Page #1
--------------------------------------------------------------------------
________________ BUDDDDDDDDDDREVEDSLRSMSS GEOGHODC POAD अथ अष्टप्रकारी पूजाउपर थाउ दृष्टांतयुक्त प्राकृत पद्यबंध श्री विजयचंद केवलीनु चरित्र. જૈન પાઠશાળ' DACCIAL AROGRE P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust
Page #2
--------------------------------------------------------------------------
________________ PASSOURASSIS श्रीचंप्रनमहत्तरविरचित श्रीविजयचंद केवली चरित्रम् / SARAS SUS4054064054064 मुनिराज श्रीहंसविजयजी महाराजनी प्रेरणाथी अने श्रीबुरानपुरना संघनी व्यसहायथी पावी प्रकट करनार श्रीजैनधर्मप्रसारक सन्ना जावनगर. वीरसंवत् 2432, विक्रमसंवत् 1962. मुंबई, निर्णयसागर प्रेस. HTRA DIAC Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak The
Page #3
--------------------------------------------------------------------------
________________ प्रस्तावना. ococcooश्रा चरित्र प्राकृत अथवा मागधी नाषामां गाथा बंदमां रचेलुं छे. आजसुधीमा संस्कृत ग्रंथो केटलाक बहार शपमेला बे, परंतु मागधीमां प्राये कोश्पण ग्रंथ बहार पडेल न होवाथी या बहु रसीक तेमज उपदेशक, परमात्मानी। नक्तिमां तत्पर करनार श्री विजयचंद केवलीनु चरित्र उपावीने बहार पामवानो अमे प्रयास करेलो ने. श्रा चरित्रमा श्री विजयचंद केवलीन चरित्र तो मात्र स्वरूपज . विस्तार मात्र अष्टप्रकारी पूजा उपरनां श्राप दृष्टांतोनो तेमज बेवटे कहेला सुरप्रियनां दृष्टांतनो . आठ कथा नीचे प्रमाणे - 1 गंधपूजा विष जयसुर राजानी कथा. 5 दीपपूजा विषे जिनमती ने धनश्रीनी कथा. 2 धूपपूजा विषे विनयंधरनी कथा. 6 नैवेद्य पूजा विषे हलीपुरुषनी कथा.. 3 श्रदतपूजा विषे कारयुगलनी कथा. 7 फलपूजा विषे पुर्णता स्त्री अने कीरयुगलनी कथा. 4 पुष्पपूजा विषे वणिकसुता लीलावतीनी कथा. जलपूजा विषे वीप्रसुतानी कथा. आ चरित्र श्री विजय वंश (ग) मां श्रयेला श्री अमृतदेवमूरिना शिष्य श्री चंद्रप्रभ महत्तरे संवत 1127 मां श्री देवावर नामना श्रेष्ठ नगरमा रचलुं बे. एकंदर 1063 गाथा बे. कोइ कोइ प्रतमां पांच दश गाथा उडीवत्ती पण जे तेनुं कारण श्रानी अंदर केटलीक देपक गाथा बे ते . | आ चरित्र मागधी जापानुं पण सारं शान आपे तेवू . श्रानुं शुछ गुजराती नाषांतर करावी सुधारीने अमे तैयार कयु के. पाववा पण मांड्यु जे. थोडा वखतमां बहार पमशे, जेथी गुजराती नाषा समजवावाला पण श्रा ग्रंथना रहस्यनो लाल लश् शकशे. KI आ मूल चरित्र श्री बुरानपुरना संघे मोकलेल अव्यनी सहायवमे मुनिराज श्री हंसविजयजी महाराज HERSONAKSHANKARE MIAC.GunratnasuriM.S. Jun Gun Aaradhak
Page #4
--------------------------------------------------------------------------
________________ अष्टप्र. मस्तान // 1 // BUKOBARAS 17.. नी खास प्रेरणावडे उपावी बहार पाडवामां आवेल ने. तेनी एकेक प्रत मुनिराजने, साध्वीने तथा पुस्तकलंडारना रदकोने नंडारमा मूकवा माटे जेट तरीके अर्पण करवामां आवनार . बीजा पण तेना खपी श्रावकलाईडने तेनो स्वरूप किंमतमां लाल मली शके एवी गोठवण करवामां श्रावी . आवा मागधी नाषामां गद्यपद्यमां रचायेला अनेक चरित्रो ने ग्रंथो शुद्ध अश्ने बहार पडे एवी अमारी अंत:करणनी श्वा बे, अने तेना प्राथमिक प्रयत्नरूप आ ग्रंथ बहार पाडवामां आव्यो ... | आ चरित्रग्रंथ खासकरीने चकचकीत आर्टपेपर उपर उपाववामां आवेल बे, तेथी तेमां खर्च वधारे श्रयेल जे. परंतु आवा उत्तम कार्यमां तेनी गणना करवामां श्रावती नथी.. M श्रा चरित्र शुद्ध करीने पाववा माटे त्रण चार प्रतोनी तथा शास्त्री उपरांत बीजा मुनिराजनी पण सहाय लेवामां आवी ने, अने बनी शकती जातमहेनत पण करीने, तेथी आशा ने के बहु स्वरूप अशुधिज मालम पडशे. / आ चरित्रनी जुदी जुदी प्रतमा घणा पागंतरो दृष्टिए पडवाथी तेमांना घणा पागंतरो तो दरेक पृष्ठ नीचे श्राप्या बे, ते उतां मागधी नाषा प्रचारमा उजी थइ जवाथी अने तेमां दरेक शब्दना घणा विकल्पो थता होवाथी क्वचित् कोइ स्थानके जूल जणाय तो एकाएक अशुद्धतानो विचार न लाववो; एम उतां को स्थानके नूल रही गइ होय तो तेने माटे दरगुजर करी विघजाने श्रमने लखवानी कृपा करवी के तेनो योग्य प्रसंगे जपयोग थ शके. बेवटे या चरित्र पाववामां दृष्टिदोषथी अथवा मतिदोषथी जे कां जून श्रइ होय तेने माटे क्षमायाचना करीश्रा टुंक प्रस्तावना समाप्त करवामां आवे . पोष शक्ल-१५ श्री जैनधर्मप्रसारक सजा. सं. 1962. / नावनगर. भा.श्री कैलाससाणर शादि शानमंदिर श्री महार जैन आगममा कला, कोया S A*%- . AASIG (BRAC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak
Page #5
--------------------------------------------------------------------------
________________ 436HPREHURIPHARMAISHUDHURIABROSOSIAL ॐ नमः सर्वज्ञाय। अष्टप्रकारी पूजानपर आठ दृष्टांतयुक्त श्रीविजयचंदकेवलीचरित्र। आर्या 4 सयलसुरासुरकिंनर विडाहरनरवरिन्दथुअचलणम्। जच्चसुवन्नशरीरं पणमह वीरं महावीरं // 1 // & कमलासने निसन्नं कमलमुहं कमलगनसमवन्नं। जुवनजणजणियतोसं जिनवाणिं नमह जत्तीए॥ अनि पुरं रयणउरं जारहखेत्तस्स मनयारंमि।तब परिवस राया रिउमद्दण नाम विकायो॥३॥ ना से अणंगरई रश्व रूवेण पउमदलनयणा / विसए मुंजताणं ताणं पुत्तो समुप्पन्नो // 4 // नामेण विजयचंदो चंदोश्व सयलजणमणाणंदो। बहुदेसनासकुसलोनजाओ अस्थि से दोन्नि पढमा य मयणसुंदरिनामे उश्या य कमलसिरि नामा। ताणुप्पन्ना पुत्ता कुरुचंदो तहय हरिचंदो॥ अह अमया कयाई विहरंतो तब आगो सूरि।तस्स परिवंदणचं वच्चश्रायासपरिवारो // 7 // सुणिऊण य परिकहियं संसारासारयं महाराज। सपए उविजं पुत्तं गिण्ह दिकं गुरुसमीवे // 7 // है विजयचंदो य पछा पाले कुलकमागयं रऊं। कुसुमपुरं वरनयरं देश तो विएटुचंदस्स // 1 सुन्नि / 2 नामा / 3 (हरिचंस्य)॥ OSIGUROSHIRISHISHIRAISHUSHUSHAHARA MHAc.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak
Page #6
--------------------------------------------------------------------------
________________ अष्टप्र. // 1 // सुरपुरनयरं ऽश्यस्स देश कुरुचंदनामधेयस्स।लेश सयं पवऊं केवलियो पायमूलंमि // 10 // विजयविहरश्मुणी महप्पा गीयबो गुरुजणेण अणुन्नायो।जग्गतवसोसियंगो गामागरमंमियं वसुहं॥ |वासारत्ते पत्ते' नीसेसं वजिऊण आहारं / पव्वयगुहाए निच्चं चि सो एगपाएण // 12 // || सिसिरे सीयं गिम्हंमिश्रायवं सहश्दूसहं धीरो।उवसग्गसहस्सेवि गिरिव नहु चलताणाओ॥18 एवं तवो विहाणं बारसवरिसाण सो चरेऊण / संपत्तो तुंगगिरि काणणवणमंमियं रम्मं // 14 तब सिलायलवटे घणघाश्चउक्ककम्मदलणळ / आरुहश् सुहलाणं निच्चलचित्तो महासत्तो // 15 // तग्गरुयकाणविमियमणाहिं गुरुसत्तजणियतोसाहिं। वणदेवयाहिं मुक्कासीसे कुसुमंजलीं तस्स१६ / काणानलेण धीरो महिऊणं घाश्कम्मवणगहणं। लोबालोअपयासं उप्पाम केवलं नाणं // 17 // उप्पन्ने वरनाणे सहसा देवेहिं बाश्यं गयणं / मुक्का य कुसुमवुही गंधोदयमीसिया सीसे॥१७॥ 12 वऊंति उंही नचंति सुरगणा तुझाउँ। गाय किंनरिसबो गुणनियरं विजयचंदस्स // 15 // || देवा शुणं ति तुझा गुरुमोहमहान जिणेऊणं / गहिया सिवसुहलली नाह तए जसैपमायव // 08 * श्य सुरसंथुयचलणो संपत्तनरामराए परिसाए।सुरकयकंचणपउमे उवविछो साहए धम्मं // 1 // “जीवो श्रणाइनिहणो चउगसंसारसायरे घोरे। जिनधम्मजाणरहिउ निवमपुकाई विसहंतो // 1 // चिंतामणिव फुलहो मणुयत्नवो सुकयकंमरहियाणं। लकेविहुमणुयनवेलहो जिणदेसिधम्मो 1 पत्तो / 2 सधं / 3 जय / R Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak TE!
Page #7
--------------------------------------------------------------------------
________________ धम्मस्स दया मूलं दयाए मूलं विसुवरनाणं।नाणे विहु संपत्ते सुपुलहो चरणपरिणामो॥ है तंमियखाश्यनावो खाश्यनामि केवलं नाणं / केवलनाणे पत्ते संपत्तं सासयं सोकं // 25 // श्य सोऊणं सब्वे केवलिमुहकमल निग्गयं वयणं / पमिवन्ना किवि दिलं अन्ने पुण सावगा जाया | सुरनरकिंनरदेवा सवेवि य केवलिं नमिऊणं / हरिसिय हियया सेवे संपत्ता निययगणेसु // // नयपि विजयचंदो देविंदनरिंदवंदपरिमहि। विहर मही महप्पा बोहंती नवियकुमुयाई // ॐ विहरंतो संपत्तो कमेण कुसुमप्पुरंमि नयरंमि।जब सुयो सुपसिझोहरिचंदो पलिवो वसई ए| है सुरनरकयपयपूर्व बहुसावयसाहुसंघपरिपूर्छ / गंतूण समोसरि नयरीए बाहिरुशाणे // 30 // & सुरनरवरपरिसाए सुरकयकणयासणंमि उवविछो।सुरसंथुयपयकमलो धम्म कहिचं समाढत्तो। एत्थंतरंमि राया हरिचंदो नयरबाहिरुलाणे।सोऊण नियय जणयं समागयं तिअसकयपूवं॥३५, हरिसाऊरियहिय नियपुरनरनारिलोउँपरियरि। राया वंदणहेचं समाग नियय जयस्स दखूण मुणिर्वरिंदंदूराउँ करिवराजे उत्तरिखं।आणंदबाहजलनरियलोयणो नमश् मुणिचंदं॥३॥ | मुणिवश्णा विहु रणो सीसे दाऊण निययकरकमलम्। जणि नवनिद्दलणो होसुतुमंधम्मलाहेण 8 नीसेसेविय मुणिणो जत्तीए नमंसिऊण नरनाहो। उवविछो गुरुमूले धम्म सोसुण नवनी 36 | 1 पडिवन्नाय / 2 वलिया / 3 महीं / / बोहितो / 5 कुसुमपुरंमि / 6 लोय / 7 तायस्स / 7 मुणवरिंदं / / एनीसेसाविय। CHAc Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak
Page #8
--------------------------------------------------------------------------
________________ अष्टप्र. * पंचमहत्वयरूवो जइ धम्मो वीचरेण से कहिउँ। सावगधम्मोवि तहा पंचेव अणुव्वया // 37 // विजय1 तह जिणवरस्स पूा सविसीसे सावगाण कायवा / संसारोवहिमहणी जणणी निवाणमग्गस्स॥ चंद. नमिऊण मुणिवरिंदजंपइसाहेह नाहे जिणाकविहन्नेथा जणिया किंव फलं तीए विहियाए / & श्यनणिएमुणिनाहोजंपश्नरनाहसुणसु जिणपूला। कविहन्नेबानणियाजंचफलंतीएविहियाए / वरगंध 1 धूय 2 चुकरकएहिं 3 कुसुमेहिं 4 पवरदीवहिं 5 / नेविङ 6 फल 7 जैलेहिं न जिणपूया अध्हा होई॥४१॥ अंगं गंधसुगंधं वन्नं रूवं सुहं च सोहगं। पावर परमपयंपिहु पुरिसो जिणगंधपूयाए // 4 // जह जयसूरनिवेणं जायासहिएण तश्य जम्ममि / संपत्तं निवाणं जिणिंदवरगंधपूयाएँ // 3 // " गंधपूजापरनी कथाना प्रारंजमा एक प्रतिमां - मी गाथा पजी नीचेनी उगाथा वधारे " .. पणमह तं नान्निसुयं सुरवसंकेतलोयणसहस्सं / कमकमखंव विराय नह सिधे जस्स पयजुयले // 1 // नमिय सुरासुरसुंदरिजालयलगलंतकुसुमकयपूयं / पणमह जयसिरिनिलयं सेसजिणाणं च पयकमलं // 2 // विहमियकम्मकलंक कयकेवलतेयतिहुयणुजोयं / सुरनरकुमुयाणंदं नमह सया वीरजिणइंदं // 3 // नमह सुरासुरमहिए सिधे नीसेसकम्ममलरहिए / निम्मलनाणससिके सिधिसुहसासयं पत्ते // 4 // जीउपसायसमीरणसमादयंगलश्मेहविंदं च / अन्नाणं जीवाणं तं नमह सरस्सई देविं // 5 // निसुण सुयणो तह. सुजाणोन गुणदोसग्गहणकयचित्तो। सिरिविजयचंदचरियं परितुमिनिबंधणं भणिमो // 6 // 1 संसारोदहि।२ नाण / 3 जलेदिय / जिणपूाणेगहाणिया / 5 सुयंधं / 6 सुयं / मिमि। पूया। OSHIHIRISHOISISTUSRAHASIS * * * LAc.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak
Page #9
--------------------------------------------------------------------------
________________ ॥गंधपूजाविषये जयसुरनृपकथा प्रारंन // वरवेयवनगिंदे' दाहिणसेढी गयपुरे राया। खेयरवई जयसूरो नजांवि अ सुहमई तस्स॥४३॥ तीए सग्गार्ड चु उत्तमसुमिणेण सूज संतो / गब्नंमि समुप्पन्नो संमदिघी सुरो कोइ // 4 // किसिया कीसकिसोयरिसाहसुजश्तुनदोहलोकोवि।श्यनणियादशएणंपनणसासामि निसुणेसु र जाणामि जश् तए सह अधावयपव्वयाइ तिजेसु। वरगंधेहिं सयंचिय करेमि पूयं जिणंदाणं // 46 // है। श्य जणिए सहसच्चिय नरवश्णा वरविमाणमारूढा।सा सुकएणविनीया अहावयपव्वयं तिबं॥ पम्पमुह संख काहल रवेण काऊण मजणं विहिणागंधेहिं कुण पूयं हरिसियहियया जिणिंदाणं - जा उत्तरश्नगाठ संपुन्नमणोरहा विसालछी। तावणगहण निकुंजे अग्घाय ऽस्सहं गंधं // 4 // पुल विम्हियहियया वरकुसुमसमाउलंमिरन्नंमि। कस्सेसो ऽग्गंधो पुस्सहो सामिय मुणीणंपि | तेणविसा पमिनणिया किं न पिए एसें पिछसे पुर।उनिय जुयदंम्जुझं महामुणिं गुरुसिलावट्टे॥ | उहियथिरदेहं निम्मलसूरम्मिदिन्नदिहीयं / घोरं तवं तवंतं तियसाणवि तास संजणय॥५॥ है। सूरखरकिरणतावियतणुस्स मलमयलसेयकिनस्स। उछल सरीराजे एयस्स ये ऽस्सहो गंधो // पत्नण सा मुणिधम्मो पन्नत्तो सोहणो जिर्णिदेहिं / फासुयजलेण न्हाणं जश् कुजा हुजाकोदोसो | PI एवं सा पत्नणंती नणिया दशएण नणसुमा एवं / संजमजलेण न्हाया निच्च सुई मुणिवरा डंति १गिरिदे / 2 सुहम्म। 3 निगुंजे / 4 / 5 कन्नस्स / 6 स / 7 दिछो अह / S c Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak To
Page #10
--------------------------------------------------------------------------
________________ // 3 // अष्टप्र. तहविदुः परकालिज अंगं एयस्स फासुयजलेण।जेणावणेश्गंधोश्य जणि ती निय दर्ज // नाऊण निछयं नियपियाश्गहिऊणपोर्णिपुडेहिं / पचयनिशरणानिवतं फासुझं नीरं // 5 // है परकालिऊण नीरेण सहरिसं मुणिवरस्स तंदेहं।अनिविमं दोहिं पिवि विलंपिउँ सुरहि गंधेहिं | नमिऊण मुणिवरिंदं उन्नवितं वर विमाणमारुहिजं।वचंताजश्त्थं वदंति जहिछिए तिबे॥५॥ / मुणितणुगंधविबुझा मुत्तूणं कुसुमियंपिवणगहणं। निवझति साहुदेहे जुगवंपिहु महुयरा बहवे॥8 कयमहुयरोवसग्गं घोरं अश् दूसहं सह धीरो।श्रापूरियताणा न चलश्सो कंचणगिरिव // 6 // |8 पवंतरा वलियो तिबाणिनमंसिऊण सो खयरो। संपुत्तो मुणिदेसे ता जणि निययजङाए॥ सामिय एसपएसो दीसश्सोजब मुणिवरो दिछो।न हु दीस सो संपर जोऊतोवि पुणं श्च // नणियाय तेण दएँ जब पएसंमि सो मुणी दिछो।तब पएसेदीस दवदवोकीलगो एगो // 6 // जाव निहालंति पुणो समं गयणंगणा अवयरिख।ता पिछति मुर्णिदं खजंतं नमरेहिं // 6 // उवयारो विहु एसो श्रवयारो मुणिवरस्स संजा।अचिंतिऊण खयरो निझाडे३ महुअरे सवे // 8 श्तो उवसग्गंते घाश्चउक्कंमि तस्स खीणंमि।उप्पन्नंऽहदलणं केवलनाणं मुर्णिदस्स // 6 // चविहदेवनिकाया केवलिमहिमं कुणंति संतुझा।मुंचंति कुसुमवासं गंधोदयमीसिअंसीसे॥६० है 1 पनमिणि / निवडं / 3 विलिंपिठ / पदबेहिं / एश्रावंताइनहेणं / 6 संपत्तो। 7 किं। दश्या। ए सम्म / 10 कसिण / 11 निझामइ / MORECORRECORRUPCOCONSORRC // 3 // AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak T
Page #11
--------------------------------------------------------------------------
________________ जयसूरोवि नरिंदो सहि नजाइपायपमिलग्गो। पत्नणखमसु मुणीसर जंरश्यं तुझे उच्चरियं॥ है। * जंपश्मुणिवरिंदो नरवर मा वहसु निय मणे खेयं। जंजेण कयं कम्मंतं सो अणुहंव नियमेण // अन्नं च॥जो पुणकुणश्छुगंबंमलमयले मुणिवरं निएकण।सोहोगंबणिजोजवे नवे कम्मदोसेणं ] जेण नणिमलमश्लपंकमयला धूलीमश्लानतेनरामश्लाजेपावपंकमश्लातेमश्लाजीवलोगंमि सोऊण श्मं वयणं नवनीया नणश्सुहमई एवं / जयवं पावाश्मए तुम्हेवि सुगंबिया पुच्विं // 73 खामश्पुणोपुणोवियंचलणेसुविलग्गिऊणमुणिवसहोतेणविसापरिजणियाजद्दे माँ कुणसुमणखेयं 4 एवं खामंतीए एवं सवपि सोसिय कम्मं / नवरं तु एगजमे अणुहवियत्वं तु नियमेण // 5 // धम्म सोऊण पुणो पयकमलं पणमिऊण केवलिणो। नियनयरं संपत्तो सो राया पिययमासहि॥ संपुंन्नदोहला सा सुहमश्सुमणोहरंमि समयंमि।सुहदारय पसूत्रा पुत्व दिसाचेव दिणनाहं॥७॥ कहाण नामधेयं रऊं दाऊण तस्स सो राया। पवजं पमिवन्नो गुरुमूले पिययमासहिजे // 7 // पवळं काऊणं सोहंमे सुरवरो समुप्पन्नो सुहमविय मरिऊणं देवी तस्सेव संजाया॥ ए॥5 जुत्तुं सा सुरसुखं चविऊणं हविणारे नयरे।जियसत्तुमहीवश्णो जाया धूया विसालछी // मयणावलिनामाए देहोववरण पत्तसोहाए / परिणय, तीए सयंवरो राश्णा विहिर्ज // 7 // 1 तुन / 2 कुणसु३ मश्लं / / गंजणि / 5 पुणविय / 6 पडिजणिया। उ नदि तुम कुणसु मा खेयं / | कोसियं / एव / 10 संपन्न / 11 पुबदिसाएव / REAC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak i
Page #12
--------------------------------------------------------------------------
________________ अष्टप्र. // 4 // मिलियाय तब बहवे विजाहर किंनराय नरवश्णो / सो मुत्तुं वरियो सीहधर्म सिवेपुरावासी॥ गंधपू. सवंतेउरमऊ संजाया ववहा नरिंदस्स / नियजीवियअन्नहिया सीया श्व रामदेवस्स // 3 // मन तं उवयारं तीए विडाहरेवि मुत्तूणं / एयाश् अहं वरि सयंवरे पायचारीवि // // एवं सह नरवश्णा विसयसुहं ती अणुहवंतीए। उन्नं तं कम्मं जं जणियं मुणिपुगंडाए 5 उबलियो ऽविसहो निवणदेहाउ ती तहें गंधो।जह थुलुत्ति नणंतो नास नयरीजणो सवो है तं दळूण नरिंदो ऽस्कनरानारपीमियसरीरो। दंसे सुविजाणं तेहिंपि विवजिया दूरं // 7 // घोरामवीश्मने तुंगमहालवणसंठिया वसइ / दूरयि सुहडेहिं रस्किडंती पयत्तणं // 7 // चिंतश्ऽस्कियहियया धिरतुंमे जीवियस्स एयस्स।जेणेरिसं सरीरं विणिम्मिय हय कयंतेण || अहवावि पुवनवे पावं अश्दारुणं मए चिन्नं / तेणेरिसो विवाओ संजाउँ मसदेहस्स ॥ए॥ तासहियत्वं एयं किं बहुणा विल विएण एएण।श्य चिंतिऊण सुरं संधीरई अत्तणो हिययं // 1 // है एवं जा पद्धंके चिहश् गुरुकुरकनिप्परसरीरा / ता वरजुवर्णंगवके पिलश् सुगमिहुणगं एगं ॥ए॥ नणि नियदश्याए सुसुश्गाश्पढमरयणीए।साहसु मनमहायस कहाणयं किंपिरमणीय।ए३॥ * मयणावलीविचिंत संतुहा साहु जंपियंमिमीए।जश् साहश्तोमस विडकविणोोकोहोश। 1 सीह / 2 सुरपुरावासी। 3 विजाहरवि। / तोगंधो। 5 धिरुन। 6 विनिम्मियं / अहवाविय / / ४सा धीर। ए जा।१० जवण। सोचा Jun Gun Aaradhak. Tn R AC.Gunratnasuri M.S.
