिं देश पुत्तस्स // 15 // सुयविरहे कमलाए तह रुन्नं पुस्कनिप्परमणाए।जह करुणाहय हियरुआवियो' नयरलोगोवि१३] 7 दणं तं बालं जासूमो चंचुसंपुडे काउं / उप्पन्नो गयणयले दिछो ता अन्न सउणेण // 14 // 8 // ते दुन्नवि नारेमा बुझा बालंमि जाव जुनंति / ता चंचुसंपुमा पाहो पमिउँ कूमि // 15 // अश् तिह्ना नमिएणं गिरायवपीमिएण पुरिसेण / जलबुझेणं पुत्विं पमिएणं तंमि कूवंमि॥ 16 // उजोयंतो अयमं समंतउ निययदेहकंतीए। निवतो सो दिछो उकापुंजव्व पहिएण // 27 // जाव जले नहु बुड्डश्ता जुयदंडेण तेण गिहिऊण / वछबले निहित्तो पुत्तोश्व नियय जणएण॥१७॥ चिंतश्मणं मिपहिर्ज नहुपुकं श्च म मरणं पितं फुकं पुन पमि कह बालो श्वजीविहिई श्रहवा किमणेण अहं पंथिई" श्वजीवियवपिजीवाविजार पुरिसो पुवजियकम्मणा चेव॥8 जावेवं परिचिंतश् हियय निहत्तेणें तेण बालेण / ता तहैं सुबंधु नामो संपत्तो सम्बवाहुत्ति॥१॥ |बालो बुहाश्नमि कंवंमि विलग्गिऊण पहियस्स। रोयश् करुणसरेणं चालतो"ऽकसलाइं२५ है। तंदण रुअंतं पहिउँ बहुउरकसलियसरीरो। रोयश् विमुक्कधाहो बालं विऊण अंकमि // 3 // | 1 रोयाविन।नयरिलोवि।३ उप्पल / 4 गयणयलं / 5 पड। 6 पहिएण / 7 गहिऊण / मरणं मि।। ए मुखं पुण बुहनडि। 10 जीविहिही 11 वि पनि / 12 जीवियबंमि। 13 जाएवं १४निहित्तेण।१५ तब। 16 सुधण। 17 संचाल। 10 रुयंतं / c.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak

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