Book Title: Vijaychand Kevali Charitra
Author(s): Chandraprabh Mahattar
Publisher: Jain Dharm Prasarak Sabha

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Page 48
________________ पूजा. अष्टप्र. जाव न गिल दासी पुणो पुणो सामिणी जणियावि / ता बित्तूर्ण सयंचिय सा मालं निग्गया बाहिं // 11 // . कुसुम | जाव न निवमश्मालाहबा देवयाणुनावण। विसहररूवेण ठिया ता विलवश् उच्चसदेण // 11 // ॥হ৷৷ स्तं विलवंतिंसोजं समाग तब पुरवरीलोजीचिठश्सा सविलरका खिसिङांती पुरजणेण // 12 // श्तो ती सवक्की समागया विगयमबरसहावा। निश्चलसम्मत्तमई सुसाविया जिणमई नाम // 13 // तं दळूण रुयंती करुणाए सुमरिऊणे नवकारं / गहिया य जिणमईए सा माला ती हबा // जिणमइ हामि ठिया अहिययरं बहुलपरिमबुग्गारा।संजाया सा माला जिणवरधम्माणुनावण|8 दिन्नो साहुक्कारो तीसे सवेण नयरिलोएण। निम्मलसीलगुणेणं देवाणवि वल्लहा जाया // 16 // श्तो मुणिवरजुअलं घरपरिवाडी तंमि समयंमि। विहरतं संपत्तं लीलावर नवणदारंमि // 17 // है दळूणं मुणीजुअलं लवणदुवारम्मि सा समुछेड।वंदपरियणसहिया लीलावश् परमविणएणं॥रणार दाउण धम्मलानं नणिया सा मुणिवरेण जिण / लीलावर सुणसु तुम महवयणं तुघ्न हियजणणं // 15 // पुङाइजो जिणचंदं तिन्निवि संशाज पवरकुसुमेहिं।मुंजश् सो सुरसुरकं कमेण मुख्सया सुकरपद इक्केणवि कुसुमेणं नत्तीए वीअरागपूयाए / पावर पवर विनूई जीवो देवासुराणंपि // 20 // & जो पुण परेण रश्यं जिणपूयं मछरेण अवणे।सो नवसहस्स चक्के नम नरो फुकसंतत्तो // 21 // इह लोगंमि वि जीवो हिंमदारिदपुरस्कसंतत्तो।सुहसोहग्गविहूणो जिणपूयाविग्घकरणेण॥२॥ १डिया / 2 बहुपुरका / 3 सविक्की / / निम्मल / 5 समरिऊण / 6 जिणमाला / 7 तीए / विहियं / | एनवचक्कमुहट्टे। ॥श्शा खा. के. सा पोथा c.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak

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