Page #13
--------------------------------------------------------------------------
________________ तेणविसा पझिजणिया-चरियं उय कप्पियं तुह कहेमोहनणिएसाजंपश्चरिएमह नाहसंतोसो है जह जयसूरोराया सुहमश्नामेण तस्स जह नजा।जह अहावयगमणं मुणिणो जह गंधपूयाए॥ जह देवलोगगमणं चवणं मयणावलीए पजंतं / तं सुहमईए चरियं नीसेसं साहियं तेण ॥ए॥5 18 मयणावलीवि इत्तो सोऊणं तस्स नासियं सव्वं / संचरई पुव्वजाइं निंदर अप्पाणयं तत्तो॥ ए॥5 चिंतश् मणं मि तो सा सवंचिय मन साहियं चरिय। एएण वरसुएणं हिं जं कहश्तंसुणिमो॥ * जंपश्पुणोविसुयगी सा संपश् कहहुँ कत्थ परिवस। एसा सातुह पुर चिश्मयणावली नद्दे // एयाये पुवनवे मूढाए जं पुगंबिऊ साहू / तेण उगंबियदेहा संजाया श्व जम्मंमि // 11 // - संपश्ज सत्तदिणे तिन्निवि संताज पवरगंधेहिं / पुजा जिणवरचंदं तो मुच्चश्वसणपुका॥१०५२ *मयणावलीवि एवं सोऊणं नियय सवमाहरणं / परिकवर सपरितुहा पुर तं कीरमिहुणस्स // ॐ तत्तो तं सुयमिहुणं तीसे सहसा अदंसणी ह्यांविम्हियहियया चिंत कह कीरो मुणश्महचरिथ पुलिस्संनाणजुझं एवं सुअवश्यरं विसेसेण / ता पूएमि जिणिंदं गंधेहिं विसुझबुडीए // 15 // 18 एवं विचिंतिकणं पूयंतीए जिणं सुगंधेहिं / मंतेहिं पिसा श्व नहो देहाउं उग्गंधो // 16 // र दळूण तं पण गंधं देहाउ अत्तणो सवं / आणंदबाहुँजलनरिय लोयणा जत्ति संजाया॥१०॥ / 1 एवं / सोऊणय / 3 सू। 4 नाह / 5 सबमुयाहरणं / 6 सुपरितुन / 7 एयं / चिंतेऊण / ए च / 10 बाह / 11 संबुद्धा / Clic Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak TE!
Page #14
--------------------------------------------------------------------------
________________ अष्टप्र. // 5 // वजाविश्रो नरिंदोमयणावलिपाससंठियनरेहिं / देवी वियलियगंधा संजाया देवपुन्नेहिं // 17 // गंधपू. अमयरसेण व सित्तो तं वयणं निसुणिऊण सो ताण / दाउं पजूय दाणं संपत्तो तीय पासंमि॥१०॥ तहसणतुणं नरवश्णा गयवरंमि आरूढा ।आणीया नियगेहं सा नजा परम नेहेणं // 11 // 8 संतुझो जा राया नयरंमि महसवं कुणई रंमं।ता देवीइसमे जणि उडाणपालेणे // 111 // देव मणोरमनामे उजाणे अमयतेय मुणिवश्णो। लोयालोयपयासं उप्पन्नं केवलं नाणं // 11 // इत्थंतरंमि राया जणि देवीहरिसियमणाए।सामिय महूसवा एसो परमूसवोरंमो // 113 // है। तागंमत मुणिपासे समयं चिय सब नयरिलोएणाश्य नणिएँ संचलिश्रो संपत्तो मुणिसयासंमि॥ केवलिणो पयकमलं नमिऊण सपरियणो वि नरनाहो।उवविछो पयमूलं धम्म सो समाढत्तो॥ पत्थावं लहिऊणं पुछो मयणावलीमुणिनाहो। जयवंको सो सुयगो"जेणारं बोहिया उहिया॥|| नणिया सा केवलिणा नद्दे तुह एस पुवनवनत्ता। देवो तुझसयासे समागर्म कीररूवेण // 11 // |तित्थयरा मुणी सविसेसं तुझ संतियं चरियं / तुहपुकनासणत्थं साह सुयमिहुणरूवेणे॥ || पुनश् पुणोवि तुझा नयवं सो"श्च सुरसमूहंमि। चिश् सो देवसुश्रो साहसु श्रेश्कोअगं मला नणिया जो तुह पुरोचिश्मणिरयण कुंमलाचरणो।सो एसोदेवसुश्रो नद्दे तुह पुत्वन्नवनत्ता॥ 1 ती३।२ पवर / 3 करावे।४ उजाणपालेहिं। एअमहसवो। ६नयरलोएणं / जणि / मुणिसगासंमि।। ए य / 10 पयमले / 11 सूत / 12 तह कीररूवणं / 13 तुह / 14 अश्कोन्यं / // 5 // C AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak TE!
Page #15
--------------------------------------------------------------------------
________________ गंधपू. अष्टप्र. मयणावली वि अजा रयणीए नियय आसम ज्वारोनिच्चलसाणंमि चिया सा दिहो तेण कुमरेण॥ दिवविमाणारूढो कंचणमणिमउमसियसरीरो।सो विजाहरकुमरो पयमंतो अत्तणो रिकिं 134 पनणश्कीस किसोयरि उग्गतवं कुणसि कहसु मम एयं। जश्श्चसि जोगसुहं ता निसुणिसु / नासियं मन // 135 // अहयं खेयरकुमरो मियंक नामुत्ति रयणुमालाएँ। पाणिग्गहणनिमित्तं गचंतेणं तुम दिहा // 136 // थारुहसुक्रविमाणं रयणमालाए किंपिन हु कऊं / जसु उत्तमसुकं मए समं खयरनयरंमि // एवं पत्नणंतस्स य अणेय चाडूणि जंपमाणस्स।न चल नियसत्ता सुनिच्चला मेरुचूल // 13 // जह जह मयणवियारे दंसश्सो पुवजम्मनेहेण।तह तह सा सुहकाणं श्रापूरेश्गुरुयसत्तेणें // 13 // || जा सो मोह विमूढो अणुकूले कुणश्तीश्वसग्गे। ताजत्ति ती विमलं उप्पन्नं केवलं नाणं // 14 // देवेहिं कया महिमाखिविया कुसुमंजलीविसीसंमिातासो विह्मियहिय पलोयए तीमुहकमलं होऊण तुमं खयरो मए समं निवसिऊण सुरलोए।जाउँ पुणोविखयरो तहविहु नेह नउड्डेसि 142 तह्मा चयसु महायस एयं संसारकारणं मोहं।होऊण एगचित्तो धंमंमि समुङमं कुणसु // 14 // श्य केवलिवयणा सरिऊणं पुत्वजम्मसंबंधं / संवेगसमावन्नो जप्पाम अत्तणो केसे // 14 // | 1 दिक्षा सा / 2 एवं / 3 निसुणसु / / रयणमालाए। एमए / 6 न रयणमालाए किंपि महु कऊं। 7 अठाणेग। मेरुचूलिब / ए आरुह।१० गरुय सत्तेणं / // 6 // Ac:Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak. TE!
Page #16
--------------------------------------------------------------------------
________________ * सा गंतूणं पक्षण साहुतुमे सुयणु बोहिया अहये। तुह उवयारस्सअहं पमिउवयारं नहुसमना है तेणवि सा पमिलणिया नदेहं अऊ सत्तमदिणा।चविऊण खेयरसुयो होहामि नश्व संदेहो / पमिबोहेयवोऽहं पमिवन्नमिमी तस्स तं वयणं।जह होहीमहनाणं बोहिस्सं मुयसुमणखेय॥१५३ | 2 श्य जणिए सो देवो संपत्तो सहसुरेहिं नियगणं।सा विहु नियजत्तारं पनणश्महुरोहिं वयणेहिं 124|4|| 4 जुत्तं सुरलोयसुहं मणुयत्ते विहु तुमे समं नाह / हिंमुयसु महायस करेमिकलयं तेण॥१२॥ विहिणो वसेण सुंदरि रयणं नियकरयलाउ पनऊं / पुणरवि करयलचमियं को मुअ वियरको पुरिसो // 16 // जाणामि तुझ हिययं तह विहुमा नाह कुणसु पमिबंध। संजोयाउँ विगो जण कस्स नहोश् संसारे / गुरुनेहमोहमूढो पमिवयणं जाव देश् नहु राया।ता गुरुणो हरेणं पविऊईकत्ति सा दिकं // 12 // नमिऊण मुणिवरिंदं बाहजलापुन्नलोयणो राया। पणमश् सगग्गयगिरो पछा मयणावलिं अऊं // सुणिकण पुणो धम्मं गुरुमूले उहित राया। संपत्ते नियनवणे सविसेसं कुण जिणधम्म॥१३॥ मयणावली वि अजा विहरश्अजाहिं सह विहारेण / उग्गं तवो विहाणं कुवंती नावसुकीए // देवो विय चविऊणं उप्पन्नो पवण खेयरसुयत्ति" / जोयणे गुणसंपुन्नो नामेण मियंक नामुत्ति॥१३॥ हूँ 1 सुयण / 2 अहियं / 3 पडिवन्नं तस्स ती। 4 करयलपत्तं / 5 संजोगाउ / 6 पडिविज / 7 गुरुयणहै मूले समुछि राया। संपत्तो। ए य / 10 पवरखेयरसुय। 11 जुवण / 1 Gunratnasuri M.S Jun Gun Aaradhak
Page #17
--------------------------------------------------------------------------
________________ ॐSSAS पक्षणश्चलणविलग्गो जयवइ सत्वं पयंपियं तुमए। पमिबोहि अअहयं पमिउवयारो कर्म तुमए॥ श्य नणिऊणं खयरोसम्म पमिवजिऊण जिणदिवं। जग्गतवखवियकम्मो संपत्तो सासयं ठाणं / केवलिपजायं पालिकण पमिबोहिऊण जव्वजणं' / मयणावलीवि अजा संपत्ता सासयं सुकंर४७ सुहमइ गंधपूया कहाणयं संमत्तं // पूजाष्टके प्रथममाख्यानकं गंधविषयं समाप्तं AUSMIRILISHIRISHISHASHIRISHISHICHASIS १जवियजणं / . ... SSSSSSSS . RA.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak TEIS
Page #18
--------------------------------------------------------------------------
________________ I BIRISH // 7 // अथ धूपपूजा कथानकम् / मयणा हिचंदणागरु कप्पूरसुगंधगंधधूवेहिं / पूयश् जो जिणचंदं पूजाश् सो सुरिंदेहि // 1 // जह विणयंधरकुमरो जिकिंदचंदाण धूयनत्तीएं।जा सुरनरपुङोसत्तमजम्मंमि सिको य॥२॥ पोयणपुरंमि नयरे राया परिवस पसरियपयावो। नामेण वयरसीहो सीहो श्व रिजगदाणं // 3 // सवंतेउरम हिययहरा तस्सनारिया कमला।बीयाय अविमला विमलगुणा जयपमायव॥४॥ उन्हं पिताण पुत्ता कमलो विमलो य सुंदरावयवा। एगंमि दिणे जाया उन्निविहिणोनिउँगेणं // 5 // विझियहियर्ज राया पुबर नेमित्तियं पयत्तेण / को मतपयसमुचिळ साहसु एयं गणेऊणं // विमलाए उवयरिङ पत्नण नेमित्ति गणेऊणं / तुह कमलाए पुत्तो सवं रऊ पणासेही // 7 // (तुह हबा रङ कमलापुत्तो विणासिहश्॥) पागंतरं / लकणगुणसंपन्नो निम्मलेंगुणरयणसियसरीरो।एसो विमलापुत्तो तुह रऊधुरंधरो होही // 7 // नेमित्तिय वयणाउँ राया पन्छन्नकोहपऊलि / आणावई नियपुरिसे कमलं रन्नंमि बड्डेह // // ते रयणीए गंतुं कमला अंका रोयमाणाए / दसदिणजायं बालं गहिऊण विणिग्गया रन्ने // 1 // मुत्तूण रन्नमले समागया राश्णो निवेयंति / तब विमुक्को सामिय खणंपि नो जीवए जब॥१९॥ 1 जिणिंदवर धूयदाण जत्तीए / 2 तस्स 3 सुन्निवि विहिणो / / विमल / 5 वयणेणं / 6 आणवइ / 7 नियय पुरिसे / निवेइंति। HARSINGERANGANAGAR SHARIPOSASTOKROSS // 7 // Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak
Page #19
--------------------------------------------------------------------------
________________ तं वयणं सोऊणं बाहजलापुमलोयणो राया। पछत्तावेण हर्ज जलंजलिं देश पुत्तस्स // 15 // सुयविरहे कमलाए तह रुन्नं पुस्कनिप्परमणाए।जह करुणाहय हियरुआवियो' नयरलोगोवि१३] 7 दणं तं बालं जासूमो चंचुसंपुडे काउं / उप्पन्नो गयणयले दिछो ता अन्न सउणेण // 14 // 8 // ते दुन्नवि नारेमा बुझा बालंमि जाव जुनंति / ता चंचुसंपुमा पाहो पमिउँ कूमि // 15 // अश् तिह्ना नमिएणं गिरायवपीमिएण पुरिसेण / जलबुझेणं पुत्विं पमिएणं तंमि कूवंमि॥ 16 // उजोयंतो अयमं समंतउ निययदेहकंतीए। निवतो सो दिछो उकापुंजव्व पहिएण // 27 // जाव जले नहु बुड्डश्ता जुयदंडेण तेण गिहिऊण / वछबले निहित्तो पुत्तोश्व नियय जणएण॥१७॥ चिंतश्मणं मिपहिर्ज नहुपुकं श्च म मरणं पितं फुकं पुन पमि कह बालो श्वजीविहिई श्रहवा किमणेण अहं पंथिई" श्वजीवियवपिजीवाविजार पुरिसो पुवजियकम्मणा चेव॥8 जावेवं परिचिंतश् हियय निहत्तेणें तेण बालेण / ता तहैं सुबंधु नामो संपत्तो सम्बवाहुत्ति॥१॥ |बालो बुहाश्नमि कंवंमि विलग्गिऊण पहियस्स। रोयश् करुणसरेणं चालतो"ऽकसलाइं२५ है। तंदण रुअंतं पहिउँ बहुउरकसलियसरीरो। रोयश् विमुक्कधाहो बालं विऊण अंकमि // 3 // | 1 रोयाविन।नयरिलोवि।३ उप्पल / 4 गयणयलं / 5 पड। 6 पहिएण / 7 गहिऊण / मरणं मि।। ए मुखं पुण बुहनडि। 10 जीविहिही 11 वि पनि / 12 जीवियबंमि। 13 जाएवं १४निहित्तेण।१५ तब। 16 सुधण। 17 संचाल। 10 रुयंतं / c.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak
Page #20
--------------------------------------------------------------------------
________________ श्रमप्र // on जाजलगहणनिमित्तं समागया सबवाहनियपुरिसा।तं निसुणंति रुयंतं कूवाउ समुहियं सदं // 4 // (ता निसुणंति य सदं / कुवमाध्यिं सत्वं ॥)पागंतरं तेगंतूण मसेसं सवं साहंति सबवाहस्स / सोविय सह पुरिसेहिं समागउँ अयमदेसंमि // 25 // तं दारएण सहियं पहियं सवायरेण सबाहो / कढवई मश्कुसलो विहियपउँगेण जं तेण // 26 // पजण पहष्मणसो सम्बाहं पण मिऊण सो पुरिसो।जीयं दितेणं दारयस्सँ महजीवियं दिन्न॥७॥ सत्थाहेण विजणियं कोसि तुमं दारगोवि को एस।जेणेसो पमिबंधो अहिययरो दारगेतुन 0 है पहिएण जणियं / दारिदपुकतविउ चलि देसंतरंमि जाविछ। बाढं तहान मिर्जापमिळ ता कूवमर्श मि // शए॥ गयणयला एसो दिछो कूवोवरिंमि निवझतो। गहिर्ज करुणाश्मए जा एयंमि पमिबंधो॥३०॥ असमलोऽहं एयं पालेलं वित्तवङिा जमा। गिह्नसु एयं सुपुरिस दिन्नो तुह दारगो एसो // 31 // 18 *सबाहेणवि गहिजे हवा तस्सहरिसियमणेणें / दिन्नं च तहा दाणं जह जाउँ धणवई पहिउँ 32 है। विणयंधरुत्तिनामंकाऊण समप्पिन पिययमाए / साविय गरुयसिणेहा पालश्तं पुत्तनेहेण // 33 // & विणयंधरं गहे अणवरयपयाणएहिं संचलिउँ / संपत्तो नियनयरे सबाहो कंचणपुरंमि // 3 // 1 असेसं / 2 साहिति / 3 निय / 4 अगडदेसंमि / 5 कढ़ावे। 6 दिंतेणय / 7 दारगस्स / ०य / ए तम्हा गिन्हसु एयं / 10 सवाएणवि / 11 मणेणं / 12 गुरुयसिणेहा। // G IA. Gunratnasuri M.S. - Jun Gun AaradhakTIA
Page #21
--------------------------------------------------------------------------
________________ दीस पुत्तसरिलो विणयंधरोजशवि' सबवाहेण।तह विहु जणेण वुच्च कम्मगरोसबवाहस्स३५/8/ | अहिययरं पूमिज विणयंधरो तेण लोयवयणेण।अहवा परघरवासी मिळाश् को न जियलोए॥ अह अन्नया कयाई कीलंतो जिणहरंमि संपत्तो। निसुण साहुसयासे धंमं जिणधूयपूयाए // 37 // मयणाहि' चंदणागुरु कप्पूर सुयंधे धूवपुप्फेहिं / पुजाश्जो जिणचंदं पूजाश्सो सुरिंदेहिं // 30 // श्य निसुणिऊण वयणं विणयंधरो नियमणं मिचिंते।ते धन्ना जे निच्चं पूयंति जिणं सुधूवेणं॥३॥ (ते धन्ना जे धूवेहिं / पूयंति जिणं सुगंधेहिं // )पागंतरं अहयं पुण असमबो एगंपि दिणं जिणस्स पूयाए।तम्हा धिरत्थु जमो मह एसो धम्मरहियस्सा || 8 एवं परिचिंतितो समाग जाव अत्तणो गेहे। ता गंधिएण धूवो समप्पि सबवाहस्स // 3 // || तेणवि पुझियनिबकोसमप्पि परियणस्स सोसबो। विणयधरेणवि लको संतुझो अत्तणो हियए॥ नियपरियणेण दवो सो धूवो चंमिया देवाणं / विणयंधरेण नी संसासमयंमि जिणनवणे॥४३॥ पकालियकरचरणो बंधेलं नासियं च वजेण / महिऊर्ण समाद्वृत्तो तं जिणपुर पवरधूयं // 4 // विवरइ धूवगंधो सवत्तो महियलंमि गयणंमि / धूयकमुठ्यहलो कुण पन्नं च सो धीरो॥४५॥|| जाव न पऊलश्श्मो मसंतो कमबुंयहियधूछ। ताहं जीयंतेविहु वच्चामिन निययगणा // 46 // || 1 जयवि।२ कम्मकरो।३ मयनाहि / / चंदणागरु / ए सुगंध / 6 गंधधूवेहिं / 7 सुणिकणं / 7 परिचिंतंतो। |ए दहिऊण / 10 कमलय। 11 कडाएन्।ि 12 जीवंतो। 13 नियगेहंपि। Ac.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak
Page #22
--------------------------------------------------------------------------
________________ अष्टप्र. // // श्तो गंधविबुझा गयणयले' जण जरिकणीजवं।सामिय एस जुवाणो जिणपुर मह वरधूयं 6 ताखण धरसु विमाणं जावेसो बहलपरिमलं धूयं / महिलं जिणस्स पुर संचबई निययगणा महिला सहावजणियंतीसे सो जाणिकण कुग्गाहं। विसहररूवं काउं समागर्म तस्स पासंमि॥ए। जीसणरूवं काउं एयं चालेमि निययगणार्छ / जेणेसा महमहिला गमणारंने मई कुण॥५॥ दहुं नहो लोर्ज, तंजक विणिम्मियं उरगरूवं। मुत्तूणं विणयधरं, सप्पो सप्पुत्ति कुणमाणो॥५१॥ * चिंतश्रुको जरको, नहोसबोवि मतसंकाए। एसो सेवुव चिन, नहु चलि निययगणा // 5 // ४ता तह करेमि संपश्, जह एसो जीवियपि उड्डे / श्यचिंतिकणं जको, विसहररूवेण वेढे // 53 // [3 मोडे अहिया, अंगं अंगेण तस्स पीडे। तहविहु नियगणा न चालिङ तेण जकेण // // इत्तो" सो संतुझो, जस्को होऊण तस्स पञ्चको। पजण तुह सत्तेणं विणिजिउँदेमिजंजणसि५५|| संपुन्न पइनेणं नणियं विणयंधरेण नमिऊण / संपन्नं मह सवं जं पत्तं दसणं तुझ" // 56 // अहिययरंतुझेणं नणियं मा लणसु एरिसं वयणं / जमा न होइ सुपुरिस देवाणं दंसणं विहलं 57 2 श्य नणिऊँणं वयणं हरि सिय हियएण तेण जकेण। विणयंधरस्स दिन्नं विसहरविसनासणं रयणं / अन्नं च किंपि पत्नणसु नणिए नणियं च तेण नमिळण। पहणसुकंमगरतं मन कुलं पायमं कुणसु 4 गयणेय। दह।३ ता खलसु वरविमाणं / / बहु / 5 दहिऊणं जिणपुर / 6 संवदइ। जमाणो। जरकोरुने। हाएरूसिऊण।१०विलसिर 11 एत्तो।१२पयन्नेणय / 13 संपत्त / 14 तुह्म / 15 नपिऊणय 16 हरसिय।१७कम्मकरतं // // W Ac.Gurnratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak TIL
Page #23
--------------------------------------------------------------------------
________________ एवंति पजणिकणं सहसाजरको अदंसणी दूर्छ ।विणयंधरो विहु जिणं नमिळणं लणश्नत्तीए 60 / सामिश्र अंनाणंधो,तुह गुणपंथंमि गंतुं न समबो'।तं होउ मन पुन्नं, जं जिण तुह धूयदाणेणं 61 / श्य थुणिऊण जिणंदं पुणो पुणो पण मिऊण नावेण / अप्पाणंसुकय मन्नतो आगलं गेहं 6 अह तंमि चेव नयरे, रयणरहो नाम नरवई वस।नजाविध कणयाना, नाणुमई कंनगा तस्स 63 5 सा बहुसुयाणमुवरि ,संजाया वसहा नरवश्स्स। विहिणो वसेण मक्का, सा सुत्ता जग्गजुअगेण 64 श्य धाहधाहधावह, रायसुझा विसहरेण मक्कत्ति"।श्य कोलाहलसद्दो रंनो जुवणं मि उन्नलिउँ६५ र किंकिंति उबवंतो" नयणंसुजलेण धोश्य कवोलो।सह परियणेण राया समाग कंनगा जवणं / ॐ तो सुकं कळंपिवनिच्चिकं पिलिकण तं" कन्नं / राया निमीलियलो धसत्ति धरणीयले पनि 67 तं खयखारसमाणं नरवश्ऽकं वियाणि लोउ / अंतेउरेण सहिउँ धाहाव उच्चकंठेण // 6 // चंदणजलसित्तंगो चेयन्नं पाविऊण नरनाहो / वाहरश्सबकुसले विसहरविसनासणे विजे // 65 // विजेहिंवि परिहरिथा निच्चिछा जाणिऊण सा कंना।नीया महामसाणे वजिरबहुतूरनिग्घोसा७० | चंदणकहिंचियं रश्कणं जाव तपरिकत्ता। जलणोअ क पासे ता जं जायं तयं सुणह॥७॥ अह सोवियें विणयधरो गामं गंतूण जा नियत्ते। ता पिछा पेश्रवणे रोअंतं नरवईलोअं // 2 // 1 असमन्छो / 2 धूयडहणेण / 3 जिणिंदं / / सकय / 5 सगिहं / 6 वरि। 7 डसिया। पासुत्ता। ए अरि 10 डक्कुति / 11 य जपंतो / 15 नयणंसुयसलिलधोवियकवोलो / 13 तं सुक्ककगंपिव / 15 निय। १५सघिय / *1 Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak
Page #24
--------------------------------------------------------------------------
