Book Title: Vijaychand Kevali Charitra
Author(s): Chandraprabh Mahattar
Publisher: Jain Dharm Prasarak Sabha
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________________ सो मुजरायसिरिं सिरियादेवीइ सह सुहासत्तो। पणमंतमंझलेसर कीरीमसंसोहिपयकमलोश्य सोमसिरीविय मरि सिरिदेवीगतसंजवा धूया। सिरिहररन्नो जाया जिणजलपूयाणुनावण 265 तीए गमि ठियो परमो जणणी दोहलो जाजोजाणामि जइ जिणिंद न्हावेमो नीरकलसेहिं है। कंचणकलसजलेणं जत्तीई जिणेसरं न्हवेऊणं / संपुन्नमोहला सा सूया सुश्लरकी धूया // 7 // विहियं च तीइनामं सुपसले वासरंमि नियपिजणा। कुंनसिरी अह बाली संपत्ता जुवणं परमंशए / देविव परमरूवा चुंज हियछियाई सुकाई। निवसंती पिउगेहे सुवबहा बंधवजणस्सै // 30 // श्वंतरंमि पत्तो चजनाणी मुणिवरो वरुङजाणे / बहुमुणिवरपरियरि नामेणं विजयसूरुति // 31 // नाऊण मुणिवरिंदं समागयं सह जणेण नरनाहो। धूयासहिउँ चलि वंदण पमियाई सूरिस्स 35 दण मुणिवरिंदं दुरा वाहणाई मुत्तूंथें / वंदर धूयाश्समं तिरकुत्त पयाहिणी" काउं // 3 // जत्तिनरनितरंगो सेसेविय मुणिवरे नमेऊणं / उवविठो गुरुमूले धम्मं सोउं समाढत्तो // 34 // तो निवेण एगा नारी अह धूलिधूसरसरीरा / मलमश्वधूसरंगी"बहुर्मिनसएहिं परियरिया३५ / | 1 संघद। 2 गतध्यिाए / 3 डोहलो। जाणेमि / 5 जत्तीए / 6 संपन्न / सुपसूया / सोहणा / एकुं नसिरित्ति पसिधा / 10 देवलोए। 11 बंधवजणाणं / 12 विजयसारुत्ति / 13 पडिसाइ। 14 वाहणापमुत्तणं / |15 पयाहिणं / 16 बहु / 17 जरमलिणचीवरंगी। MAc Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak TE

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