________________ // 1 // अष्टप्र. तो पुछो कोवि नरो कि एसो रूयश् नरवश्लोउँ / तेणवि सवो सिहो वुत्तंतो रायकंनाए // 3 // धूपपू. ॐ जय एवं ता साहसु एअं गंतूण निययसामिस्स।जह एसो कोवि नरो कंनाए जीविरं दे // 4 // तेणवि गंतुं सिहं जह एसो देव एरिसं जण। अहिदहाए जीयं देमि अहं रायकंनाए॥५॥ विणयंधरेण लणियं पजणी करोमि रायवरकन्नं / चलणेसु निविमिळणं अह भणियं रायपुरिसेहिं // 7 // कुणसु पसायं सुपुरिस गम्मन ता नरवरस्स पासंमि / एवंति जंपिऊणं पत्ता ते रायपासंमि // 15 // काऊणं च पणाम नणियं विणयंधरेण कुमरेण / मुंच विसायं नरवर फ्लणिं च करेमि तुद धूयं // 76 // तं निसुणिऊणवयणं हरि सियहियएण राणा नणियातुह कंनाए सहियंरजा देमि सविसेसं७६|| अन्नंचिय जंजणसितं सवं देमि तुम्हे सविसेसं / किं जंपिकणे बहुणा जीयंपिहु तुह पयामि विणयधरेण विने मिजं नणियं मा देव एरिसंनणसु। सिके कर्ज मि तुमंजंजुत्तं तं कुणिजासु॥॥ दसिङाउ देवसुधा नणिए सा कढिकण चियगा / विणयंधरस्स पुर उविया बहुलोयपञ्चकं हूँ अकयकुसुमसमिके कयगोमयमंमले ग्वेजण ।जकं काऊण मणे सित्ता सा रयणनीरेण // रयणजलसित्तगत्ता चेयणं पाविऊण सा कंना। अवलोश्यं पयत्ता तं पासपरियिं लोयं // 7 // तं सच्चि नाउं अंके काऊण अत्तणो धूअं / आणंदसमुहियनयणवारिधाराहिं धोवेई // 2 // // 1 // पुनश्स गग्गय गिरों वछे किं बाहए तुह सरीरे। ताय न बाहश किंचिवि चियगा किं दीसएँ एसा॥8॥ - 1 सर्छ / 2 पत्नणसि / 3 तुश। 4 जंपिएण / 5 विणयंधरेण / 6 चेयन्नं / 7 अवलोखं / सिंचे। ए गगिरगिरो। 10 दिस्सए / RIAc-Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak
Page #25
--------------------------------------------------------------------------
________________ किं एवं पेश्रवणं जंपाणं सङियं च किं एयं / किं एसोरुयश्जणो सरिक मल पासंमि' & बाहजबुलियनयणो राया तं नणश्पुत्ति सप्पेण ।दछातुमं निचिता विवङिया सत्वविकेंहिं // 7 // गयजीवत्ति मसाणे जंपाणे गविऊण एयंमि।आणीया तं वछे चियगाविये विरश्या एसा // 6 // दिन्ना य तुन पाणा निकारणवछलेण एएण। जइएवं ताय मए एयस्स समप्पिया पाणा // 7 // साहुत्ति जंपिऊणं गयखंधे गविकण नरवश्णा। विनयंधरेण समंचिय नियगेहे श्राणिया धूश्रा || ॐ काराविऊण राया धूवा पुण जम्मऊसवं नयरे। पुल नियमंतिजणं विणयंधर मूल संसुद्धीं॥ s नणियं मंतिजणेणं कंमगरो एस सबवाहस्स / एयस्स मूलसुद्धी जाणे सुबंधुसँबाहो // ए॥ सोविय पुछो पत्नणएयस्स न देव जाणिमो सुडिं। कूवाश्य वुत्तंतो सबोविय साहि तस्स // 1 // वजाहय चिंतश्तं वयणं निसुणिकण नरनाहो। जस्स कुलंपिन निऊ नियधूयं देमि कि तस्स है पमिव जिऊण कंनं नदेमि ताहोमि अलियवाश्य / श्य एवं जाव मिणं दोलावश्तस्सनरवश्णो | ४ता जरको परपत्ते गळणं नणराय जह एसो। पोयणपुरंमि पुत्तो नरवश्णो वयरसीहस्से // 5 // || कमला गप्नजप्पन्नो" जह एसो बड्डि" यरंनंमि। नारंपरिकगहिउ पमि जहँ कूवमसंमि एवं || 1 पासंति / चियगावि / 3 एयं / 4 जंमऊसर्व / 5 कम्मकरो। 6 जाण जइ। 7 सुधण। कुवाई।। ए वजाहब / 10 कह / 11 अलियवानत्ति / 12 वरपत्ते / 13 विजयसीहस्स। 14 गतप्पन्नो / 15 डिन / / | 16 लारुम / 17 ता पमिल / . C.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Tre
Page #26
--------------------------------------------------------------------------
________________ // 11 // अष्टप्र. पुवपमिएण पत्तो' समप्पि जह य सबवाहस्स / तं सवं साहेलं जको अईसणीहूर्ख // 6 // सोऊण जरकवयणं हरि सियहिय नणई नरनाहो।जह एस नाणे मह कमलानइणिपुत्तत्ति॥ आणं दियहियएणं दिन्ना विणयंधरस्स सा कंना। तेणविसा नाणुमईपरिणीया वर विजूईए ॥ए 8 पत्तं च महारऊं जाया वंसस्स पायमा सुझी / पहयं कंमगरत्तं जिणंदापनावेण // एए // (पहयं कम्मकरतं जिणिंदधूयप्पदाणेण ) पागंतरं / गुरुअमरिसं वहतो पिजणो उवरिं महंतसिन्नेणं ।संचलिउ विणयधरो संपत्तो पोयणपुरंमि॥१०॥ वामं अंगं वामं च लोयणं वामगंच सीसकं / कमलाए जणणीए विफुरियं तंमि संमयंमि॥१०॥ अमुणियसुयवुत्तंतो समठरोवरसीहनरनाहो।संनझबझकवन विणिग्ग अनिमुहो तस्स 102|| संजायं ताण रणं गयघमसंघट्टचूरियनमोहं। जमसंघटकरहिय कुंतग्ग विजिन्न गयनिवहं // 13 // जावें जणएण मुक्का सरावली नियसुअस्स नीसंका / सादश्व सलोहा पमिया बछबले तस्स // 10 // तेणवि सासंकेणं जा मुक्का बाणवई पिउणो।सौ धयउत्ते बित्तुं माणुवं विणिग्गयातुरिय॥१०॥ जणविहु परिकुको"जाव सरं कुणई निययकोदंड।ताजकेणंधरि थंने चित्तलिहिउव॥१६॥ (ता जकेणं धरि थनिन चित्तलिहियत्व ) पागंतरं . 1 पुत्तो। इनणे / 3 नगिणियापुत्तो।। महन्न / 5 संपुत्तो / 6 वामयं व / 7 विप्फुरियं / दियहमि / ए संघाय / 10 जा। 11 निस्संका / 15 बाणपघई / 13 साविय / 15 माणब / 15 परिकुवि / 16 मुया। // 19 // B AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak TL
Page #27
--------------------------------------------------------------------------
________________ दिश्चंदणपंको अप्निंतरतावताविए देहे। नरवश्णो निच्चेहिं विणयधरो नण ते हसि 17 मुत्तं चंदणपंकं असुईपकेण सामिणो देहं / आलिंपह लो निच्चा जेणेस पणासएं तावो // 17 // नणि जण तर्जुमा पत्नणसु वन्छ एरिसं वयणाजश्शवितुमं परिचत्तो तह विढु तुर्ह एस जणउत्ति नरनाहो विहु नणि परिजवजणियं विमुंच संतावं। सो एस तुमपुत्तो जो चत्तोरन्नमसंमि 110|| || सोऊण जरकवयणं अमएणवं सिंचि नरवरिंदो। पुत्तोवि तस्स पर्ण खामनिय उन्नयं"सवं१११/8 आलिंगिऊण पिजणा सीसे परिचुंबिन सिणेहेणानणि अखमसुपुत्तय जंतुसऽचियिं विहियं / मुचंती थणबीरंदूरा धाविकण नियजणणी। श्रालिंगिऊण चुंब सूयं गोविश्व नियवछं // 113 // / धन्ना सा जीये तुमं अंगे गऊण पाश्यं खीरं / श्य पनणंती कमला निंद तं अत्तणो जंमं 114 काराविळण राया नियपुत्तसमागमुछवं नयरे / पुत्तस्स निययर दाऊणं अह समाढत्तो॥११५] नणि य पुत्त गिन्हसु महरऊ जणवयंमि वकार्य अहयं पुण पवङ पमिवङिस्संजिणमयंमि॥ विजित्ति इमं रह जस्स कए नियसुवि तं वर्छ / बालोविठु परिचत्तो नेऊणं रन्नमसंमि॥११७/8 ||जह वेरग्गनिमित्तं जाउँहं तुझ रऊचायंमि"। तह मावि ताय तुमं जायो वेरग्गहेजत्ति॥११॥8 | १दिन / 2 अप्रिंतरिं। 3 नणिए तो जण विणयधरो। इति चतुर्थपादः। 4 मुत्तं / पणासई। 6 तो। लातु मुंच / अमिएणव / ए नरनाहो / 10 पुर।११ मुक्कियं / 12 थणखीरं / 13 जीइ। 14 विनियरऊ। 15 विरकायं / / 16 पुत्त / 17 रऊकमि / G G unratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak
Page #28
--------------------------------------------------------------------------
________________ अष्टप्र.ता गिन्हिस्सं' दिकं रऊपुण देह विमलकुमरस्स।श्य निवि मुणे रो संगवि विमलो // धूपपू. // 1 // | विनयंधरोविरजं निश्रयं दाऊण सबवाहस्स। पिउणांसह पवन पासे मुणि विजयसूरिस्स 120 / उग्गं तवो विहाणं काऊणं संजमंमि उकुत्ता। मरिऊण समुप्पन्ना माहिंदे सुरवरा दोवि॥१२॥ जुत्तूण तब सुरकै उन्नवि चविऊण श्राजय खयंमि। जण जार्ज राया खेमपुरे पुन्नचंपुत्ति॥॥ * पुत्तोवि तंमि नयरे खेमंकरनामधेय सिहिस्स। पुत्तो विणयमईए गप्ने जनाए जाउत्ति // 13 // जमावि विसुको निच्चं चिय निम्मलाउ अंगार्ड। उन्बलइ धूयगंधो धूवंतो परियणं सयलें // 12 // वाहरश् जेण लो सिहीपुत्तुत्ति धूयगंधुत्त / तेणंचिय से जायं" नामं से धूयसारुति // 125 // लोगो धूवियवबो सुअंधदेहेणे धूयसारस्स / वच्च नरिंदनवणं पुनश् तं विह्मि राया // 16 // ||साहेह कब लको देवाणवि वबहो श्मो धूवो / जेण सुअंधो" गंधो संजा तुह्म वसु // 12 // पत्नण लोगों" सामिय धूवेण न धूवियाई वनाई। धूवावियं पयत्ता देहेणं धूयसारस्स // 12 // (संसग्गा एसो संजा धूयसारस्स) पागंतरं संजायमछरेणं रन्ना सदाविऊण सो पुछो / केणयधूवेण गंधो देहा तुह समुबलि // 12 // गाथा 125 मी पनी नीचेनी गाथा बीजी प्रतिमा डे सोऊणं इमं वयणं नरवशमहिला नियवहाई॥धूावित्रं पयत्ता देहेणं धूयसारस्स // 1 गिन्हेसु / 2 निचय / 3 पिउणो। जोए। सुन्नि। 6 पुन्नचंदोत्ति। जाउय / तस्स निम्मलंगा। ए सबं / 10 सिकी पुत्तोय धूयगंधेण इति द्वितीयपादः। 11 संजायं। 12 धूयसारोय / 13 सुगंधदेहेण / ||14 सुगंधो / 15 लो / 16 धूवेणकेण / ROSARIO // 1 // LISSASSES c.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak TE!
Page #29
--------------------------------------------------------------------------
________________ गंधसारेण जणीयं नहु एसो सामि धूयगंधुत्ति / महदेहाज समुडो एसो साहाविउँ गंधो // 13 // असुविलित्तं काळं एयं गवेह नयरमसंमि / श्य रुठेणं रन्ना हा अत्तणो पुरिसा // 131 // ||6|| 1 एयस्स धूयगंधो देहा जेण नास असेसो। श्य जणिए नरवश्णा सपिअणुहियं तेहिं॥१३॥ अह सोजको तह जरिकणी लकूण माणुसं जंमंजिणवर धम्मेण तनप्पन्ना सुरवरा दोवि१३३ तो ते दोवि सुरा वच्चंता केवलिस्स पासंमि। पिछति धूयसारं बहुअसुईकद्दमालित्तं // 13 // पुवसिणेहामुन्निवि अवहीनाणेण तं वियाणेळी मुच्चंतिसुरहिसलिलं तस्सुवरिंकुसुमवुचि॥१३५ अहिययरं च सुयंधी गंधो देहाउं तस्स उचलि। सबजणाणंदकरो वासंतो दस दिसाजोय॥१३६॥ 18 तं नाऊणं राया जी खामेश्पायपमिलग्गोपनणश्खमसु महायस उच्चरिअंतुझ जंजणिय 137 | तेणविजणि नरवर थोवोविहु नविश्व तुहदोसो।सबोपुवकयं चियअणुहवश्सुहासुहं कम्मर३० % राया विह्मियहिय असरिसचरिएण धूयसारस्स।चिंतश्गंतूण अहं पुनिस्सं केवली ऐयं ॥१३णा र सह परिययेण राया बंधवसहि य धूयसारोविगंतुं केवलिपासे उवविको पणमि हिकार४० धमं सोऊण तेन पुल नमिऊण केवलिं राया। जयवं किं पुवनवे समङियं धूवसारेण॥१४॥ जेणेसो सुसुयंधो गंधो देहाइ निच्चमुखलाई। असुईए किं विलित्तो एस मए निरुवराहो वि॥१४॥ 1 धूयसारेण ।पाउत्ता-३ जिणधम्मेण 4 तळ ते 5 दोहिंवि।६ कुसुमवरिस सलिल वुद्धिस सुयंधो / एविहियं / 10 इमं / 11 समिवे। १श्व / 13 जवविध / 14 पुष / 15 देहाज निच्चमेव नल। इतिक्तिीयपादः। OK Gunratrasuri M.S. Jun Gun Aaradhak
Page #30
--------------------------------------------------------------------------
________________ অষ্টম // 13 // देवेहिं पामिहेरं विहियं एयस्स किं निमित्तेण / साहेह श्मं सवं अश्गरुयं कोउगं मशं॥१४॥४|| साह मुणी महप्पाश्त्तोजमा तश्यजमंमि / उकित्तो वरधूवो जिणपुर कयपश्नणं // 4 // 14 पनी बे गाथा वधारे ने ते. तेणेसो संजाउँ धूयसुर्यधो मणोहरबा / देवेण पूयणिजो सुहजागी जोगनागीय // 14 // इत्तो नरसुरसुरकं नुत्तूणं श्च सत्तमे जम्मे / पाविहश् मुरकसुरकं जिणिंदवरधूयदाणेणं // 16 // एसो य धूयसारो पुत्तो तुह श्रासि तश्यजमंमि।पोयणपुराश्चरियं सवंचिय साहियं तस्स॥१४॥ जं पुण इमिणा जणि रमे विलिपेह असुश्णा एयं।तं संपश् अणुहूर्यं तुझ सयासाउ एएण 146 जायजाईसरणं तं केवलि नासिय सुणंतस्स / धम्मंमिय बहुमाणो संजा धूयसारस्स // 14 // संजायधम्मसको सवंचिय नेहबंधणं उित्तुं / नरवश्सहिउँ दिलं पमिवन्नो धूवसारोवि // 14 // तवसंजमनियमर पवङ पालिकण सोधीरो।आउकयंमिमरिचं संपत्तों पढमगेविडो॥१४॥ तत्तो सो चविऊणं नरसुरजंमेसु परिजवेऊणें / सत्तमजमंमि तई' संपत्तो सासयं गणं॥१५॥ धूयसारकहाणयं संमत्तं। // पूजाष्टके धूपविषये विणयंधरकथा समाप्ता॥२॥ // 13 // 1 मन / जणियं / 3 लिंपेह / 4 अणुनूयं / 5 केवलि संजासियं सुयंतस्स / इति वितीयपादः। 6 अणु&रा / 7 जिन्नं / - संजा। ए परिजमेऊण / 10 पुणो। Jun Gun Aaradhak Thu DIAC Gunratnasuri M.S.
Page #31
--------------------------------------------------------------------------
________________ // 3 // अदतपूजाविषये कथा. अखंमफुमियचुकरकएहिं पुंजत्तयं जिणिंदस्स / पुर नरा कुणंतो पावंति अखंमियसुहा॥१॥ जह जिणपुर चुरकरकएहिं पुंजत्तयं कुणंतेणं / कीरमिहुणेण पत्तं अखंमियं सासयं सुकं // 2 // अनि नरहवासे सिरिपुरनयरस्सबाहिउजाणे। रिसह जिणेसरजुवर्णं देव विमाणंवरमणीयं // 3 // नवणस्स तस्स पुर सहयार महामुत्ति सडाउ।अन्नुन्ननेहरत्तै सुश्रमिहुणं तंर्मिं परिवस॥8/ अह अन्नया कयाई नणिर्ज सोतीअत्तणो जत्ता।आणेह मोहलो मे सीसंह सालिखित्ता॥५॥ नणिया सों तेण पिए एवं सिरिकंत राश्णो खित्तं / जो एयंमिविसीसं गिन्हश्सीसं निवो तस्स६ / नणि तीए सामिय तुह सरिसोनविश्व कापुरिसो"जो नङ पिमरणं श्छसि नियजीवलोहेण है ___(जो नङपि मरंति श्छसि नियजियलोनेणं ) इति पागंतरं. श्य जणि सो तीए जलाए जीवियस्स निरुविको"।गंतूण सालिखित्ते श्राण सोसालिसीसाणे एवं सो पश्दियहं रखताणंपि रायपुरिसाणं / आणेश मंजरी जनाएसेणे सो निच्चं // 5 // अह अन्नया नरिंदोसमाग तंमि सालिखित्तं मि। पिछश्सनणविलेत्तं तं खित्तं एगदेसंमि॥१०॥ HARRASARITHASHIRAISHAHARASHIRIAS | कांतेहिं २ऽचित। 3 बाहिरुजाणे। जवणं। एमुमुत्तितवसन्हा।६अन्नोन्ननेहवंतं। तब। दोहलो। ए सा। 10 कारिसो। 11 निरपिरको। 12 सालिसीसाइं / 13 लजाइ वसेण / 14 सनणिविलत्तं। & Ac Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak
Page #32
--------------------------------------------------------------------------
________________ अष्टप्र. // 24 // // पुछो य ायरेणं पुहश्पालेण सालियाबुर्ति ।किंश्च श्में दीसश्सउणेहिं विणासियं खित्तं // 11 // अदत सामिय ईको कीरो गछ सो सालिमंजरी घित्तुं। रस्किजंांतोवि दढं चोरुव कत्ति नासे॥१२॥ पूजा. जणि सो नरवश्णा मंमियपासेहिं तं गहेजणें ।आणेह मसपासे हणेह चोरुव तं 55 // 13 // (आणेयवो पासे सह सो चोरुव अश् पुछो ) इति पागंतरं. अह अन्न दिणे कीरो रायाएसेण तेण पुरिसेणं / पासनिबको निऊार सूईए पिठमाणीए॥१॥ पुविलग्गा धावश् अंसुजलापुन्नलोयणा सूई / पत्ता दश्रण समं सुकिया रायनवणं मि॥१५॥ अहाणहिराया विन्नत्तो तेण सालिपुरिसेणं / देवेसो सो सूर्व बको चोरुव आणी // 16 // तं दणं राया खग्गं गहिऊण जाव पहणे। ता सहसच्चिय सूई नियपश्णो अंतरे पमिया॥१७॥ पजण सूई पहणसें निस्संको अऊ मझदेहं मि।मुंचसु सामिय एयं महजीवियदायगंजीय२१० | तुह सालीए उवरिं संजा देव मोहलो मस। सो तणसरिसं काउं नियजीयं महवियंमि 1 | हसिऊण जणराया कीर तुमं पंमिउत्ति विकाठीमहिलाको जीयं जो चयसि वियस्कणो कहणु / पत्नणसूई सामिय अन्धन ताजणणिजणयवित्ताशनियजीवियंपि बड्डपुरिसोमहिलाणुराएणैर // 9 // Baa 1 सालिपालेय / 2 एवमिणं / 3 एसो। सोअगहिऊण / 5 तेहिं पुरिसेहिं / 6 पुछि। 7 दएण। अहाण। लिए तेहिं सालिवालेहिं / 10 पड / 11 पहरसु। 12 दश्यं / 13 पूरिखं इमिणा / 14 महिलाण रोगण / Ac.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak
Page #33
--------------------------------------------------------------------------
________________ तं ननिजं न कीरश्वसणासत्तेहिं कामबुझेहिं ।ता अबश्श्यरजणो हरेण देहध्यं दिन्नं // 2 // जह सिरिदेवीइकए देव तुमंजीवियंपि उड्डेह। तह अंनोविहु बड्ड को दोसो श्व कीरस्स॥ 3 // तीश्वयणेण राया चिंतश् हियएण विह्मियं ईतो।कह एसा परिकणीया वियाणए मश वुत्तंत॥४॥ * पत्नणराया नद्दे दितो कह कर्ज अहं तुमए। साहसु सवं एयं अश्गरुयं कोउयं मम // 15 // पत्नण कीरा निसुणसुदितो श्वजह तुमंजाजीथासि पुरातुह रोसामिय परिवायगाएगाश्६ बहुकूमकवानरिया जत्ता जारुदखंददेवाणं।सा तुह नजाश चिरं सिरिया देवीएं उवयरियार नरवश्णोहं नजा बहुलको एस मश लत्तारो। कम्मवसेणं जाया सबसिं दूहवा अहयं // 7 // ता तह कुणसु पसायं जयवश्जह होमि ववहा पश्णो। महजीविएणजीवश्मरश्मरंतीश किंबहुणा | नणिया एसा वछे गिन्हा तुमं उसहीवलयं / तं देसु तस्स पाणे जेण वसे होश्तुई लत्ता॥३॥ जयवर नवणपवेसोवि नवि कह दंसणं समं तेणं। कह सहीयवलयं देमि अहं तस्स पाणं मि३१ जर एवं ता जद्द गहिऊणं अऊ महसयासी / साहुसु एगग्गमणी मंतं सोहग्गसंजणणं॥३॥ नणिऊण सुहमुहत्ते दिन्नो पक्वाश्याश् सो मंतो।पूचं काऊण पुणो तीएवि पमिछि विहिणा॥३३॥ | जा काय सा देवी तंमंतं पदिणं पयत्तेण / ता सहसा नरवश्णा पनिहारी पेसिया जण // 34 // __ *आ गाथा बीजी प्रतमां नथी. 1 बडिंतो। 2 पत्तो। 3 बहुँ। 4 देवी। 5 दूहगा। 6 तीए / अगिएहाहि ते / ए पाणिमि / 10 महसगासाट / 11 काएसु य एगमणा / 12 सुहमहुत्ते / RIGunrainasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trus
Page #34
--------------------------------------------------------------------------
________________ // 15 // पूजा. अष्टप्राणवश् देवि देवोजह तुमए अऊ वासनवणंमि / आगंतवमवस्सं कुवियप्पो नेव कायद्यो॥३५॥ || अदत रयण। कयसिंगारा समंत रायलोयैपरियरिया। करिणीखंधारूढा समागया रायनवणं मि॥३६॥|||| नरवरॅकयसंमाणा दोहग्गं देवि सेसमहिलाणं। सोहग्गं गहिऊण संजाया सा महादेवी // 3 // जश् इछियसुकं संतुझा देशठियं दाणं / रुहा पुण साजेसिं ताणं च विणिग्गरं कुण // 30 // अह अन्नदिणे पुछा तीए परिवाश्या श्मा देवी / वतुह संपन्नों मणोरहाइठिया जेलं // 3 // जयवश्तं नचिजए तुह पयजत्ताण जं न संजवर्शतहविहु नयवश्थजवि हिययंदोलायएं मम॥ जह जीवश्मह जीवंतियाश्श्रह मरश्मह मरंतीए।जाजाणिजश्नेहोमहवरिंनरवरिंदस्स॥४॥ ॐ जय एवं ता गिन्हसुनासं मह मूलियाए एयाए।जेण तुमं गयजीवा लकीयसि जीवमाणावि॥४॥ बीयाश्मूलियाए नासं दाऊण तुहे करिस्सामि। देहं पुणन्नवं चिय मा नीयसुमन पासला // 43 // 8 एवंति पनणिकणं गहिलं देवीए मूलियावलयं।साविध समप्पिऊणं संपत्ता निययगणं मि॥ * अह सा नरवपासे सुत्ता गहिऊण उसही नासं। ता दिशा निच्चिका नरवश्णा विगयजीवव॥४५॥ - एत्तो आकंदरे उडलिङ क्षेत्ति राश्णो जवणे।देवी मया मयत्तिय धाहाव नरवश्लोर्ड // 46 // नरवश्याएसेणं मिलिया बहुमंतविडाकुसला या तहवियें सा परिचत्ता मइत्ति दळूण निच्चि॥७॥ // 15 // 1 अहियं / 2 राउलेण / 3 करणि / नरव। 5 दे। 6 पवाइएन सा महादेवी / 7 संपत्ता / - संपडा। ए दोलावए / 10 तो। 11 खरिकऊसि / 12 तह / 13 अकंदर। १४ात्ति।१५ तेहिंवि। Jun Gun Aaradhak To DIAC.Gunratnasuri M.S.
Page #35
--------------------------------------------------------------------------
________________ नणि मंतीहिंनिवो किङ एयाश्यग्गिसक्कारोजिणिया ते नरवश्णा मसविकिऊल सहश्माए ? चलणविलग्गो लो पजणश्नहु देव एरिसं जुत्तानणसुकं राजे नेहस्स नऽन्निमग्गा // 4 तामा कुणह विलंब कढह लहु चंदर्णिधणं परं ।श्य नणिऊणं राया संचलि पिअयमासहिए। ॐ वडिरतूररवेणं रोविरनरनारिपउरनिवहेण / पूरितो गयणयलं संपत्तो पेयगणंमि // 51 // जा विरश्कण चिश्रयं राया थारुहर पिश्रयमासहिउँ / ता पूरा यंती पत्ता परिवाश्या त५॥ है नणि तीए तुमयं मा एवं देव साहसं कुणसु।नर्णियं तुमए जयवश्मह जीयं पिअयमासहियं 53 जर एवं ता विसहसु खणमेगं माहु कायरो होसु। जीवावेमि अवस्सं तुह दश्शं लोअपञ्चकं॥५॥ तं वयणं सोऊणं ऊससियं तस्स राणो चित्तं / नहु जीवियस्स लाहे जह लाहे ती नजाए॥५५॥ नयवश्कुणसु पसायं जीवावसुमश वसहं दश्यातीए विहु देवीए दिन्नो संजीवणीनासो // 56 // तस्सपनावेणं चिय सा देवी सयललोयपच्चरू। उजीविया य समयं नरवश्णो जीवियासाए॥५॥ * तंजीवियंति ना आणंदजबुललोयणो लो / नच्चश् उप्रियबाहो वजिरबहुतूरनिवहेण // 5 // सवंगाजरणेहिं पाए परिवाश्याश्पूऐणं / पत्नण अो अजं जं मग्गसि तं पणामेमि // 5 // | 1 कीरज / 2 सपुरकं / 3 दोन्निवदा / 4 कठ्ठहु बहु चंदणं इमं पवरं। 5 पूरंतो। 6 चियगं / नती। - एगा। ए जणिया / 10 जगव। 11 समगं / 12 आणंद जलोह हरिसित राया / 13 ताहे || परिवाश्यं च पूएवं। Jun Gun Aaradhak R AC.Gunratnasuri M.S.
Page #36
--------------------------------------------------------------------------
________________ अक्षत पूजा. * ** * अष्टप्रनणि तीए राया सुपुरिस मह नवि किंपि करणिऊं। निस्कागहणेण अहं संतुहानयरमर्शमिद 4 गयवरखंधारूढं काऊणं निययपिययमा राया।संपत्तो नियनवणे आणंदमहसवं कुण॥६१॥ // 16 // 18 फलिहमयनित्तिघमिश्रा कंचणसोवाणथंननिम्मविया।काराविया निवेणं मढियाअजास्तुणंद पवश्या सा नरवर मरिऊणं अदृशाण दोसेणं।संजाया सुहसूई साहं पता तुह सयासे // 3 // दणं देव तुम तुहपास परियिं महादेविं / जायं जाईसरणं संजरियं तुह मए चरिथ॥६ र सोऊण ती वयणं रोवंती जण सामहादेवी। जयवश् कह मरिजणं संजाया परिकणी तुमयं६५ मा ऐसि किसोयरिपुस्तित्ता अऊ म जमेण / कमवसेणं जीवो तं नबिह जंन पावे // 6 // तेण तुमं दिइंतो दिन्नो नरनाह महिलियाविसए। सोऊण श्मं राया संतुझो सूगै लणएँ॥६॥ सच्चो दितोहं दिन्नो तुम ऐन महिलियाविसए।ता तुझोहं पक्षणसुरुं तंपणामेमि // 6 // है पत्नणसुई निसुणसु महको नाहै अत्तणो जत्ता।ता तस्स देसुजीयं नहु कडं किंपि अन्नेणादा हसिऊण जण देवी देव तुमं कुणसु मनवयणेण। एयाए पश्दाणं लोयणदाणं च निच्चपि // 7 // जणिया सा नरवश्णा वच्चसु नद्दे जहि छियं गणं।मुक्को य एस नत्ता तुझेणं तुझ वयणेण // 1 // 1 सुपुरिस / 2 तुलनयरमि / 3 पिययमं / अटलाण / 5 हं सूक्ष। 6 सा संपत्ता / 7 पध्यिं / 7 वारिय तुन्न चरियं च / ए रोयंती। 10 य तुमं / 11 फुरसु / 12 पुरकता। 13 जीवाणं / 14 तं नजि जं न संजवर 15 सूश्यं / 16 जण। 17 सच्चं / 10 श्च / १ए देव / 20 तु निच्चपि / * *** ** // 16 // **** ACMC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak TEIE
Page #37
--------------------------------------------------------------------------
________________ no RSS RSSRESSESECRE जणि य सालिवालो एयाणं तंडुलाणदाणं च। पदियहं दायत्वं रासिं काऊण खित्तं ते // 7 // जाणवेश देवो श्य नणिए नण कीरमिहुणंपि।एस पसाउँसामिय श्य नणि शत्ति उड्डाणे७३ | * पुवुत्ते चूअईमे गंतूणं पुन्नमोहला सूई / नियः नियममि पसूया निप्पन्नं अंमयगंति // 3 // अह तंमि चेव समये तीए सवक्कीवि निययनीमि।तमि उमंमि पसूया संपुन्नं अंमगं एगं॥५॥ जा सा चूणिनिमित्तं विणिग्गया तं उमं पमत्तूर्णं ।ता मछरेण पढमााणश्तं श्रमगं तीए // 6 // जापछिमान पिछश्समागया तब अत्तणो अंगीता सफरिव विलोम धरणियले कसंतत्ता॥ तं विलवंति दई पछायावेण तवियहिययाऐ / पढमाए नेऊणं पुणोवि तव तं मुक्कं // 7 // |P धरणियले बुखिऊणं अंबं श्रारुहश् जाव नीमंमिता पिछश्तंभ साकीरिय श्रमयसितवाणां|| बधं च तं निमित्तं कम्मं पढमाए दारुणविवागं। पछायावेण हयं धरियं चिय एगलवपुरकं // 70 // |5| तं मिय अंमयजुयले संजाया सूश्गा यसुअगोयाकीलंतिवणनिगुंजे समयं चिजणणि जणेगेहिं रए तंडुलकूडे नरवश्वयणाज सालिखित्तंमि / चंचुपुडे गहिऊणं वच्च तं कीरमिहुणंति॥७॥ अह अन्नयाकयाई चारणसमणो समाग नाणी। रिसह जिणेसरनवणे वंदणहे जिणिंदस्स॥३॥ | 1 सालिपालो। जणिऊणं एवमुड्डिणं / 3 चेवमुमे / धनियलंमि। 5 अंडगधुगंपि। 6 सवक्की / // विमुत्तूणं / सहसत्ति ताव पमिया / ए ताविया हियए। 10 पुणोवि आरुह जाव निलयंमि / 11 अंडं / / 12 जणएण। MIAC.Gunratnasuri M.S, Jun Gun Aaradhak
Page #38
--------------------------------------------------------------------------
________________ अष्टप्र. // 17 // पुरनरनारिरिंदो देवं पुप्फरकएहिं पूएछ। पुलश्नमिऊण मुणिं अकयपूयाफलं राया // // अक्षत अखंमफुमियचोककएहिं पुंजत्तयं जिणंदस्स / पुरवे नरा कुणंतो पावंति अखंझियसुहाशाज्य: पूजा. श्य गुरुवयणं सोचं अस्कया समुछेलं लोउँ // दणं सा सुई पत्नण निअअत्तणो कंतं // 6 // हूँ| अह्मिवि नाह एवं अकयपुंजत्तएण जिणनाहं / पूएमो अचिरेणं सिडिसुहं जेण पावेमो // एवंतीए जणिकणं चंचुपुडे खिविर्य चोककएहिरवे जिणिंदपुर पुजतिअंकीरमिहुणेणा॥ नणिअं अवच्चजुअलं जणणीजणएहिं जिणवरिंदस्स।पुर मुंचह अके पावह जेणकयं सुकंजएर श्य पदियहं काजं अस्कयपूचं जिणंदनत्तीए / आयुकये गया चत्तौरिवि देवलोगंमि // // 1 जुत्तूण देवसुकै सो सुअजीवो पुणोवि चविऊणं / संजा हेमपुरे राया हेमप्पहो नाम // ए॥ सो विय सूजीवो तत्तो चविऊण देवलोगाउँ / हेमप्पहस्स नजा जाया जयसुंदरी नामाए॥ सापछिमावि सूई संसारे हिंमिऊण सा जायो। हेमप्पहस्स रन्नो रश्नामा जारिया दुश्यों // 3 // अन्नावि कमेणं पंचसया जावे नारिया तस्स।जाया पुण श्छा पढमा ते जारिया दोवि ॥ए ? (संजाया पुण श्छा पढमा नारिया उन्नि) इति पागंतरं * अह अन्नया नरिंदो दूसह जर ताव ताविय सरीरो।चंदणजबुतिठवीहु लोलश्नूमीए अप्पाणं ए॥ | // 17 // | 1 अह अन्नया नरिंदो। 23 जङ्गुयं / 3 नत्ती निय। 4 अह्मवि। 5 एयं / 6 अवरेणं / पावेमि / विय / ए पयदियहं / 10 श्राउरकरण / 11 चत्तारित / 12 देवखोए। 13 संजाया। 15 बीया। 15 चेव / RASHRSSBHASHRS Jun Gun Aaradhak DIAC.Gunratnasuri M.S.
Page #39
--------------------------------------------------------------------------
________________ एवं असणविद्रणो चिहजा तिन्नि सत्तए राया।ता मंततंतकुसला विजावि परंमुहाजाया॥६॥ उग्घोसियश्सत्ती दिऊंति य बहुविहाइंदाणाई। जिणनवणेसु पूओं देवय आराहणार्ड य ए॥ * रयणीय पछिमझे पयमीहोऊण रकसो लणशकिं सुत्तोसि नरेसर जण निवो कहणु महै निदाए उयाणं करे अप्पाणं जश्नरिंद तुह नजा।परिकवश्अग्गिकुंडे तोजीअं अन्नहा ननि॥ एए॥ अजणिऊण नरिंदं विणिग्गउँ रकसो निययगणाराया विह्मियहिय चिंताकिं इंदजाबुर्तिर किंवा पुस्कत्तेणं अङ मए कि एस सुविणगो दिछो।अहवा न होश्सुविणो पञ्चको रकसो एस॥ ? तो वियप्पसहिया वोलीणा जामिणी नरिंदस्साउदयाचलम्मि चैमिळ सूरोविहु कमविणीनाहोर | रयणीए वुत्तंतो नरवश्णा साहिउँ सुमंतिस्स। तेण वि नैणि किङाउ देव श्मंजीयकांमि // 3 // है परजीएणं नियजीयरकणं नहु कुणंति सप्पुरिसा। ताहोउ मशविहियं श्य जणि राश्णा मंती || सद्दाविऊण सवा मंतिणा नरवयस्सै नजाउ। कहि रकसनणि वुत्तंतो ताण नीसेसी // 5 // सोऊण मंतिवयणं सवा नियजियस्से लोहेणें। गलं अहोमुहीउ न दिति मंतिस्स पमिवयणं॥६॥ पफुल्ल वयण कमला उछे जण महादेवी / महजी विएण देवो"जश्जीवशकिं न पहात्तं // 7 // | 1 जग्योसिकाइसंती। 2 संपूया। 3 मे / 4 उत्तारणं / 5 नियंगणं / 6 इंदजालमिणं / सुमिणगो / सुशामिणो / ए उदयाचलंमि चलिन / 10 समंतिस्स / 11 नणियं / 12 नरवश्स्स / 13 नीसेसा / 14 जीवियस्स || 15 लोनेण / 16 सा / 17 दा। Jun Gun Aaradhak K AC.Gunratnasuri M.S.
Page #40
--------------------------------------------------------------------------
________________ अष्टप्र. ॥रजा SACRE इय नणिए सोमंती जवणगवरकस्स हिकमीए।काराविऊण कुंझारोहश्अगरुकठेहिं // // अक्षत साविय कयसिंगारा नमिऊणं जणश्यत्तणो कंत।सामिय महजीवेणं जीवसु निवमामि कुंमिए 8 पूजा. नणश्सदुकं रायामशकए देवि चयसुमा जीय। अणुहवियत्वं च मए सयमेव पुराकैयं कम्म॥१॥ पत्नणश्चलणविलग्गासामिय मानणसुएरिसं वयणाजं जाई तुम को तं संहलं जीवियं मशरण उभारणं करेचं अप्पाणं सा बलावि नरवश्णो।नवणगवके गलं जलिए कुंमंमिपरिकवर // 15 // अह सो रकसनाहो तीसे सत्तेण तोसि सहसा।अप्पत्तं विय कुंडे हुयास पूरं समुरिकव // 13 // नणिया रकसवश्णा तुझोहं अऊ तुन सत्तेण।मग्गसुजं हियशंदेमि वरं तुम किं बहुणा 14 जणणिजणएहिं दिन्नो हेमपहोमहवरो किमन्नेण।मग्गसु तहविहु नद्दे देवाण न दंसणं विहलं१५ जइएवं ता एसोमहनत्ता देव तुह पसाएण।जीवन वाहि विहीणो चिरकालं होउ एस वरो // 16 // एवंति पत्नणिऊणं दिवालंकारनूसियं काउं / कंचणपउमे मुत्तुं देवो अदंसणीहूजे // 117 // जीव तुमं जण जणो सीसे पुप्फकये खिवेऊण। नियजीवियदाणेणं जीए जीवाविउ नत्ता॥१॥ तुछो तुह सत्तेणं वरसुवरं जंपिए पियं तुन। जणिया पश्णा पत्नण देव वरो मह तुमं चेव // जीवियमुझेण तए वसीकउहं सयावि कमलनि।ताअन्नं करणीयं जणसुतुमंजणसा हसि२२० ||जइएवं ता चिहज एस वरोसामि तुह सयासम्मि।अवसरवमियं एयं पठिस्सं तुह सयासाठ॥२१॥8॥१॥ Rs 1 नणि / 2 श्राऊरइ दारकहिं / 3 पुराणयं / / जायइ। एसुलहं।६नुयाहिं। मोत्तु।पसगासंमिाएपछिस।१०सगासा। A RSHASHARABHA HOIIAC.Gunratnasuri.M.S. Jun Gun Aaradhak
Page #41
--------------------------------------------------------------------------
________________ अहअन्नया रए जणिया पुत्तचि तीऐ कुलदेवी। जयसुंदरिपुत्तेणं देमि वलिं होउ मह पुत्तो // 3 // नवियवयावसेणं जाया पुन्हंपि ताण वरपुत्ता।बहुलकणसंपुन्ना सुहजणया जणणि जणयाणं५३॥ || तुहा रश विंचिंतश् दिन्नो कुलदेवयाए महपुत्तो।जयसुंदरिपुत्तेणं कह कायवा मए पूछा // 14 // एवं चिंतंतीए लको पूयाए साहुणोाउँ / नरवश्वरेण रऊ काऊण वसे करिस्सामि // 15 // श्य चिंतिऊण तीए अवसरपत्ताए पनणि राया।जो पुत्विं पमिवन्नोसो दिऊउ महवरो सामिश्६ | मग्गसुजं हियरुं देमिवरं जीवियंपिकिंबहुणाजश् एवं ता दिऊउ महरऊं पंचदियहाई // 17 // | एवत्ति पनणिकण दिन्नं तुह पिययमे मएँ रङ। पमिवन्नं तं तीए महापसाउत्ति काऊण // 10 // पालश् सा तं रऊं पत्तो रयणीए पछिमे जामे / जयसुंदरीए पुत्तं आणावर रोयमाणीएं // 12 // तन्हाविऊण बालं चंदणपुप्फकएहिं पूएबं / पमलयउवरि काउं गवर दासीएं सीसंमि॥१३॥ वच्च परियणसहिया उडाणे देवयाए नवणम्मि।वङिरतूररवेणं नच्चिर नरनारिलोएण॥१३॥ अह विजाहरवश्णा कंचणपुरसामिएण सूरेण / वच्चंतेण नहेणं दिछो सो दारगो तेण // 13 // 2 उजोयंतो गयणं दिणयरतेउव निययतेएण / गहिऊण तेण अलकं अन्नं मयबालगं मुत्तुं // 133 // नणिया सुत्ता नला जंघोवरि बालगं ठवेऊण / उहहै लहुं किसोयरि पिछसु नियदारगं जायं२३॥ 4 1 पुत्तक्षिणी / 2 मे / 3 संजुत्ता। / सोहणोवा / 5 कोण। 6 एवंति / 7 इमं / रोवमाणीए / ए देवी। 10 गहि / 11 नसु / NE.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak !
Page #42
--------------------------------------------------------------------------
________________ अदत पूजा. अष्टप्र.६ किं हससि तुमंसामिय हसियाहं निग्घिणेण देवेणा किं कश्यावि सुवबह वंशा पुत्तं च पसवेश्३५॥ 8 // 1 // पनण पहसियवयणो जश् मह वयणेण नैछि सदहणांता पिछेहिं सयंचिये नियपुत्तं रयणरासिंवै३६ हूँ। श्य संसयहिययाए परमचं साहिऊणसा नणिया। नियपुत्तविरहियाणं अम्हाणं एसपुत्तोति१३॥ पमिव जिऊण एयं नी नयरंमिसोय पइदियहं। परिवढे कलाँहिं सियपरकर्ग मियंकुच // 13 // | साविय रश्मयबालं सीसोवरि नामिऊण देवीए।अफालई तं पुर ववव सिलायले तुहा // 13 // गंतूण तनवणे संपुन्नमणोरहा सुहं वस।यसुंदरीवि दियहा सुयविरहे फुस्किया गम॥१४॥ || कयविजाहरनामो मयणकुमारुत्ति गहियवरविजो। वच्चंतो गयणयले पिछश्तं अत्तणोजणणिं४१६ नवणगवकारूढासुयसोयनरंतनयणसलिलोहा।श्रश्नेहनिप्तरेणं उरिकत्ता मयणकुमरेण // 14 // * तं दखूण कुमारं हरिसैवसहं च नयणसविलेन। सिंचंती य अवलोयश् पुणो पुणो निझदिहीए 153 है। उपियवाहो लो धाहावश्पुरवईऐ मशंमि। एसाहरि घरिणी नरवश्णो उच्चकंठेणं // 14 // 2 अश् सूरोविहुराया पयचारी किं करेगयणेंजे।खुजाउँ किं कुणइ फले तरुसिहरपयहिए दिले 145 चिंतश्मणंमि राया पुख्खयखारसंनिहं जायं। युग सुअस्स मरणं बीअं पुण नारियाहरणं 146 // ॥रणा. 1 पसूएइ / 2 वयणे न अधि। 3 सहियंचिय / 4 रयणरासिव / 5 पुत्तुत्ति / 6 एवं / 7 कलाहिय / सियपरका / ए सावि रई। 10 अप्फालइ / 11 जयसुंदरी। 12 हरिस समुहासि लोयणजलेण / 13 पुरवरी। |14 गहिजा। 15 गयणयले / 16 खजा। 17 इक्कं / SI A Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak. TU
Page #43
--------------------------------------------------------------------------
________________ A S REKHARSHASHIKARI एवं मुस्कियहियचिहराया नियम्मि नयरंमिाहवा घरिणीहरणे नण कस्स नजायए उक। अवहि विसएण नाउँ पुत्तं तं सूश्गाश्देवीए।महनाया नियजणणी घरिणीबुद्धीए अवहरए॥१४॥ | नियपुरपञ्चासन्ने सरवरपालीश्चूयबायाए।जणणीसहिउँ कुमरो जाचिश्ताव सा देवी // 14 // वानररूवं तह वानरीए काऊण चूयसाहाए। पजण वानररूवी कामूय तिवं श्मं नो॥ 150 // तिरिवि एव पमि तिबपनावेण लहश्मणुअत्तं।मणुउँविहु देवत्तं पावश्नबिल संदेहो // 15 // ता पेठसुदोन्निवि माणुसाइं पच्चकदेवनूआई। एआईमणे का निवमामो श्व तिबंमि // 15 // जेण तुमं माणुसिया बैंहं पुण एरिसोमणुस्सुत्ति ।होहामित्ति पनणिशं को नाम गिन्हश्श्मस्स जो निजणणि पिकं घरिणीबुद्धीनेश्हरिऊणांतस्सविपावस्सतुमं सामियरूवम्मिहिलासो सोऊण वानरीए तं वयणं दोवि विमित्रमणा।चिंतंति कहं एसा महजणणी सावि कह पुत्तो५५ है नेहेणं हरिएविहुँ एसा मह जणश्जणणिबुङत्ति।साविय चिंतश्एसो महपुत्तो उअरजाउत्तिर५६ है पुनसंसयहिय कुमरोतं वानरं पयत्तेणं / जद्दे किं सच्चमिणं जं तुमए नासियं वयणं // 15 // तीए नणियं सच्चं जश्अजवि तुस अनि संदेहो। ता एयमि निगुंजे पुन्छसु वरनाणिणं साहुं॥१५॥ श्यनणिऊणं सहसा वानरजुअलं असणीहूझं।सोविय विनियहिय पुछश्तं मुणिवरं गंतुंएए / जयवं किं तं सच्चं जं जणियं वानरीए महपुरजीमुणिवर्णाविहु जणि सच्चंत होइनहु अलिअं६० 1 नायं / 2 पिञ्चसु / 3 देवरूवाई। 4 अहयं / 5 हरियाविहु / 6 बुद्धित्ति / 7 श्चतुत / 7 मुणिवयणा / RIAc Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak
Page #44
--------------------------------------------------------------------------
________________ अष्टप्र. // 20 // निच्चं चिहामि चिर्न कम्मरलयकारणं मिसायंतो।हेमपुरे सविसेसं साहिस्स केवलीतुश॥१६॥ अक्षत श्यनणितंनमिजंसहिजणणीएसोगउंगेहाजणणिजणएहिं दिछोहरि सियहियऐहिंसोविमाणी 8 पूजा. एगंतेउविऊणं चलणवलग्गेण पुछिया जणणी अम्मो साहिह फुझकह जणणी मन को जणउँ६३ हूँ चिंतश्सासविश्का किं एसो अऊ पुन्छए एय। पत्नण पुत्तय अहयं तुह जणणी एसजणउत्ति 164 सचं अम्मो एवं तह विहु पछामिजम्मदायारे।तं परमबं पुत्तय तुह जाण एस जणउत्ति // 165 // तेणविपरितुणं कहिलं पमलाश्वश्यरो तस्स।तह पुण जण पुत्तय विन्ना कोविनहो सम्मं 66 नणि कुमरेण पुणो एसाजा ताय श्राणिया नारी।सा वानरीए सिहा एसा तुह जम्मजणणित्ति६७४ मुणिणा विहु पुछेणं एयं चिय साहिऊण नैंपिउहं।हेमपुरे गंतूणं पुष्ठसु तं केवलि एयं // 160 // 4 तो" ताय तब गंतुं पुछामो केवलिं निरवसेसं / जेणेसो संदेहो तुदृश् मह जुन्नतंतुव // 16 // श्य जणिऊणं कुमरो चलि सह निययजणणिजणएहिं। संपत्तो हेमपुरे केवलिणो पायमूलंमि७० __ (श्य जणिकणं चलि सहि सह जणणिजणयलोएहिं ) इति पागंतरं त्तिनरनितरंगो केवलिणो पायपंकयं नमिजं। उवविठो धरणियले सपरियणो सुरकुमारुव // 17 // जयसुंदरीविदेवी बहुनारिसहस्स मसयारम्मि। नियपुत्तेण समेया निसुण गुरुनासियंवयणं॥5 * 1 प्लाणंमि / 5 चित्तेहिं / 3 विमणो / 4 विलग्गेण / 5 साहेसु / 6 का / 7 सवियप्पा / " एवं / ए पुछामि / 10 कारणं किं तु / 11 विन्नान किंचिनहुसम्म / 12 ता / 13 मह / 14 सविसेसं / 15 ता। 16 तो कुमारोय। // 20 // IAC Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak
Page #45
--------------------------------------------------------------------------
________________ हेमपनोविय राया नियपुरनरनारिलोयपरियरिजाउवविछो गुरुमूले निसुणश्गुरुनासियं वयणे 173 पडावं लहिऊणं नरनाहो जण केवलिं नमिलं। जयवंसा महलजा जयसुंदरि केण अवहरिया : नणि सो केवलिणो हरिया नरनाह नियय पुत्तेणे। विम्हियहिये पनणश्नयवंकह तीए पुत्तुति - जो आसि तीए पुत्तो सो बालो चेव हये कयंतेण / कवलीकउँ महायस बीज पुत्तोवि से नहि // 17 // अलियं न तुह्मवयणं बीउ पुत्तोवि तीयसे ननि। श्य विहमिय कङपिव संतावं संसर्ड कुणइ // 17 // || जण मुणिंदो नरवर सच्चंमा कुणसु संसयं ए।जयवं कहसु कहंचिय अश्गरुकोउअंमलर कुलदेवय पूयाए वुत्तंतो ताव तस्स परिकहिजे। जा वेयढ पुरा समाग तंमि उजाणे // 1|| ॐ विष्फोरिय नयणजुङ जोयश् नरवश् तमुजाणं। तो विहमियसंदेहो कुमरोविहु नमतं जणयंर श्रालिंगिकण पुत्तं अंसुजलनरियलोयणो राया। रोयंतो बहुपुखं पुकेणय बोहिर्जु गुरुणा // 17 // (रोयंतोविहु पुकं उकेण वीबोहिउँ गुरुणा ) इति पागंतरं. जयसुंदरीविपश्णो चलणे गहिऊण तीए तह रुन्नं।जह देवाणवि परिसा बहुउकसमाउलाजाया (जह देवाणवि पुखं परिसामने समावन्नं ) इति पागंतरं. पुछो य रुयंतीएँ जयवं मह केण कम्मणा एसो।जा पुत्तविउँगो सोलस वरिसाण अश्ऽसहोर३३ 1 हेमप्पहोय / 5 जिणदेसियं धम्म / 3 तणएण / 4 विमिय हिय / 5 हत। 6 पुत्तुत्ति / 7 तं / पुत्तुत्ति। ||4|| " ए तोइसो।१० श्च / 11 कुलदेवय वुत्तंतो। सबोविहु।विश्वारिय।१३ तमुजाणे।१५ तो / 15 गुरूतीए।१६वरिसाणि / / CAUSSURES R AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak
Page #46
--------------------------------------------------------------------------
________________ अष्टप्र. सोलस मुहुत्तगाई सूश्नवेजंसूई हे उविया।अंमंहरिऊण तए सुअविरहोतेण तुहजार अदत जो दुकं व सुहं वा तिलतुसमित्तंपि देश् अन्नस्स।सो बीअं व सुखित्ते परलोए बहुफलं लहएरज्या // // पूजा. द सो गुरुणोवयणं गुरु पछायाव तावियमणाए।जम्मंतर उच्चरियं खमावियासा र तीए // 16 // तीएवि नहिऊणं नणिया जयसुंदरीवि नमिळणं। खमसु तुमंपि महासजंजणियं तुलसुयफुलं नणिया गुरुणा उन्नविजं बझं मछरेण गुरुकम्म। तें अऊ खामणाए खैवियं तुम्हेहिं नीसेसं॥१७॥ नणश्नरिंदो जयवं अन्ननवे किं कयं मए कम्म।जेण सह सुंदरीए कुमरेण य पावियंरऊ॥ 17 // जहें सुगजमंमि तए जिणपुर अस्कए खिविऊणं / संपत्तं देवत्तं रऊं तहँ साहियं गुरुणारए02 जं जंमंतर विहियं अकयपुंजत्तयं जिणंदस्स। तस्स फलं तुह अऊ वि तश्यनवे सासयं गणं रए | श्य नणिए सो राया रऊ दाऊण रश्यपुत्तस्स / जयसुंदरिकुमरजुर्ज पवन गुरुसमीवंमि // 15 // ॐ पवऊ पालेउं सहि दवाए तहय पुत्तेणें / मरिजण समुप्पन्नो सत्तमकप्पंमि सुरनाहो॥१३॥ तत्तो चुरी समाणोलकूण सुमाणुसत्तणं परमं। पाविहिसि कम्ममुक्कोअकयसुकै गर्ड मुखरए जह राया तह जाया कुमरो देवत्तणं मि जो देवी / चत्तारिवि पत्ताअकयसुरकंमि मुंबं मि॥१९॥ (पूजाष्टके तृतीयकथानकं) इति अदतदेवपूजायां कथानकं समाप्तम् / // 21 // 1 होइ / 5 सुन्निवि / 3 वा / 4 खमियं / 5 अह / 6 अकयेहिं विऊण / 9 पुणरङ / रईऽ पुत्तस्स / ए गुरु सयासंमि / 10 दश्याइ। 11 पुत्तहिं / 12 सासयसुरकं / 13 सा। 14 सासय सुरकत्ति मुरकत्ति / DIAC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak. To
Page #47
--------------------------------------------------------------------------
________________ // 4 // कुसुमपूजाविषे कथा // पुरजो जिणचंदं तिन्निवि संशाउ पवरकुसुमेहिं।सो पावश्सुरसुखं कमेण मुलं सयासुरकं॥ जह उत्तमकुसुमेहिंपूचं काऊण वीयरागस्स।संपत्ता वणियसुश्रा सुरवरसुखं च मुकं च // 5 // अत्थित्य नरहवासे उत्तरमहुराउरीन सुपसिधा / रायाविय सुपसिघोउ नामेणं सूरदेवुत्ति // 3 // तबय धणव नामो सिसी परिवस संपया कलि / नजासे सिरिमाला धूआ लीलाव नाम // 4 // अयिथ्य जरहवासे उतरमहुरापुरीय जयसिहि। नङा से सिरिमाला धूया लीलावई नाम // 3 // जायातीई कणिको मणको गुणधरुत्ति नामेण / उन्नविसहोयराइं विनूसणं सिम्गेिहस्स // 4 // सा अन्नया कयाई दाहिणमहुराइ सिहितणेएण।मयरध्य पुत्तेणें परिणीया विणयदत्तेण // 5 // 5 संचलिया ससुरगिहं सहिया नियपखवीई दासीए।पश्परियणपरियरिया संपत्ता नत्तुणो गेहं॥६॥ जाचिई ससुरगिहेता पिलश्सा कयाजिणबिंबं।वरमालश्मालाए समच्चियं नियसवक्कीए॥ अश्गुरुय मछराएँ अणामिछत्तमोहियमणाए।नणिया लीलावश्ए कुवियाए अत्तणो दासी॥७॥ चित्तूण श्मं मालं बाहिं नेऊण खिवसुवामीए। मशंति लोयणा मह मालं पिछमाणीए // ए॥ तीश्वयणा दासी पुर जा जा जिणवरिंदस्स।ता पिलश् नयनीया तं मालं सैप्परूवेणं // 10 // 1 पूय। 2 वरसुरकं / 3 वीयरागाणं / 4 नजाणगएण / 5 विक्षणं / 6 धाई बीय / नत्तणो / अन्य / |ए सवत्तीए।१० मन्चराइए / 11 बाहे। 12 सप्परूपेणं / Gunratnasun M S Jun Gun Aaradhak
Page #48
--------------------------------------------------------------------------
________________ पूजा. अष्टप्र. जाव न गिल दासी पुणो पुणो सामिणी जणियावि / ता बित्तूर्ण सयंचिय सा मालं निग्गया बाहिं // 11 // . कुसुम | जाव न निवमश्मालाहबा देवयाणुनावण। विसहररूवेण ठिया ता विलवश् उच्चसदेण // 11 // ॥হ৷৷ स्तं विलवंतिंसोजं समाग तब पुरवरीलोजीचिठश्सा सविलरका खिसिङांती पुरजणेण // 12 // श्तो ती सवक्की समागया विगयमबरसहावा। निश्चलसम्मत्तमई सुसाविया जिणमई नाम // 13 // तं दळूण रुयंती करुणाए सुमरिऊणे नवकारं / गहिया य जिणमईए सा माला ती हबा // जिणमइ हामि ठिया अहिययरं बहुलपरिमबुग्गारा।संजाया सा माला जिणवरधम्माणुनावण|8 दिन्नो साहुक्कारो तीसे सवेण नयरिलोएण। निम्मलसीलगुणेणं देवाणवि वल्लहा जाया // 16 // श्तो मुणिवरजुअलं घरपरिवाडी तंमि समयंमि। विहरतं संपत्तं लीलावर नवणदारंमि // 17 // है दळूणं मुणीजुअलं लवणदुवारम्मि सा समुछेड।वंदपरियणसहिया लीलावश् परमविणएणं॥रणार दाउण धम्मलानं नणिया सा मुणिवरेण जिण / लीलावर सुणसु तुम महवयणं तुघ्न हियजणणं // 15 // पुङाइजो जिणचंदं तिन्निवि संशाज पवरकुसुमेहिं।मुंजश् सो सुरसुरकं कमेण मुख्सया सुकरपद इक्केणवि कुसुमेणं नत्तीए वीअरागपूयाए / पावर पवर विनूई जीवो देवासुराणंपि // 20 // & जो पुण परेण रश्यं जिणपूयं मछरेण अवणे।सो नवसहस्स चक्के नम नरो फुकसंतत्तो // 21 // इह लोगंमि वि जीवो हिंमदारिदपुरस्कसंतत्तो।सुहसोहग्गविहूणो जिणपूयाविग्घकरणेण॥२॥ १डिया / 2 बहुपुरका / 3 सविक्की / / निम्मल / 5 समरिऊण / 6 जिणमाला / 7 तीए / विहियं / | एनवचक्कमुहट्टे। ॥श्शा खा. के. सा पोथा c.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak
Page #49
--------------------------------------------------------------------------
________________ सोऊण श्मं वयणं पवणाहयतरुदलंव कंपंती। पत्नणश्लीलावैश्य जयवं निसुणेह मे वयणं // 23 // || जश एवं ता जयवं पावा अणुहिय मए पावं / मालाए वुत्ततो नीसेसो साहिउँ तस्स // 24 // जयवं पावविसोही होही कह कहसुमन पावापानणिया जिणपूाए नाव विसुद्धी विहियाए२५ है 6 तत्तो समुहिऊणं पजण नमिऊण जावजीवाए। कायवा अवस्स मए जिणपया तिन्निसंझाउँ६॥ , तह जिणमय पछा पछायावेण तावियसरीरा। खामश्चलणविलग्गा पुणो पुणो ज्ञावसुद्धीए॥७॥ एवं मुणिवयणा पमिबुझा सहजणेण अह लीला। निम्मलसम्मत्तजुया संजाया साविया परमाश्|| जावनअबविणासोजाव न जीवस्स बंधवविउंगो।जाव न पावश्दुरकं ताव न धम्ममि जजमशए || एवं विबोहिऊणं मुणिणो सम्माणदाणकयपूया।संपत्तसाहुकारा विणिग्गया ती गेहा // 30 // लीलावईवितेत्तो तिन्निवि संज्ञासु पवरकुसुमेहिं / पुजइजिणवरचंदंपदियहं परमैनत्तीए // 31 // अह उक्कंठियहियया बहुदिणदिहाउ जणणिजणयाणानियपश्णा अणुन्नायासमागया उत्तरामहुरं / सालही स्व सहसाए गेहंमि समागयाइलीलाए।संजा संतोसोबंधवजणजणणिजणयाण // 33 // कुवंती जिणपूयं पुछाच नाजणा सिणेहेण।साहसु तुमं सहोयरि जिणवरपूयाफलं मन // 34 // नणि सुणसु सहोयर जिणवरपूश्राश् पावए जीवो। सुरचक्केसररिछी पुणोविसिद्धीसुहसमिझी३५, ह लोएविन पहवर उवसग्गो सत्तुंदुहसंजणिउँ।जो जिणवरस्स पूयं करे नत्तीय सत्तीए // 36 // १नीया पजण लीला / 2 मह / 3 पावाएणुज्यिं / 4 एयं / 5 विसुधिवि। 6 अवस / लीलाववि। // 4|| लीलाए / एइत्तो। 10 संता / 11 पवर / 12 पुर्विश्व / 13 तस्स / 15 कुण सया तिन्निसंता। & Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak TID
Page #50
--------------------------------------------------------------------------
________________ अष्टप्र. कुसुम प्रजा. // 23 // जएवं ता मावि एसोविये जावजीव नियमुत्ति।कायवा जिणपूया निच्चं चिय तिन्नि संशा 378 नणि धन्नोसि तुमंजस्समईतुन एरिसांजाया।नहु जिणपूयाश् मई संजायश् मंदपुन्नस्स॥३॥ एवं उन्हें पिसया जिणवरचरणचणं मि निरयाणं / वच्चंति ताण दियहाअखं मिय नियनियमाणं॥ मरणेवि स नियमेणं जिणवरचलणचणंमि निरयाण।मरिऊणं जायाऽन्निवि सोहम्मकप्पंमिग जति तब उन्निवि निच्चं हियछियाई सुकाई। पुवसमङियजिणवरप्याधम्माणुनावेण // 41 // अह रत्तो पउमपुरे पउमरहो नाम नरवईवस।पउमा नामेण पिया पाणपिया तस्स नरवश्णो 42 सोविय सग्गाउ चुर्व गुणहरजीवोवि तस्स नरवश्णो।जाऊ जय नाम सुर्च पउमागनंमि संजूज़॥४३ है। गहियकलागमकुसलो जुवर्णलायन्नतिपझिपुन्नो।जाउँ सो जयकुमरो पच्चर सुरकुमारुव // 4 // एत्तो सुरपुरनयरे राया सुरविक्कमुत्तिनामेण / नजा से सिरिमाला सिरिव सा वबहा तस्स॥४॥ लीलावश्चविऊणं सिरिमालाकुछिसंजवा जाया। विणय सिरी नामेणं सुरविक्कमराश्णो धूया // 46|3| जा सोहग्गगुणेणं हरिहरघरणिव हर हियया। निस्संगाण मुणीणय किं पुण सेसाण पाणीणं | * अह अन्नदिणे जणणी उचियं नाऊण पाणिगहणस्स।पेसेइ निययधूयं नरवणो पायमूलं मि॥४॥ अबाणंमिठियस्सयँ पिउणो सो पण मिऊण पयकमलं / उवविधा जलंगे पिटणा पुण चुंबिया सीसे | दणं तं कुमरि चिंताजलहिंमि निवमि राया। कस्सेसा दायवा चियेवरो नेवे दीस श्मीए // 23 // | 1 एसच्चिय / 2 एरिसी / 3 जोयण / 4 पच्चरको / 5 इत्तो / 6 मुणीणवि / 7 संठियस्सल / - नियपिउणो। ए सीसे परिचुंबिया पिजणा। 10 कुमारिं / 11 उचिठवि / 12 न / TAC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak
Page #51
--------------------------------------------------------------------------
________________ नणिया सा नियपिउणा दिहिं परिकवसु रायपुत्तेसु।साहसुजमणझं वरेमि तं तुझ कोण॥५१॥ खिविऊण तेसु दिहिं पुणोवि एयाजतिसंवरिया। नयणाण न रुच्चश्तं किं हिययस्स पमिहा तेसु विरत्तं चित्तं धूवाए जाणिकण नरनाहो।नीसेसरायरूवं पमिलिहिउँ ती दंसेश // 53 // है तेहिंवि दिरोहिं पुणो दिही नहु रमश्रायकंनाएँ। कमिवि कम्मवसेणं दि दिही धिई कुण॥५॥ चिंतऽस्कियहिय ती पिया नूण श्च लवणं मि। जोधूयाए रुच्चइँसोकोविननिम्मि विहिणा जयकुमरस्सवि रूवं पडएँ लिहिऊण दंसियं तीए। हरिसुध्यिपुलयाए पलोश्यं निदिछीए५६ मुणिया सा नरवश्णा जह जयकुमरंमि साणुराउत्ति। अहवा हंसी हंसं मुत्तूण न वायसं महश्५७/8 कन्नादाण निमित्तं राया सदाविळण नियमंती / पेसेश् य पउमपुरे पासे सिरि पनमरायस्स॥५॥ गंतूणं पलमपुरे पनमरहं पण मिकण सो नण।सुरपुर नयरा 12 समाग तुझेपासंमिणार सुरविक्कमनरवश्णो पत्नणश्महअनि सुंदरा धूयासातुहसुयस्सदिन्ना विणयसिरीजयकुमारस मंतिवयणाज तेण वि पमिछिया तस्स राणो धूया।अहवा घरमावंति को नेश्अत्तणो लछि 616 | कहि कन्नालानो" नरवश्णा तस्स जयकुमारस्स। कुमरोविहु परितुझो रिद्धीलानेण अधणुवे॥ हूँ सम्माणिऊण सम्मं विसङि सोवि राणा मंती। सोविय विवाह दिवसं कहिऊण समागऊ नयेरं | १ताए / 2 फडत्ति / 3 सेस रायाणरूवं / पडिलहियं / ए रायधूयाए / 6 नुवणेवि / 7 रच्च। पडिए। गए हरिसुच्यि / 10 निढ / 11 साणुरायत्ति / 12 अहं / 13 तुन / 15 सुरविक्कमो नराहिव / 15 विजयकुम-15 / रस्स। 16 घरमायंती। 17 कन्नालाहो / 10 रिधीलाहेण / १ए अहणुव / 20 नयरिं। CRISISOORHISHAHAHAHIROSHIRISAARE* RIAC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak
Page #52
--------------------------------------------------------------------------
________________ अष्टप्र. सोहणदिकमि कुमरो जण्याएसेण परियणसमेट / संचलि य कमणं संपत्तो सुरपुरे नयरे // 6 // कुसुम सुरविकमनरवश्णा पयमिय गुरु गजरवेण परमेण ।संमाणिऊण कुमरो पवेसि विमल विहवेणध है। पूजा. " पाणिग्गहण मुहुत्ते' संपत्ते नूरिमंगलरवेणं / वित्तं पाणिग्गहणं कुमरीए सह कुमारेणं // 65 // 2 गमिळणं कवि दिणे गुरुय पमोएण ससुरगेहंमि। पुणरविकयसंमाणो संचलि निययनयरंमि६६ विणयसिरीए सहि कुमरोजा जाश्रन्नमसंमि। ता पिलश्यायरियं सुरमहियं साहुपरियरिय। * निम्मलसियवनधरं निम्मलसियदंतकंतिपंतिवें। निम्मलचजनाणजुयं निम्मलनाणं चनामेणंद है नणि विणयसिरीए सामिय दीस मुणीसरों एस। ता गंतूणं एवं वंदामो परमनत्तीए // 6 // एवंति पनणिऊणं कुमरोसो नीयपरियणसमेऊ / गंतूण मुणिवरिंदं वंदर विणएण परमेण // दाऊण धम्मलानं फुत्तरसंसारसायरुत्तरणं / जणि सोमणिवश्णा जयकुमार सुसाँगयं तुश॥॥ विणयसिरी विनणिया नद्दे तुह होउधम्मसंपत्तीश्यनणिएसापणमश्पुणोविपयपंकयं मुणिणो"|| चिंतंति" दोवि हियए जयवं कह मुणब्रह्मनामाइं।अहवाश्च न चित्तं नाणधरा मुणिवराहुँति है धम्मं जिणपन्नत्तं सोऊणं मुणिवरिंदवयणा / पुल नियपुवनवं नमिळणं मुणिवरं कुमरा // 4 // नयवं किं पुवनवे बहुपुन्नं अङियं मए विमलं / जेण हिययस्स झं पत्तं रऊं कलत्तं च // 5 // नणि तुमं महायस वणियसु आसि पुत्वजम्मंमिाजिठाय तुस का जश्णी लीलावश्नाम॥६॥ ॥श्वा 4|| 1 विहवेणं / 2 निमित्तं / 3 पतिकंतिम्लं / / दंसे / 5 मुणिवरो / 6 श्च / 7 सुसंगयं / विय / ए हो / 10 गुरुणो / 11 चिंतिति / 12 चोकं / 13 सुहपुन्नं / / IAC.Gunrainasuri M.S. Jun Gun Aaradhakti
Page #53
--------------------------------------------------------------------------
________________ र दणं पूअंती तिन्निवि संशाउ जिणवरं जत्ता / तुझवि जाया सझा पवत्ती ती तुमयंपि // 7 // जिणपूयापुन्नेणं सुरलोए मुंजिऊण सुकाई / तत्तो चुएण तुमए संपत्तं एरिसं रऊं // 7 // पुणरवि सुरनरसुवं कश्वय जम्मतराई जुत्तूणं। पाविहि सि सिझिसुखं जिणवरपूआणुनावण पुनश्हर सियहियर्ड जयवं पूआणुनाव नश्णी / कवणं गइंगया सासंप पुण चिहकबा8 नणि सो मुणिवश्णा सोहंमेसुरसुहाई जुत्तूणं। एसा सा तुह घरिणी संजाया विधिनिउँगेणं॥॥ सोऊण निययचरिशं मुणिवरवयणा ताण उहपि।जायं जाईसरणं संजरियं पुबनवचरिया पक्षणंति दोवि जयवं सच्चं तुझेहिं नासियं वयणं / अम्हेहिंवि विनायं जाईसरणेण नीसेसं // 3 // पत्नण सा विणयसिरी जयवं किं हुयवहंमि पविसामि।जं पुत्व बंधवो विहु नत्तारोमक्ष संजा घिहित्ति मन जम्मो जयवं लोएवि गरहिर्ड एस।पुवनवे नाया विहु लत्तारो जम्मि संजाय॥ चणिया सा मुणिवश्णा नद्दे मा एव फुस्किया होहि ।मरिऊण बंधवो विढु जत्तारो होइसंसारे 76 3 जयवं सच्चं एयं किंतु न मुलं अयाणमाणस्स। अप्पहियं श्छतो जाणंतो को विसं खाया तम्हा वियाणमाणी श्छामिन नाउणा समं नोए। जाजीवेमि श्याणि नियमाबंनवयं मशंजा ता देसु मन दिलं जयवं नवनमणपुरस्कनिद्दलर्णिांजणिया सामुणिवश्णा नद्दे उचिऊ तुह विवेन / पत्नणजयकुमरोविहु जयवंधिहित्तिएससंसारोजंमिमरिऊण नश्णी उप्पङाइ कम्मुणा घरिणी| .. 1 लणी / 2 जमंतराणि / 3 हरिसिय / / विहि / 5 मन / 6 जावजीवमियाणिं / 7 विवेगो। -C0 ( c.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhaki
Page #54
--------------------------------------------------------------------------
________________ कुसुम प्रजा. ॥श्या अष्टप्र. संसारविरत्तो विहु पव्वळ पालिऊण असमबो। ता किं करेमि जयवंसाहसुजं मशकरणीय॥ए। जइ एवं जद्द तुमं पवऊ पालिउंच असमबो। ता सम्मत्त विसुङ पविङसु सावगं धम्मए॥5 पवावियविहिजोगेविणयसिरीविसयसुकनिरविका|जयकुमरोविढुगुरुणासावगधम्मंमिसंगविजे विणयसिरी खामे नमिऊण य पायपंकयं गुरुणो।संपत्तो निय नयरे कुमरो परिगहिय जिणधम्मो है सुवय गणणिसंमीवे पवऊ पालिऊण विणयसिरी। पावियकेवलनाणं संपत्ता सासयं गणं॥ए। इति पूजाष्टके कुसुमपूजायां चतुर्थमाख्यानकं समाप्तम् / 90%ARSHAN **3AHAHAHAHAIGUSESSORIASISHA १कायबं / विसुयो। 3 पवाविया य विहिणा।नयरं / ए गणिणि / 6 संपत्त केवलसिरी। ॥श्या McGunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak TL
Page #55
--------------------------------------------------------------------------
________________ 5 दीपपूजाकथानकम् जो दे दीवयं जिणवरस्स लवणं मि परमजत्तीए।सो निम्मलबुधिरो रमश्नरो सुरविमाणेसु 13 जिणजवणंमिपश्वो दितो जत्ती परमकहाण।जह जिणमई पत्तं धणसिरिसहिया देवत्तं // 2 // अबिबजरह खित्ते नयरं महिमंमलंमि सुपसिझं / मेहपुरं नामेणं विबुहावासं सुरपुरं व // 3 // |8| तब पुरे नरनाहो मेघो नामेण वसश्सुपयावो / जो वरिगयवराणं सीहो श्व दप्पनिद्दलणो // 4 // तमि पुरे गुणजुत्तो जिणवरचरणचणंमि उझुत्तो। संमदिही सिही सुरदत्तो नाम परिवस॥५॥ निम्मल जिणधम्मरया निम्मलगुणरयणनूसीयसरीरानिम्मलसीलाहरणा सीलवई नारियातस्स है निम्मलेसम्मत्तरुई जिणमश्नामेण ताण वर धूया।तीए धणसिरि सहिया रहिया सम्मत्त बुद्धीए / उन्निवि समसुहसुहियाऽन्निविसमपुकारिकयायाऽन्निविसमनेहाउन्निविसमरूवसोहा | अह अन्नया कयाई जिणनवणे जिणमई जिणिंदस्स। दिती पवरपश्वं दणं धणसिरीजण ए8 है पियसहि साहेसैं फलं दीवयदाणेण जिणवरिंदस्स। जेणाहं पसंझे जिणनवणे दीवयं देमि 10 नणिया य जिणमईए नदे जत्ती जिणवरिंदस्स। दीवयविहिदाणफलं सुरनरसुखं च मुकंच११ है विमला बुद्धी देहो अखंमि हवश्वीयरागाण। दीवयविहिदाणफलं रयणाणिय बहुपगाराणि 15 1 पईवं / 5 जावेण / 3 सहकवाणं / / जिणमइए / 5 मेघपुरं / 6 चलण / 7 वरदत्तो। 7 सीलमई / / ॐाए तं निच्चल / 10 मुन्नवि (4) / 11 साहेह / 12 पि तिसंनं / 13 बहुप्पयाराणि / WicGunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak The
Page #56
--------------------------------------------------------------------------
________________ ॥श्६॥ अष्टप्र. जो जिणवरस्स पुर देश पश्वं पराइ नत्तीए / एमेव तस्स मस पावपयंगो न संदेहो // 13 // सोऊण धणसिरीविय जिणपुर मंगलं विहेऊण / पुप्फकयकयपूयं दे पश्वं सुजत्तीए // 14 // पूजा. 15 एवं पदियहं वियं दीवं दिती जिणवरिंदस्स / संजायं धणसिरीए जिणधम्मे निच्चलं चित्त॥१५॥5 उन्निविदिति पश्वं तिन्निविसंशा जिणवरिंदस्स / जत्तिजरनिलराउ जिणिदधम्मिकचित्तार६ 8 अह धण सिरी सयंविय नावं नियजीवियस्स पङतं। गिले जिणमईए वयणा अणसणं वीहिणा | है काऊण अणसणविहिं विसुङलेसाइ सा मरेऊणं / सोहंमे उववन्ना देवी दिवेण रूवेण // 17 // अह साधणसिरिविरहे उरकत्ता जिणमई विसेसेण। जिणवरदीवपयाणे पश्दियहं उऊमं कुण संपत्ते पळते विहिणा मरिऊण विहिनिगेणं / सोहंमे संजाया देवी धणसिरिविमाणं मि॥२॥ अवहिविसरण ना नीसेसं पुवजम्मसंबंधं / तबवि गयाउ सुन्निवि जाया गुरुसिणेहाज॥२१॥ नियरि िदणं उन्नवि चिंतंति विझियमणा / केण सुकएण एसा पत्ता अह्मेहिं सुररिद्धी वीन्नायं नाणेणं जिणवरजवणं मि दीवदाणेणं / संपत्ता अझेहिं एसा हियश्लीश्रा रिकी // 3 // तत्तो समरेऊणं रिसह जिणिंदस्स मंदिरं पवरं / अवश्नाउ पुन्निवि रहसेणं मेहनयरंमि॥४॥ फलिहसिलायलघमियंकंचणमणिरयणथंजपरियरियारिसहजिणेसरनवणं विणिम्मियंकमलपेरंतं है। 13 // 26 // | 1 पयदियहंचिय / जिणवर / 3 अहिययरं / अवहिवसेणं। ५उन्नवि।६तंसरिजणं। परमं। कलसपेरंत। HIAC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak. TE
Page #57
--------------------------------------------------------------------------
________________ कंचणदंगसमूसियधयमालालंकियं करेऊण / कलसोवरिं पश्वो उवि वररयणनिम्मविउँ // 6 // मुत्तूण कुसुमवुहिं गंधोदयमीसियं च जिणनवणे / तिपयाहिणी करेलं वंदति य दोवि रिसहेसं 7 थोऊण जिणवरिंदं पुणो पुणो नत्तिनिप्परमणा / पत्ता नियहाणे सेवंति जहछियं सुकं // 20 // धणसिरिदेवी देवाऊयंमि खीणंमि निरवसेसंमि। चविऊण समुप्पन्ना हेमपुरे राणो जाए नामेण कणगमालो सीसे सेसिब सबमहिलाणं / नियजीवाजे हा मयरघ्यनामधेयस्स // 30 // अह तस्सं पढमयरा मश्रानामेण राश्णो दश्या / सा परिजवपुकेणं मरिऊणं रकसी जाया 31 ॐ कणगमालाइसहि विसयसुहासत्तमाणसो राया। दोगुंगो देवो गयंपिकालं न सके। // 3 // वासहरंमि पवा रयणीए ती देहकंतीए। पहया रवितेएण वे नित्तेया ते पयासंति // 33 // * सा रकसी नरिंदं दश्यासत्तं वियाणिलं कुका / रयणी अझरत्ते समागया राश्णो पासे // 34 // * दाढाकरालवयणो जीसणनयणो कयंतरूवोय / मुक्को ताण वह वेनविय विसहरो तीए // 3 // सो कणयाए तेयं असहंतो लोयणे निमीलेई / उहहिणय लिउँ नियकायं कुंमलीका // 36 // जाव न पहवर सप्पो ता अश्कोहानलेण पङलिया / मुक्को नीसणसद्दो पाणहरो मंदसत्ताण 37 | १तिपयाहिणं / 2 कणयमाला। 3 नियजीवियाउँ / तीयेविय / 5 दढमश्रा नाम / 6 दोगुंगव / 7 या / पविच / ए वि।१० रयणीए / 11 कयंतरूबुब / 12 विजबिय / 13 निमेलेलं / 14 उहदेऊण / |15 कुंमलेऊणं / 16 तावय कोवानलेण जलियाए। DIA Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak
Page #58
--------------------------------------------------------------------------
________________ // 27 // अष्टप्र. 4 तेणवि अखुद्दचित्तो समुहिर्ज नरवई सह पियाए। पिछ पुर सप्पं पियाई तेएण नित्तेयं // 30 // दीप रत्तो जीसणरूवं काऊणं नेसिसमाढत्ता। तह विहु नियसत्ताले नये चलिया कणगमाला सा३ए / ती सत्तेणं तुझा पसन्नरूवेणे अप्पणी काउं / पत्नण वच्छे तुझा जं मग्गसि तं पणामेमि // 4 // नणियासा कणयाए नयवश्जें देसि मन परितुघा / ता तुंगं पुरमले मणिरयणं कुणसु पासायंधर एवं ति पणिऊणं विणिग्गया रकसी निययगणं। जीयत्व रकसीए पढमंचिय जामिणी नहार |त्तो सुहपमिबुझा समये दइएण कणगमाला सा। पिछठियमप्पाणं देवी विणि म्मिए जवणे 436 तं सुरजवणसरिठं दणं नण नरवश्लो / कणयादेविनिमित्तं देवीए विणिम्मियं जवणं 44 नवणगवलंमि लिया जिणजवणपश्वयं पलोयंति।कुणश्रश्रयणीए पदियहं कणयमाला साध्य है। तो सा सग्गा जिणम देवी बोहणघाए। श्रागंतूणं पत्नण कणगं रयणीपबके // 46 // 2 जाकीलेसुँ किसोअरि कंचणमणिरयणघमियनवणेसुरतंजम्मंतरजिणलवणे दीवदाणस फलमेयं / एवं सा पश्दियहं पुणो पुणो पढ बोहणघाए / सावि मणेणय चिंतश्को एसो पदिणं पढवण जर एही कोविमुणी अश्सयवरनाणे रिछिसंजुत्तो।ता पुनिस्सं एयं श्य कणयाजा विचिंते३४ए ता बहुसमणसमे समाग गणहरुत्ति थायरि / अश्सयनाणसमे समोसढो नयरउजाणे / 1 दश्या / 2 नहु / 3 पसन्नरूवं च / / अत्तणो / 5 जइ। 6 पुरवरीलोड। 7 जंकीलेसि / दीवयदाणस्स |ए मणेणं / 10 होही। 11 सिद्धि। 12 कणयमाला जाव चिंते। FASAHASRAHASRAS1111 // 27 // De Ac Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak
Page #59
--------------------------------------------------------------------------
________________ ARSANSAR नाऊण कणगमाला उजाणे संठियं मुणिवरिंदं / जत्ती वंदणवं संचलिया सह नरिंदेण // 51 // दण मुणिवरिंदं वंदर तिपयाहिणं करेऊणं / धम्मं च सुणेऊणं पुल नियसंसयं कणया // 5 // नयवं को पदियहं महपुर पढअकरतंमि / केण निमित्तणं चिय साहसुअश्कोउयं मश५३| पुविं दोसहिया जिणमधणसिरि पसिनामा। जिणदीवयदाणेणं दोवि गया देवलोगंमि५४ तत्तो चविऊण तुमं जाया श्वेव राणो नजा।साविय जिएमश्देवी पदियहं कुणश्पमिबोहं 55|| सा सग्गा चविलं श्चय जम्मंमि तुह सही होही / तत्तो मरि तुझे सबके दोवि देवत्ति॥५६॥|| सवठाउ चविलं वयजुत्तं पाविऊण मणुयत्तं / कम्मरकरणे तुझे उन्निवि सिकिंपि पावेहें // // 5 जं जिणनवणपश्वो विहि तुझेहिं श्च जम्मंमि। तस्स फलं निवाणं होही नबिन संदेहो॥५॥ एवं मुणिवयणा पुवनवं अत्तणो सुणंतीए / जायं जाईसरणं सहसच्चिय कणगमालाए // // पनण जयवं सबो पुवनवो मक्ष साहिउँ तुमए / हिँ मएवि नायं जाईसरणेण नीसेसे // 6 // श्य जणिऊणं कणयासम्मंपमिव जिऊण जिणधम्म।समयं विय दश्एणं समागया अत्तणो गेहंदर जिणमश्देवी पुणो जणियासा जामिणी पब साहु तए पमिवंनो जिणधम्मो मयसमो वच्छे 654 इहिं अहंपि चविलं सायरदत्तस्स सिहिणो धूया / होहामि तए नद्दे बोहेयवा य जिणधम्मे 63|3|| एवंति तीए जणियं विणिग्गया जिणमई निययगणाजुंज सुरसुका कणयाविय मणुयजम्मस्स। . 1 पयाहिणी / तुहबोहिं / 3 श्चवि / 4 कम्मरकएवि / 5 पाविजा / 6 नीसेसो / 7 मइ विसालछि ROADCLOSSADORGANGANASALUESC 12 Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhaki
Page #60
--------------------------------------------------------------------------
________________ अष्टप्र. ॥श्ना जिणम देवी चविलं सायरदत्तस्स सिणिो धूया। सुलसागनुप्पन्ना नामेण सुदंसणा जाया 65 ! सा पढमजुवणबासमागयाकह विजिणहरे दिछाकणगमालाश्नणियासुसागय मशंसहियाए 662 & एयं तं जिणनवणं रिसह जिणंदस्स संतियं पवरं / जम्मंतरनिम्मवियं कलसुवरिं रयणदीवंच 67| 4 तें सोऊणं वयणं सुदंसणा पासऊण कणयं च / संपत्तजाश्सरणा आलिंग गुरुसिणेहेण // 6 // साहु तए सहि सम्मंअहयं पमिबोहिया पयत्तेण।श्य नणिऊणं मुन्निवि संजाया हरिससंतुझाए काऊण सावगत्तं सुझं समर्णत्तणं च पालेउ / मरिऊण समुप्पन्ना सबके सुरवरा दोवि // 70 // तत्तो चविऊण पुणो सम्मत्तं पालिकण सुविसुझं। कम्मरकरण सुन्निवि पत्ता सिकिं सुहसमिङि७१ श्य जणियं सुपसलं जिणदीवयदाण सुहफलं एँयं / संखेवेण सम, नवियाण विबोहणघाए // 2 // (दीवय कहाणयं समत्तं ) इति पूजाष्टके दीपदानोपरि पंचमं कथानकम् / 1 सुसागया। 2 तुन / 3 एयं त जिणलवणं जमंतर दीववि सो चेव। अहयं सा तुह सहिया तुमंपि मह सा सही चेव / / सोऊणमंवयणं / 5 सम्मत्तगं / 6 सामन्नं / 7 पुन्नफलमेयं / महवं / ॥श्ना HAC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak TIS
Page #61
--------------------------------------------------------------------------
________________ 6 अथ नैवेद्यपूजायां कथानकम् / ढोय बहुत्तिजुर्व नेवऊं जो जिणिंदचंदाणं / लुज सो वरजोए देवासुरमणुयनाहाणं // 1 // ढोयर जो नेवऊं जिणपुर नत्तिनिप्परमणेण / सो नरसुरसिवसुखं लहई कोमंबियनरुत्वं // 2 // खेमा नामेण पुरी निवस नरहस्स मशयारंमि / जा सुरपुरिव निच्चं सुरजवणविनूसणे अ॥३ सूरुव जो अरीणं तेएणं ससिहरुब लोयाण / परिवस तब राया नामेणं सूरसेणुत्ति // 4 // धन्ना नामेण पुरी आसि पुरा तस्स राश्णो वंसे / सीहरूजत्ति राया सुपसिझो धीरसत्तेणें // 5 // तीए नयरीए तश्या पवेसमग्गंमिमहरिसी एगोकयनियमोसाणबो न चलश् सोनिययनियमा पविसंतो नयरीए निग्गवंतो ये निग्घिणो लोगो।अवसनणत्ति मुणे पहण मुंडेय सीसंमि॥॥ ..... (अवसउणुत्ति नणेलं पहणे मुडी सीसंमि.) पागंतरं..... तह पामरो य पावो पहराराश्सामिणो देहं / तहविहु न चलधीरोनाणा मंदरगिरिव // 7 // नयर निवासी देवो कुवि लोयस्स सावराहस्स / निदोसेवि मुणिंदे घोरुवसग्गं कुणंतस्स // खंतरंमि मुणिणो घोरुवसग्गेवि विसहमाणस्स / जायं केवलनाणं मरणं विय तकणावेव // 10 // कम्ममहारिउचकं उवसमचकेण निदलेऊणं / सो वरमुणी महप्पा परमपयं सासयं पत्तो॥११॥ * आ गाथा बीजी प्रतमा नथी.। 1 नरोहलियपुरिसुव / विनूसिया। 3 जय।४ पणयाणं / 5 वीरसतेण / 6 वि। पहण। तरकणंचेव / ए वीरमुणी। Jun Gun Aaradhak RIc.Gunratnasuri M.S.
Page #62
--------------------------------------------------------------------------
________________ आशा |विहिउँ तह उवसग्गो कुक्केण सुरेण नयरलोयस्स। जय सहसविय नयरं सर्वपि निरुकसंचारिश श्राराहिऊण विहिणा तुरेण सुरेण पनणिराया।अन्नपएसे नयरं कुणसु तुमं होहिही खेमं 13/8 तस्स वयणेण एसा पुत्विं निवासिया नरिंदेण / जायं च त खेमं खेमपुरी तेण विकाया // 1 // तू नयरि निवासिय देवो सुन्ने रन्नंमि रिसहनवणं मि।देश न फुटपवेसं निवसइ सो सीहरूवेणं 15 है। एगो कोविजुवाणो फुस्सहदारिद्द कसंतत्तो। जिणहरपुर खित्तं पश्दियहं सो हलं वहश् 161 खेमपुर घरिणीए श्राणियं सामिणो य गेहाठ। जुंज अरसं विरसं घयतिबविवडियं नत्तं 27 7 अन्नदिणं मि नहार्ड चारणसमणं समागयं दई / रिसह जिणिंदं थोडं" उवविकं एगदेसंमि 20|| पाणंदबाहजलजरियबोयणो नत्तिनिप्परसरीरो। मुत्तूणं निययहलं तं वंदश् परम विनएणे 156 नयवं निसुणसु ऐयं फुलहं लहिऊण माणुसं जम्मं / किं जम्मा अहयं संजाउँ मुरिक निच्चं | नणि सो मुणिवश्णा जद्द तए परनवंमि नत्तीए।दिन्नं मुणिहिं न दाणं नय नेवऊं जिणिंदस्स 12 2 तेण तुमं श्ह जम्मे कहविहु संपत्तमाणुसे जम्मे।जा जोगविहूणो दीणो उहि दरिदो यश / सोऊण श्मं वयणं धरणियलनिहत्तमुत्तिमंगोया नणि तेण मुर्णिदो जयवं निसुणे( महवर्येणं 53 . ॥श्या 1 सहसच्चिय / 2 निरुवसंजायं / 3 आराहिएण। 4 होइ जह / 5 विनिवेसिया।६ नयरनिवासी। 7 नयरेवि। कोई। ए खित्ते / 10 खेमपुरा / 11 श्रुणे / 12 लोयणो। 13 विणएणं / 14 जणश्य जयवं निसुणेसु / 15 सुरकविहीणो। 16 निहिय उत्तमंगेण / * निक्षिप्तमस्तकेन / 17 निसुणेह / 10 मेवयणं / Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak. The
Page #63
--------------------------------------------------------------------------
________________ नियनोयणमलाउ पिंमि ढोऊण जिणवरिंदस्सासंपत्तमुणिवरस्स वि जुत्तवमनिग्गहो मस 24 / नणि य मुणिवरेणं निच्चलचित्तेण श्छे होयत्वं / जेण तुमं च सुहेण सासयसुहजायणं होही२५ % श्य नणिऊण मुर्णिदो नमि हलिणा विसुनावण।उप्प गयणयले विहर हियद्रियं देसं 264 हलिउविहु पदियहं घरिणीइसमाणियंमिन्नत्तं मिानियनोयणाज थेवं गहिऊणं कुण जिणपुर|६| अह अन्नया चिरा बुहानियस्स आगयं नत्तानस्किवश्जाव कवलं तासमर अत्तणोनियमं है उरिकत्तं पिहु कवलं ऊमत्ति मुत्तूण गहिय निवजो। जावलि जिणजवणे ताजं जायं तयं सुणह / सत्तपरिकाकामो हलियस्स पुरा हिवो सयं देवो। जिणलवणस्स ज्वारे चिसो सीहरूवेण३० चिंतश् हलियजुवाणो जिणपुर पिडिऊण तं सीहं / कह चुंजिस्स मदिन्ने नेवळे जिणवरिंदस्स: ता अऊ जिणपुर जीवियमरणं व होश्ता होज / अवस्स मए दायवं नेवऊं जिणवरिंदस्स // 3 // अवलंबिऊण सत्तं जह वच्चे जिणवरासन्ने। तह तह तुझो सीहो उवट्टई पछिमपएहिं // 33 // 6 *श्य कयनियचित्तोपविसजा जिणहरंमि सोधीरो। ता सहसा सो सीहोऊमत्ति असणीह नत्तिनरनिप्तरंगो नेवऊं जिणवरस्स दाऊणं / पुणरवि नमिऊण त समाग निययगणं मि 35 हलियस्स तस्स पासे नयरिनिवासी पुणोवि सो देवो। पत्तो नोयणसमए समाग समणरूवेण३६२ | १पिंडं। 2 य / 3 जद्द / 4 सुरकेणं / 5 जप्पय / 6 हियलिए देसे / थोवं / सुमर / ए नेवजो। 10 चलिन / 11 चि / 12 वच्च / 13 जिणवरासन्नं / 14 हट्टो। . ROOSISAARIS * c.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhakt
Page #64
--------------------------------------------------------------------------
________________ श्रष्टप्र. उरिकवर जाव कवलं ता दिछो मुणिवरो य सो पुर। संगहियं जं जत्तं तुझेणं तस्स तं दिन्नं // 3 // अवरं च गदेऊणे पुणरवि जा चुंजिकण माढत्तो / ता अन्नो विहु समणो समाग थिविररूवेणे३० // 30 // तस्सविजं संगहियं तं दाजं जंजिऊण माढत्तो।ता अन्नोवि य सहसा समाग खुड्डगो समणो 35|| जा नीसेसं जत्तं जत्तीए तस्स देउमाढत्तो / ता पच्चरकीहोलं पत्नण तं देवरूवेणं // 40 // 8 नोलो परितुछोहं जिणवरधम्ममि सुझबुद्धीएँ। पत्नणसु जं मणशं तं तुह सवं पणामेमि॥४॥ जश् देव देसि तुझो मस वरं नणसोहली तुंछो। ता दारिदंतमोहं पहणसु मह अबसूरेणं // 4 // एवं हवउत्ति सुरेनणिकण विणिग्गएँ निययगणं। तेणवि सुरवुत्तंतो दश्याए साहि सबो॥३॥ तीएविहु सो नणिर्ड धन्नो तं जस्स जिणमए जत्ती / जश्नत्तीए तुछो देवोविहु तुह वरं देश॥४॥ अणुमोयणंपि" तीए नाव विसुद्धीअङियं पुन्न।अणुमोयणयावि ज जीवो नवपंजरंदलश्४५ श्तो खेमपुरीए धुश्रा सिरिसूरसेणनरवश्णो / विन्दुसिरी नामेणं विण्हुसिरीचेव पच्चरका॥४६॥ तीए गुणाणुरूवं वरमलहंतो नरेसरो नेवें / सवेवि नूमिपाले मेलित्तु सयंवरं कुण // 4 // विरयएँ परममंचे तीए नयरीबाहिरुजाणे / कंचणमणिसोवाणे देव विमाणुव्व रमणीए // 4 // &aa 1 गहिऊणं / 2 नुंजिचं समाढत्तो। 3 अररूवेण / 4 जाव तुंजए अवरं / 5 खुल्लगो। 6 दाउमाढत्तो। | तुनजत्तीए / 8 देवो / ए दालिद्द / 10 विणिग्ग: / 11 अणुमोअणा / 12 अणुमोयणा जह्मा / 413 सके / 14 दूएहिं / 15 मेलेवि / 16 विरएवि। // 3 // Jun Gun Aaradhak IAC.GunratnasuriM.S.
Page #65
--------------------------------------------------------------------------
________________ ॐ कयसिंगारा सवे श्रारूढा तेसु परममंचेसु / रेहंति नूमिपाला असुरव लिया विमाणेसु // 4 // * सियचामरायवत्ता सियवबविलेवणाहरणसोहा / निवकुलसरोरुहें वसा कन्ना रायहंसीव // 5 // नरवश्धूया पुरर्ड वढिरपमुपमहसंखसद्दालो / उबलर तूरसदो दूर्घ श्व सुरवराहवणे // 51 // * सोऊण तूरसदं कोऊहलमाणसो स मणुपत्तो / हलिउँ हलमारूढो जोए सयंवरं तु॥५॥ पंडिहारी कमेणं कहिए सवेवि पछिवे मुत्तुं / कयसुरसंनिशाए कन्नाए हालि वरि // 53 // 8 जणणी जण तह बंधवाय कन्नाई हालिए वरिए।वण तामिया श्व लजाइअहोमुहा जाया 54/6 पंति इक्कमिकं सविलका पबिवा सकोवा य / मुत्तुण पबिववरे कन्नाए हालि वरि // 5 // * किं कुग्गहगहगहिया मूढा वा हुँऊ बालिया एसा / जा पबिवे पमुत्तुं हीणं पिहु हालियं वरश्५६ / / ते सूरसेणपमुहा सवेवि य पबिवा य जंपति"। जश् हालिवि" को ता मेलहै पबिवे कीस५७ / तमा हलिणा सहियं एयं हणिकण कन्नगं लेहै / किडाउ सयंवरपणे मणशं कन्नगं वर॥५॥ पत्नणे चमसीहो वरि एयाश् मूढबुद्धीए / नहु पिउणो वयणेणं तमा पेसेढुमो दूंयं // तस्स वयणेण दूजे पहवि सूरसेणनरवश्णा / गंतूण पमिनियत्तो पमिवयणं साहए ताण // 6 // 1 तेवि / 2 पवरमंचेसु / 3 निवकमलसरे रेह / 4 संकेयाए / 5 पडिहारीय / 6 कन्नाश् / 7 लजाए। 4aa होऊ / ए सुरसेणस्स कुविया / 10 पयंपंति / 11 हलिविहु / 12 मेल / 13 लेमो। 15 सयंवरो पुण / 15 कन्नगा / 16 पेसिङ / 17 दूळ / 10 तेण / SHOROSCOPERTOSHARRASTASES C.GunratnasuriM.S. Jun Gun Aaradhak TE!
Page #66
--------------------------------------------------------------------------
________________ *45 अष्टप्र. तुह्मवयणेणं गंतुं नणि सो सूरसेणनरनाहो / जई तुह धूयाश् श्मो वरिजे अन्नाणमूढाए॥६॥ नैवेद्य * पुणरवि ता कुणसुतुमंधूयाई सयंवरं नरिंदेसु / संमाणेह पुणोते मा कुणसु अपत्तियं तेसिं // 6 पूजा. // 32 // श्य नर्णिं सोपत्नण थेवोविहुश्च नवि महदोसो। दिन्ने सयंवरे कन्नगाश्वरियवियपमाणं // 3 // सोऊण दूर्यवयणं सवे जपंति पछिवा रुठा। गिन्हह लडं कुमारिं हणिकण श्मं हलियपुरिसं 64 अन्नोविहु जो पखं वहेश एयस्स सोविहंतवो / श्य जणिकणं हलिउ नणि रे मुंच सुकुमार 65 सुरवरकय संनिसो जंपश्हलिउवि कोपऊ लिउँ / सयखंझ किं न गया जीहा एवं जणंताणं॥६६॥ जय पुर्णं तुम्हे बहवेतह विहु किं मन कीरश्रणं मिासीहस्स किंव कीरश्बहुएहिं विजंबुगसऐहिं६७ * तो नणश्चमसीहो नियपुरिसे कोहजलणपऊ लिजीरे हणह श्मं मुठं तोमह जीहं च मूलादण ते तवयणा सुहडा घायपहारेहिं जाव पहरंते / ताव समुह हलि पजलंतं तं हलं लेड"६ए| तं दहण पणहा ते सवे सामिणो गया सरणं / चिंतंति सामिणोवि य किं एसो सुरवरो कोवि०|| तो ते मंचे मुंत्तुं सवेविय पबिवा समं तेण / वेढंति हलियपुरिसं सीहं पिव कुंजरों बहवे॥१॥४|| - कोहग्गिपळालंतो जलंत हल पहरणेण पहरंतो / बलजद्दो श्व रेह एगागी समरमशंमि॥७॥ | १जह / 2 धूयाए / 3 ए / // 32 // जणिए / ए वरिजेविय / 6 दृ। / संनियो / कोह / ए कह / 10 जइविहु / 11 कोलुयसएहिं / 12 जीयं / 13 पायपहारोहिं / 14 पहणंति / 15 चित्तुं / 16 सबेविय / 17 ता। 10 मंतेजणं / १ए गयवरा / *S HARE* RIAGunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trul
Page #67
--------------------------------------------------------------------------
________________ ॐ निंद अरिकरिकुंने हलग्ग तिथंकुसेण सो धीरो / पहणे तुरयघट्टे चूरेश्य रहवरेश्को // 3 // | बलदप्पमुबहंते सुहडे सवेवि अनिमुहावमिए / तामझ हली हलेणं हुयवहजाले मुयंतेण // 4 // ते चंमसीह पमुहे सत्वेविय पबिवा विचिंतंति / अह्मविणासो एसो कोवि कयंतुव उबरि 75 पत्नणेश् चंमसीहो कोविसुरो एस कोविर्ड हुजा / ता गंतूणं हि नवसामिजाज पणामणे // 6 // एवंति पत्नणिऊणं सरणं सरणंति देहि नणमाणा।गंतूण चलणजुयलं जीया पणमंति ते तस्स पंति य देव तुमं मोहविमूढेहिं अऊ जं नर्णियं / तं सत्वं खमियत्वं एस पणामो कर्ज तुम // 7 // जणणी जण तहबंधवाय कन्ना परियणो संबो। सयणाविये परितुहा दखूण चिहियं तस्स ए | पारको वीवाहो कंनाए सूरसेणनरवश्णा / परिणीया सा कन्ना हलिवश्णा पनिवसमकं // 7 // * विहिजे तस्सनिसेउ नरिंदपट्टमि नरवरिंदेहिं / जणि अङ्गप्पनिसामी श्रमं तुमं चेव // 7 // सम्माणिया य सत्वे अजयपयाणेण पछिवा तेण।तस्सवि ससुरेण तजेसवेवि विसडिया सिग्घा नणि सुरेण सिग्घं हलि दालिद्द तुस निदलियं। अन्नंवि ये जंमग्गसि तंतुह सत्वं पणामेमि 32 जर एवं ता पुस्विं कुछेणे उवासिया तए नयरी / सा वसउ मन नरी सविसेसा तुह पसाएण ज्ध | / 1 रहवरारूढो / 2 हुयवहुजालं / 3 पमुहा / 4 अवयरिङ / 5 पणाममि / 6 भणि / तुन / 7 सय खो। ए सघोविय / १०विचिध्यिं / 11 अ विवाहो। 12 नणि य / 13 अन्नंचिय। 15 कुविएण / 15 शन्हेिं / AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak IArh
Page #68
--------------------------------------------------------------------------
________________ अष्टप्र. // 3 // NECRECASSSSSSSSSHRA है पमिवङिाऊण एवं सुवन्नमणिरयणघमियपाया।सुरनयरीसारिछा विणिम्मिया तेण सानयरीज्य || नैवेद्य विण्दुसिरीए सहि हलिराया ती पवरनयरीए। मुंजेश विसयसुखं संइसहिउँ सुरवरिंदव॥६॥ इह लोगंमिवि पत्तं जिणवरनेवऊ पुन्नदाणेण / मण सुररऊँ हलिणा सहिवं कलत्तेण // // ना नेवऊफलं दोन्हें वि नजाहि 'सो हलीरायानेवऊं जत्तिकै पदियहं कुर्ण जिणपुर 4 वच्चंति तस्स दियहा सुहावगाढस्स तंमिनयरंमि। देवस्सव सुरलोए जम्मंतरजणियपुन्नस्सा श्राउकयंमि देवो सोविय चविऊण विहिनिउँगेण / विएहुसिरीए गप्ने संजा तस्स पुत्तत्ति ए| है कय कुमुथ नामधे संपत्तो जुवणं सह कलाहिं / जम्मंतर सुकएणं नरवश्णो वबहो जाउँ // 1 // दाऊण तस्स रङ काऊण य सावगत्तणं परमं / जिणनेवऊफलेणं नप्पन्नो पढमकप्पंमि ॥ए॥ दहूण निययरिजियसबे निसुणिऊण देवाण / चिंतश् सो संतुछो पुवनवे किं कयं सुकयं // 3 // जेणेसा सुररिकी संपत्ता अबराज मणश्छा / अवहिवसेणं जाण जिणवरनेवजादाणेणं ॥ए॥3 श्य एवं सविसेसं पुबनवं जाणिऊण हलिदेवो / आगलश्पश्दियहं पुत्तस्स विबोहणघाए॥॥ हरयणीएँ पछिमछे पश्दियहं नणश्महुरवाणीए / निसुणसु तुमं नरेसर महवयणं एगचित्तेण // 6 // | // 3 // / 1 एवं / 2 कंचणमणि नवण तुंग पागारा / 3 सुरनयरी सरिला / * (शची)। सुरवरिंकुब / 5 दाणपुंनेण / 6 सुहरऊ। 7 हलिया। कलियं / ए दोहिवि / 10 सह। 11 सुमणोऊं। 12 आनरकरण / 13 काऊणं सावगं परमरंमं / 14 नववन्नो / 15 देवरिहिं / 16 जइसई / 17 देवीणं / 17 रयणी। R Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak
Page #69
--------------------------------------------------------------------------
________________ जं जम्मंतरदिन्नं नेवऊं जिणवरस्स जत्तीए। तेणेसा संजाया विउला मह एजेंसुररिकि ए॥ * तुन पसाएणं चिय जिणवरधम्माल पाविया एसाइन्दिं मए महायस तुमंपिता कुणसु जिणधम्म विलियमणो विचिंतकुमुयनरिंदोविएस को निच्चापढिऊण मक्ष पुरळ पुणोविश्रदंसणी होइएए अह अन्नदिणे जणि कोसि तुमं निच्चमेव महपुरीपढिऊण पुणो वच्चसि साहसुअश्कोउश्रमश है नणि सोविसुरेणं सोहं तुह पुत्वजम्म जणउत्ति। जिणनेवऊफलेणं संजा सुरविमाणंमि॥१०१ पुणरवि नेहनिबछो समाग तु बोहणताए। तम्हा तुमंपि नरवर जिणधम्मे आयरं कुणसु१०२२ नणि सो नरवश्णासाहु तए ताय बोहिउं अहयोअजाप्पनिई सरणं मशवि जिणदेसि धम्मो / पमिबोहिऊण पुत्तं जिणवरधम्मेणे सो हली देवो। संपत्तो सुरलोए चुंज हिय इनियसुहा॥१०॥ [4] जिणनेवऊफलेणं सुरनरसुका अणुहवेऊण।सत्तमज़म्मे पुणरवि संपत्तो सासयं गणं // 10 // श्य जिणनेवऊफलं जणियं नव्वाण बोहणताए।होज सया सिवसुकं नेवले उजामंताणं॥१०६ || (होउ सया नवियाणं जिणधम्मे उजामंताणं // 106 // पागंतरम् / - (नेवळ कहाणयं समत्तं ) इति पूजाष्टके नैवेद्यपूजायाः षष्ठं कथानकम् / 1 एस / अहियं / 3 जिणवरधम्ममि / S cGunratnasuriM.S. Jun Gun Aaradhak
Page #70
--------------------------------------------------------------------------
________________ अष्टप्र पूजा // 33 // FREERSAREERSE ARREARR अथ फलपूजाया कथानकम् / वरतरुपवरफलाइं ढोय जत्तीए जो जिणिंदस्स। जम्मंतरेवि सहला जायंतिमणोरहा तस्स॥१॥ (वरतरुफलाई ढोया जत्तीए जिणवरिंदचंदाणं ) पागंतरम् / जिणवरपूयाइफलं पाविजाश्परमरिफि संजुत्त।जह कीरमिहुणगेणं दरिदनारी सहिएणं // 2 // हूँ | तंजहा महिमहिलाजरणाए सुरपुरि सरिसाइ कंचणपुरीए।अर जिणजवणवारे निवस साहारचूयं मि३ | * नीलुप्पलदलसरिसं सुयजुयलं पयश्नदगं एग। तबवि जिणिंदनवणे जायंमि महसवे परमे॥४॥ नरसुंदरैनरनाहो नयरीलोएण सह जिणिंदस्स। सुंदरफलेहिं पूयं कुण जिणिंदस्स जत्तीए // 5 // एगा दरिदनारी एगंपिहु वरफलं जिणिंदस्स / दाऊणं असमबा तब पुरे फुस्किया वस // 6 // चिंतश्ऽस्कियहियया धन्नो जो जिणवरस्स पदियहांढोअश्पवरफलाइनाहं एगस्सवि समबार एवं विचिंतयंती जिणपुर चूयपायवारूढं / पिचर तं सुयजुयलं नवंतं पायवफलाई // // नणि सो तीइसु नद्द तुम खिवसु अंबगं मसाजणिया किं कुणसि तुमंढोश्स्सं जिणवरिंदस्स। जणिया सुएण साहसु जिणवरदाणेणं हो जं पुन्नं ।जेण पयछामि अहं तुह पुर अंबगं एगं॥१०॥ 1 जिणफलपूयाइ फलं / 2 संपन्न। 3 जयसुंदर। 4 तब आगंतु / 5 सो। 6 अंबगफलाई / जिणफल दाणेण / A // 33 // NGRECRUSHIKRAM A Sol Ac Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak
Page #71
--------------------------------------------------------------------------
________________ HARSASSSSSSSSSS * तीए जणियं वरतरु फलाइं जो ढोयए जिणिंदस्स।जम्मंतरेवि सफलो जायंति मणोरहा तस्स११ | (वरतरुपवर फलाई ढोयर जो जिणवरस्स जत्तीए) पागंतरं / श्य सोउं गुरुमूले जिणमुहकमलाउ निग्गयं वयणांता खिवसुमन अंबं जेण पयहामि जिणपुर चणि सो सूईएनाह पयामि अंबगमिमीए।अम्हेविय ढोएमो जिणपुर अंबगफलाइं॥१३॥ श्य नणिए परिकत्तं तीई सयासंमि अंबगं एगोसाविय गहिलं ढोय जिणपुर परमजत्तीए॥१॥ तेणवि सुयमिहुणेणं तुणं चंचुसंपुडे धरिजं / उविजं जिणिंदपुर चूयफलं परमजत्तीए // 15 // पत्नणश्तं सुयजुयलंन याणिमो नाह तुह थुशंकाजाजं जिण तुहफलदाणे होश्फलं होतंमर्स। आजकयंमि मरि जग्गयनारी विसहपरिणामा / जवना सुरलोए जिणिंदफलदाण पुन्नेण॥ सोवियं सूर्य मरि उववंनो गंधिलाश्नयरीए। सूरनराहिवपुत्तो रंनो देवी गनंमि // 17 // गप्प तंमि सुए, पुत्वलदेहं वियाणि राया / नऊं पुब नद्दे साहसु मह दोहल सर्वैवं // 1 // पत्नण सामि अगाले डोहल मश अंबगफलेसु।सो कह पूरेबो नाह तए मद अजन्नाए२०] श्य सोऊणं राया दश्यामुहकुहरनिग्गयं वयणं / चिंता पुरकसमुद्दे ऊमत्ति पमि विचिंते॥१॥ * कह एसो मोहल प्रेयवो मए अगालं मि। अपुणे पुण एसा मर धुवं नबि संदेहो // 22 // 1 सहला / 2 निसुयं / 3 तीए / 5 अम्ह / 5 सोवि / 6 मरिऊणं / 7 रंनादेवी / जं मोहलो तुझ। ए अयाले। 10 अकालंमि / C Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak
Page #72
--------------------------------------------------------------------------
________________ 2- अष्टप्र. इत्तो उग्गयनारी देवो जाणेश् अवहि विसएण।जो'सो सुयस्स जीवो रन्नो गमि उववन्नो 23 जेण क उवयारो पुवनवे मा फलपयाणेण।ता गंतूण अहं पिहु रेमिमणोरहे तस्स // 4 // // 3 // पुवनवप्नासाउँ अहिलासो तस्स अंबगफलेसु। तस्स वसेणं अंबाण अंबाए मोहलोचेवै // 25 // ता सबवाहवेसेण चुलगं अंबगाणनरिऊणं / ढोएमि ती पुरळ पुकसमुदाउ उत्तरणं // 26 // एवं विचिंतिकणं सो देवो सबवाहवेसेण / अंबगजरियं चुलं ढोय अह तस्स नरवश्णो // 7 // साहसु कब अगाले जद्द तए पावियाई अंबाइं।श्य पुठो नरवश्णा सबाहो जणउँमाढत्तो॥णा , नरवर रन्नागने पुत्तो परिवस तस्स पुन्नेहिं / श्छवि पत्ताई मए नणिऊण अदंसणी ॥२ए॥ |श्राणं दियहियएणं विन्नायं राणा जहा एसो। जम्मंतरपमिबको कोवि सुरो हुज पुत्तस्स॥३०॥|8| है देवविणिम्मिय अंबगफलेहिं संपुन्न मोहला देवी। रंना सुर्च पसू सुलकणो सुरकुमारुव // 31 / ..... (रंना सुयं पसूया सलरकणं सुरकुमारं व ) पागंतरम् / वझावणं नरिंदो परितुझो कुणइपुत्तजम्मंमि। जिण गुरुयणेसु पूयाँ दाणं चिय दे दीणेसु॥३॥ पत्ते सुहनकत्ते पसबवारंमि सुझतम दियहे। फलसारुत्ति गुरूहिं नामंच पहियं तस्स // 33 // सोहग्गरूवकलिउ जुवणलाइन्नं कंतिपमिपुन्नो / तं दळूण अणंगो गवं नो वह रूवस्स // 34 // // 3 // 1 जह / 2 रन्ना / 3 डोहलो तारिसो चेव / 4 ढोएश्य / 5 जणिय / 6 जणेसु / 7 पूर्य / सुपसले वासरंमि सुपवित्ते / ए जोयणलायन्नं / SSSOCCUSA SIA Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak
Page #73
--------------------------------------------------------------------------
________________ **** * ** अह सो पुग्गयदेवो पजणश्रयणीपलिमे जामे। कुमर निसामेसु तुम पुवनवे जं कयं सुकयं 35 || *ज दिन्नं जिणपुर चूयफलं सहपियाश् सुयजमे / तेण तए संपत्तं मणुयत्तं उत्तमं एयं // 36 // 3 & कीरजवे जं तुमए दश्यासहिएण जिणवरिंदस्स / दिन्नं चिय चूयफलं तस्स फलं तुह सिरी एसा // 36 // पागंतरं है। कीरजवे जा जमा जिणिंदचंदस्स फलपयाणेण।मरिऊण समुप्पन्ना रायपुरे राश्णो धूया॥३७॥ जं दिन्नं मश फलं पुत्विं तुमए जिणिंदचंदस्स। तस्स फलं मह एसा संजाया कुमर सुररिची॥३॥ तुमए गप्नंमिलिएँ अगाल अंबेसु दोहलो जाउंसो फलदाणेण मए पूरिजंतुस जणणीए // 3 // ||जा तुह सुयनवनजा सा संपर समरकेजणोधूया।नरवश्णो रायपुरे वश्य सयंवरो तीए // 40 // [8] चित्तपमिया लिहियं सुयमिहुणं गविऊण नियचिंधविच्चसु तुमं महायस सयंवरे तीए कन्नाए है। सा दउँ सुयमिहुणं समरिय॑नियजाश्जायसंतोसा।तुह उवरिं वरमालं खिवही नबिब संदेहोर है। श्य जणिकण देवो कहिऊण य पुत्वजम्मसंबंध। कुमरेणवि पमिवंने संपत्तो निययवाणं मि॥४३॥ || कुमरोविय संपत्तो सयंवरे ती चंदलेहाए / दिको सो सुयचिंधो सयंवरे रायकन्नाए // 44 // तं दहुं सुयमिहुणं जाईसरणं विचिंतियंतीए।सो कीरोह कुमरोअहयं चियसा सुई चेव // 45 जणिया सा नियपिजणा पुत्ति तुमं निच्चला दिहिए। दणंसुयजुयलं पुणो पुणो किं पलोएसिध६४ है ताय अहं पुवजवे कीरी कीरो य एस कुमरुत्ति। जिणफलदाणेण पुणो दोहि विमणुयत्तणं पत्तं / / है १निसामेह।तए। 3 कम्मं / धजोग मिठिए तइ। 5 लिहिऊण। ६सुमरिय। प्रजायं सरिऊण। दोविहु / एपत्ता। ** ** DNC GunratnasuriM.S. Jun Gun Aaradhak T *
Page #74
--------------------------------------------------------------------------
________________ अष्टप्र. श्य जणिकणं तीए जम्मंतरजणिय नेहनमियाए। सहसच्चिय वरमाला परिकवियो कुमरकंमि॥ दिन्नो साहुक्कारो नरिंदमशंमि सबलोएण।अणुरूवो एस वरो वरिउ कुमरी कुमरुत्ति // 4 // // 35 कुमरकुमरीणसुकं अन्नुन्न समागमंमि संजायं / तं नृणं सुरलोए देवाणवि उल्लहं चेव // 5 // अश्नेहनिलराणं उन्हें पिहु गुरुपमोय जुत्ताणं / वित्तं पाणिग्गहणं सवरिंदाणपञ्चकं // 51 // ससिलेहाए पिउणा वरवनविनूसणेहिंविविहिं। सम्माणिकण विहिणा विसजि नरवश्लो॥ फलसारोवि य कुमरो सहिउँ दश्याश् नियससुरेण।सम्माणिकण मुक्को संपत्तो अत्तणो नयरे॥५३॥ 5 तीए सह विसयसुहं अणुहवमाणस्स तस्स कुमरस्स। वच्चंति वठराविहु दियहत्व सुहावगाढस्स५४|| जं जं मणंमि चिंतश् सुहलं सवं पिहोश्तं तस्स।पुवनवंतरविरश्य जिणफलपूयाणुनावणं // 5 // अह अन्नदिणे दो जंपश् देवाण मसयारंमि। फलसारस्स य सहलं संपङ चिंतियमणस्स // 56 // . (फलसारस्स सुरस्सवि संपऊ चिंतयं मणसा ) पागंतरं / / तब य कोवि सुरों विहु सुरवश्वयणं असदहेऊण। विसहररूवं काउंसश्नझं कुमारस्स॥५७ | तंदणं नरवश्लोउँ अहियं समाउलो जा। वाहर मंतकुसले गारुमिए मंतजुत्तेय॥ 27 // 8| बहुविह विजासएहिं विविहेसु य मंततंत जोएसु।तह विहु जियरहिया विटु निच्चिा चिठए जाव ता पुणरवि सो देवो सुविङारूवेण नणश्श्रागंतु।सुररुकमंजरीएहिं कुमार तुह जीवए नजा६० 1 परिकत्ता। कुमरत्ति।३ अन्नोन्नं। 4 गतूणं / 5 तथेगो कोविसुरो। 6 सुनऊ / 7 सवो / विहियेसुय / ए इव / // 3 // AC Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak !
Page #75
--------------------------------------------------------------------------
________________ HEASEASESSASSAGE जा चिसो कुमरो दश्या गुरुपुक पुस्किय सरीरो।तासो फुग्गयदेवो कर करे मंजरि तस्स॥|5| मुत्तूण विजारूवं कुंजररूवेण सो सुरो हो।अवलोय तं कुमरं ता पिड सीहरूवेणं // 6 // मुत्तूणं करिरूवं मयारिरूवेण आवए जाव / ता पितं कुमरं परिहियं सरहरूवेणे // 33 // संहरिऊणं मायां परितुझो सो जण कुमरं तं।जह सुरवश्णा नणि तह संजा तुमं जद्द॥६४ पनणसु जं मणझं परितुझो देमि अऊ तंतुस।जश् एवं कुणसुतुमं मस पुरं सुरपुरसरिछ६५ र एवंति पत्नणिऊणं कंचणमणिरयण रयपायारा। निम्मश्या देवेणं सुरजवर्ण विनूसिया नयरी६६ // सालंकारं नयरिं कुमरस्स पुणन्नवं च तं दश्यं / काऊणं संपत्तो सो देवो अत्तणो गणे"॥ 6 // कुमरोवि य तं नयरिं दखूण पुणन्नवं च तं दश्यं परिवहिय संतोसोन माश्यंगेसु नियगेसु॥ सो सूरो विहु राया रहि सिंचिऊण तं कुमरं। निसंतोखायजसो सीलंधरैसूरिणो पासेदए / & कंचणपुरंमि नयरे फलसारनिवस्स चंदलेहाए।सहियस्स जंति दियहा सुहेण सकस्सव सईए० कालकमेणं पुत्तो फलसार नराहिवस्स संजाउँ / नामेण चंदसारो ससिलेहाकुछिसंजूळ // 1 // बंधवकुमुयाणंदो चंऽव्व कलाकलावपरियरिउ / जम्मुक्कबालजावो संपत्तो अवणं रम्मं // 7 // SHRELEASCARRCARE १पिञ्च। 2 ता / 3 सुम्मिय / 4 अवलोय जाकुमरो। 5 आ गाथा बीजी प्रतमा नथी। 6 जण सोसुरोकुमरं / 7 पुरि। 7 पवर / एनिम्मविया / 10 वरजवण / 11 अत्तणं गणं / 12 तोसेणं / 13 नियएसु अंगेसु / |14 अहिसंचिकण / 15 सेयंवर / 16 कालक्कमेण / .Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak
Page #76
--------------------------------------------------------------------------
________________ अष्टप्र. प्रजा. // 36 // ACCACASSE सो फलसारनरिंदो दश्यासहि विसुद्धनत्तीए। जिणफलपूयाकरणे समुङ' निच्चकालं मि'७३ 8 फर उम्मुक्त जुवणो सो रङ दाऊण चंदपुत्तस्स / दश्याश्समंधीरो निरूतो जिणवरपयंमि // 4 // उग्गतवं काऊणं दश्यासहियो विसुङपरिणामो।मरिऊण समुप्पन्नो सत्तमकप्पालए देवोऽय उग्गयदेवोवि चुई समयं जगाइ सत्तमे जम्मे / सिनिस्सर सो धीरो जिणफलपूया पयाणेण| श्य जिणवरफलपूया नणिया सवोवगारिणी एसा ।संखेवेण महनासुपसला होउ नवमहणी इति फलपूजायां सप्तमं कथानकम् / 1 समुनु / 2 निच्चकालंपि / 3 जुबणस्स / 4 चंदसारस्स।५ जिणवरमयमि। 6 जुग्गयदेवेण समापनावेण / SA // 36 // cGunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak
Page #77
--------------------------------------------------------------------------
________________ RESTORATI G कलशपूजायां कथानकम् / ढोयई जो जलजरियं कलसं जत्तीश्वीयरागाणं / पावर सो कल्याणं जह पत्तं विप्पधूयाए // 1 // अबिन नरहवासे सुपसिहं सुरपुरंव रमणीयं। बंजपुरं नामेणं विप्पसहस्सेहिं परिकलियं // 2 // तबविचउवेयविऊ विप्पो परिवसश्सोमिलो नामा सोमा य तस्स नजा पुत्तोविहुँ जन्नवक्कोत्ति३ &aa निम्मलवंसविसुका धम्ममि समुझाया पिया तस्स।सोमसिरी नामेणं सुविणीया ससुरवग्गस्सा श्रह सो सोमिल विप्पो पंचत्तं विहिवसेण संपत्तो। पुत्तेण यं पारडं मयकिच्चं तस्स जणयस्स॥५॥ नणिया सासोमसिरी सोमाए सासुयाश् सप्पणयं।वारसि दाण निमित्तं ससुरस्स जल समाणेहिंद श्य सासुयाइ नणिया घम्यं चित्तूण निग्गया उदयं ।जलसंपन्नं घमय समागया जिणहरासन्ने॥७॥ ता निसुण जलजरियं ढोए धर्म जिणवरिंदस। सो पावश्सुपसदं परमपयं नावसुद्धीए // 7 // वरवारिनरिअघम गग्गरीज ढोअंतिजे जिणिंदस्साते निम्मलनाणधरा धरंति सुगईए अप्पाणं 4 श्य सा सोऊण श्मं मुणिंदमुहकमलनिग्गयं वयणं / ढोयश्तंचिय घम्यं जलजरियं जिणवरिंदस्स सामिय मूढमणाहं जाणामि न तुम संथैवं काउं।तं होउ मल पुन्नं तुह जलघमयस्स दाणेण११ || सेसमहिलाहिंगंतुं सवं तंसासुयाश्परिकहियं ।जह तुह सुन्हा घमो गंतुं दिन्नो जिणिदस्स 22|| 1 ढोवइ / 2 परिकिन्नं / 3 पुत्तोविय / 4 जन्नचुकुत्ति / 5 समुजुया। 6 वि। 7 जा जलसंपुन्नघमा / " घडय ढोयश् जो जिकिंदस्स / ए संयुयं / 10 जलघडपयाणेण / O N496496297294 Mc Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak
Page #78
--------------------------------------------------------------------------
________________ अष्टप्र. सोऊण श्मं वयणं कोहेण हुयवहवे पङलिया। पत्नण तो जिणपुर देघमं किं न सीसंमि 13 कलश पत्नण पुणोविरुहा नहु पविस्सश्महधरंमिसा उछापरिगहियलनमहबाचिश्साघरज्वारबा / // 3 // पूजा. पविसंती नियगेहे निवारिया सासुयाश्सासुन्हा।मा पविससु घमरहिया अज घरेमस तं पावे॥ (मा पविससु महगेहे घडरहिया अजा तं पावि) पाठांतरं। *नय पूश्याय पियरोअङविन हुआसणोयतप्पविउँ। नय दिन्नंविप्पाणवि कह दिन्नोजिणहरेघम गंतूणं रोवंती कुंजारगिहमि नण कुंजारं / बंधव मह देसु घडं हबा कंकणं चित्तुं // 17 // तेणविसापडिनणिया जणि तुमंकीसमग्गसि रुयंतीतीवि निय वुत्तो नीसेसोसाहितस्स है जणिया य तुमं धन्ना जी तए जिणहरे घमो दिन्नो। संपत्तं जम्मफलं सुहबीयं मुस्कसुरकस्स १ए अणुमोयणा एवं बऊ तेणावि सुहफलं कम्म।धम्माणुमोयणाए जीवो जवसायरं तर // 20 // जश एवं ता गिन्हसु घमयं मा कुणसु नियमणे खेयं / किं लश्णी हबा गिन्हिस्सं कंकणं अहयं / श्य जणियो सा चित्तुं घमयं नरिऊण पवरनीरस्स अप्पेश् सासुयाए सावि चिया नियसहामि॥ [8 है तं दणं घमयं पन्छायावो ये ती संजाउँ / तहविहु बर्फ कम्मं एगनवं जिणपसा // 3 // सो चेव कुंचकारो जिणजलपूयाणुमोयणफलेण। मरिऊण समुप्पन्नो कुंजपुरे सिरिहरो राया है। // 3 // 1 हुयवहुष / 5 जा / 3 पुश्याय / / पिनरो / 5 तिप्पविउँ / 6 नहु / 7 रोयंती / कुंजारघरंमि / ए बहि||६| [णि / 10 तीवि / 11 नणिए / 12 वि / HOROSHO ULIOPHORA Ac Gunratnasuri M.S Jun Gun Aaradhak T
Page #79
--------------------------------------------------------------------------
________________ सो मुजरायसिरिं सिरियादेवीइ सह सुहासत्तो। पणमंतमंझलेसर कीरीमसंसोहिपयकमलोश्य सोमसिरीविय मरि सिरिदेवीगतसंजवा धूया। सिरिहररन्नो जाया जिणजलपूयाणुनावण 265 तीए गमि ठियो परमो जणणी दोहलो जाजोजाणामि जइ जिणिंद न्हावेमो नीरकलसेहिं है। कंचणकलसजलेणं जत्तीई जिणेसरं न्हवेऊणं / संपुन्नमोहला सा सूया सुश्लरकी धूया // 7 // विहियं च तीइनामं सुपसले वासरंमि नियपिजणा। कुंनसिरी अह बाली संपत्ता जुवणं परमंशए / देविव परमरूवा चुंज हियछियाई सुकाई। निवसंती पिउगेहे सुवबहा बंधवजणस्सै // 30 // श्वंतरंमि पत्तो चजनाणी मुणिवरो वरुङजाणे / बहुमुणिवरपरियरि नामेणं विजयसूरुति // 31 // नाऊण मुणिवरिंदं समागयं सह जणेण नरनाहो। धूयासहिउँ चलि वंदण पमियाई सूरिस्स 35 दण मुणिवरिंदं दुरा वाहणाई मुत्तूंथें / वंदर धूयाश्समं तिरकुत्त पयाहिणी" काउं // 3 // जत्तिनरनितरंगो सेसेविय मुणिवरे नमेऊणं / उवविठो गुरुमूले धम्मं सोउं समाढत्तो // 34 // तो निवेण एगा नारी अह धूलिधूसरसरीरा / मलमश्वधूसरंगी"बहुर्मिनसएहिं परियरिया३५ / | 1 संघद। 2 गतध्यिाए / 3 डोहलो। जाणेमि / 5 जत्तीए / 6 संपन्न / सुपसूया / सोहणा / एकुं नसिरित्ति पसिधा / 10 देवलोए। 11 बंधवजणाणं / 12 विजयसारुत्ति / 13 पडिसाइ। 14 वाहणापमुत्तणं / |15 पयाहिणं / 16 बहु / 17 जरमलिणचीवरंगी। MAc Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak TE
Page #80
--------------------------------------------------------------------------
________________ पूजा. अष्टप्र. सीससमुहियघमरूव वाहिणा गरुयपिमरूवेण / पीडिती अहियं दिहा गुरुपायमूलंमि // 36 // कलश (सीसमुवज्यिघमरूववाहिणी गरुयपिंगरूवेण ) पागंतरं. ॥३ना जयवं का पुण एसा निच्चं बहुषुकस्कियसरीरा। दिहाविहु नयजणणी पच्चरका रकसी चेव 37 नणि सो मुणिवश्णा नरवश्व तुम्ह नयरंमि। फुग्गयगहवधूया नामेणं वेणुदत्तस्स // 3 // कालगऊ एयाए जण जणणीय जायमित्ताए। उकेण जीवियाएं कहविहु विहिणा निउंगेणं ३ए / / सोऊण श्मं वयणं सीसं धुणिऊण चिंतए राया। विसमो विहिपरिणामो संसारे श्व कम्माण॥४॥ साविय नमिऊण मुणिं रोयंती नणगग्गररवेणं / साहेहि मक्ष जयवं जं किर पोराणयं कम्मं 416 नणिया सा मुणिवश्णा नद्दे निसुणेसु पुत्वजम्मंमिाज जिणपसजणियं बळं कम्मं तए असुहंध बंजपुरे आसि तुमं सोमा नामेण माहणी पुत्विं / सोमसिरीसुन्हाए जिणपुरज ढोचें घमई // 3 // कुवियाए सा नणिया जिणपुर कीस ढो घम। श्य वयणा एयं संपत्तं दारुणं पुकं // 4 // श्य सोउणं पछायावेणं ताविया जण जयवं / अवि एयं घोरं अणुहवियत्वं मए कम्मं // 4 // नणिया सामुणिवश्णा पछायावो यजो कर्जा पुदि / तेणं चिय तं खिवियं एगनवेणेव बहुकम्म"18 पछायावेण जि नियकम्मं खिवर सुनावण / सम्में मिग्गवई विर्व नियगुरुणी पायमूलं मि // 7 // 8 // 3 // 1 गिहिवइ / 2 जीविया / 3 विहु / जीवाणं / 5 गग्गयसरणं / 6 साहेह / 7 किंपि / पुराकयं / ए ढो इए / 10 घडए / 11 जिणसीसे किं न / 12 संपत्ता / 13 परिखवियं / 15 कम्मं / 15 सर्व / 16 श्व / AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak T
Page #81
--------------------------------------------------------------------------
________________ मरिऊणं सोमसिरी जयवंसा कब संपयं वसई। कवणं गइंगमिस्स एवं चिय कहसुनाणेण 40|6|| नणियं सोमसिरी सा नियपिउणोतुन पायमूलंमि। चिसंपश्सुकं मुंजती इलियं एसाए % E (नणिया सा मुणिवश्णा सोमसिरी नियय ताय पयमूले) पागंतरं. पुणरवि सुरनरसुकं जुत्तूण कमेण पंचमे जम्मे / पाविहि मुकसुकं जिणजलपूाणुनावणं५०? सोऊण श्मं वयणं कुंलसिरी हरिसनिारसरीरा / दूरा समुझेचं पणम पयपंकयं गुरुणो // 51 // 18 पुणरवि पुलश्जयवं कुंजारो संपर्छ वसइ कब / जेण कर्ज उवयारो मह पुत्विं कुंलदाणेणें // 5 // (जण य जो कुंजारो स मरिचं कब संपयं वसइ) पागंतरं. नणियासामुणिवश्णा नद्दे मरिऊण सोसमुप्पन्नो।अणुमोयणागुणेणं नरनाहो तुह पिया एर्स 53|6| रायाविय संतुझो एवं सोऊण पुवनवचरियं / पणम पुणो पुणविय धरणियल निहत्तंसीसेण॥॥ जाईसरणं जायं तिन्हं पिहु पुत्वजम्मसंबई / निसुणंताणं ताणं साहिऊं तं निययचरियं // 5 // जयवं तुम्हेहि श्मं जहहियं अम्ह साहियं चरियं। अम्हेहि वि विन्नायं जाईसरणेन नीसेसं॥५६॥ जम्मंतरावराहं कुंनसिरी उग्गयाश्नारीए / नमिऊण नावसारं खमाविया कमविलग्गाएं॥५॥ नणिया तुम महासश्वाहिघडं मक्ष सीसदेसाठ। उत्तारिही" सकरुणं काऊणं अत्तणो हियय॥ 8 1 वट्ट / 2 एयं / 3 पाविहश् / 4 घडपयाणेण / 5 एसो / 6 विहित / 7 मुणिंदेणं / जाईसरणेण / ए प-5 यविलग्गाए / 10 वाभिघडं / 11 उत्तारेह / 12 सकुरुणं / AN Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak T
Page #82
--------------------------------------------------------------------------
________________ अष्टप्र. // 3 // श्य जणिए अहतीए सम्म नियकरयलेण फुसिऊण / श्रवणीय खणेणं वाहिघडो तीइसीसा || कलश श्य चरियं धूयाए दणं सह जणेण नरनाहो। पदियहं जत्तीए जिजलाश् उडम // 6 // पूजा. कुंचसिरीविय निच्चं निम्मल जलजरियकणयकलसेहि। जिणमजाणंकुणंती तिन्निविसंसानचिठेश उग्गयनारी वि विसुङमाणसा साहुणीहिं सह निच्चापंच महत्वय कलिया विहरश्जणसंकुलं पुहविं मुणिनाहोवि महप्पा पडिबोहेऊण पाणिणो बहवे। विहरश्अप्पमिबद्धोगामागरमंझियं वसुहं६३ / कुंनसिरी विय आलं परिपालेऊणे सुद्धपरिणामा। मरिऊण समुप्पन्ना ईसाणे सुरविमाणंमि 64 जुत्तूण तल सुकं सुरनरसुखं च अणुहवेऊण / जिणवरजलपूयाए सिनिस्सपंचमे जम्मे // 6 // श्य अहविहं पूयं जवा काऊण वीयरागाणं / पावंति विग्घरहिया निच्चसुहं सासयं गणं // 66 // इति कलशपूजायां अष्टमं कथानकं समाप्तम् / . इत्यष्टप्रकारैः पूजा कथिता। 1 चणियाए तीएं। 2 वसुहं / 3 परिवालेऊण / PREGAROORKERALARIAGRSHANKAR // 3 // c.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak
Page #83
--------------------------------------------------------------------------
________________ श्य जिणवरपूयाए अहबिहाए विसोफलं सोउं / पजण हरिचंदनिवो जयवं अश्सुहफला पूया - ता एयाएजुत्तो कायवो आयरेण ताय मए / अझवि असमबोहं मुणिंदधम्ममि उजामि॥२॥ श्य नणिए मुणिवश्णा निचलचित्तेण नद्द होयत्वं / एसाविहु जिणपूया होही तुह सिवफला चेव॥87 पुणरवि संसियहियर्ड पुछराया मुणीसरं नमिजं / जयवं किं कयपावो पावश् सुडी गिहलो विns कयपावोवि विसुनपन्छायावेण तावियसरीरो।जह सो सुरपियपुरिसोनियलाने मुणिवराहिंतो को सो सुरपियपुरिसो कह पत्ता तेण उत्तमा सुद्धी / नयवं साहसु एयं अश्गरुयं कोउयं मम // 6 // जह संपत्ता रिद्धी नरिंद जह तेण पाविया सिद्धी। तह तंसुरपियपुरिसं साहिऊं तं निसामेह , अचिन्न नरहवासे सुरपुरसरिसं सुसम्म नयरंमि / तब नरिंदो चंदो चंदो श्वबंधु कुमुयाणं॥॥ तस्स पिया पुणतारा गुणनाराहरणनूसियसरीरा / उन्नय पवर पउँहर रमणीया रमणपुत्तिवा ॐ सो तीएं समं राया विसयसुहासत्तमाणसो सयो। न मुणगयंपि कालं सश्सहि तियसनाहुव्व 10|| तमि पुरे सुपसिको सेही" परिवस सुंदरो नाम।मयणसिरीविय नजा पुत्तोविय सुरपिउ नाम पुत्तो तस्स अणिछो सत्तुव सयावि" तस्स पमिहा।पुत्तस्स वि सोवि पिया पुत्वयि कम्मदोसेण॥ 1 जणिउँसो / 5 सिद्धिं / 3 निहिनाणे / 4 नयरति / 5 गुणहारा / 6 पीण / 7 रयणमुत्तिव / प्रती। एनिच्च / 10 सिही। 11 दिने सत्तुब / 12 पुवजिय। . . WC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak TV
Page #84
--------------------------------------------------------------------------
________________ अष्टप्र. // 4 // जजण घरमझे चिश्ता जत्ति सो सुन बाहिं / अह पुत्तो घरमले ताजण शत्ति सो बाहिं हैं। कलश एवंजणयसुयाणं कबुसियहिययाणजाइजो कालो।ता अन्नदिणे नणि कह वसुई तेण जणएण है अबो पुत्त पणो अम्हघरे कहवि विहि निर्जागेण।ता अबस्स निमित्तं वच्चामो अन्नदेसंमि 15 | अबविणो पुरिसो सुवंसजाउवि लहर लहुयत्तं / पावश्परिनवगणं गुणरहि धणुह दंमुव 16 / धम्मबकाममुकाण बाहिरो होश्अपरिहीणो।जैन करश् सुविसुझं पुरिसो जिणदेसियं धम्म॥3 गहिऊण किंपिनं असारमोबँपि निययगेहा।अहिमाणधणा दोन्निवि वच्चामोअन्नदेसंमि // 8 साहसमवलंबतो पायं देसंतरंमि संपत्तो / पुरिसो पमायरहिउँ पाव हियद्रियं लडिं // 1 // श्य कय कवमसिणेहा विणचित्ता पणउसलावा / गहिऊण किंपिनं विणिग्गया निययगेहा संपत्ता उजाणे नग्गोह महामस्स मूलं मि। दिछो धरणिनिविठो दोहिं विपो पुमाडसं // 2 // चिंतंति दोवि हियएँ चिहश हिमि दव्व मेयस्स / सबंमि जनणियं दत्वं पाए पुमामस्स // 1 // ॐ दोन्निवितन्निहिपसत्ता दोन्निविअन्नोन्नवंचणुझुत्तादोन्निविनणंतिगहणेनहुअजसोहणोदियहो (उन्नवि तंमि पसत्ता उन्नवि अन्नन्न वंचणा जुत्ता) पागंतरं / ताअछउ ए हि गिन्हिस्सं सोहणं मि दिवसंमि।अवसउणोत्ति नणे संपत्ता निययगेहं मि॥ // 4 // 1 सोबहिंचेव / विसु / 3 श्रम्ह पणो / 4 पुत्त घरे / 5 जइ। 6 असारमुलंपि / 7 उन्नवि / गएं / |ए पुंयाडस्स / 10 हि / 11 श्व / 12 दियहपि / 13 समागया / S C Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak TE
Page #85
--------------------------------------------------------------------------
________________ उदश्यत्व ताणं नहु निदानयणगोयरे पड। अहवा अबविलुद्धा पुरिसा निदं न पावंति॥४॥ (जा ते बहुधणलुम्मा मुना चिति दोवि नियगेहे ) पागंतरं / ||जाते अनविलुद्धा चिति य दोवि निययगेहंमि।ता सो पुत्तो सुत्तो सयणे रयणी चिंते॥२५॥ जह जाण नेय पिया तह अऊंजामिणीए सेसंमि। गंतूण तं निहाणं आणेमिअल स्किलं काउंश६] जा जाइ न तब सुर्व ता पिउणा कत्ति तब गंतूण।उहरिऊणं अटो परिकत्तो अन्नदेसंमि॥॥ * तत्तो सो संपत्तो तं जणश्ताय कब सो अठो। उकरिऊणं इत्तो पस्कित्तो कइ पएसंमि // 7 // तं पत्नणश्सोवि पिया मा जणसु पुत्त एरिसं वयणं / नहु दिछो हियश्शो सोश्रबो एबदेसंमिश्ए| तंकन्नसूलसरिसं वयणं जणयस्स सो सुणेऊण।कोहानलपऊलि घयसित्तोजलणरासिव॥३॥ जा अवि ताय अहं कुछो न हरामि जीवियं तुस।ता साहसु मह अतुल श्रण नियकर। जसो पुत्त अणलो अबोतातुन वजहो कीसापुलसि जेण पुणोतं तिसि पहिलवजलनिलयं 35 लप्रश्नपि पुणो जीयं जम्मंतरेवि जीवेटिं।अबो पुण पनहो नहु लाइ पुन्नरहिएहिं // 33 // 3| जश्खुको कुछोविहु पुत्त तुमं हरसि जीवियं मशातहवि न साहेमि अहं तं अजीवियतहियं 34|| 7 एत्तों कोवेण सुर्व घयसित्तो हुयवहोर्व पङलिउँ पाउंदाऊण गले निप्पीमश्अत्तणो जणयं३५ 1 रु। 2 एइ / 3 उरकणिऊणं / इह पएसंमि / 5 कंनमूलविरसं।६ पहियब। इत्तो। हुयवहुव। ए इच्छं। SHESA RSHERS RINGunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Te!
Page #86
--------------------------------------------------------------------------
________________ // 4 // अष्टप्र. अबो एयस्स पिउँ' नाहं परिजाविऊण हियएणं / अश्गुरुयमबरेण व मुक्को सहसत्ति जीवेण॥३६॥६॥ अवा मरिऊण समुप्पन्नो सो तंमि निहाणगंमि मोदेणं।गोहेरगो गरिहो चिश्तब हि निच्चं // 37 // |8|| पुत्तो विलकचित्तो चिंत हियएण पुन्नर हिउहं।तावि मए पहर्ज जायंचन छियं मन॥३॥ एवं विसन्नचित्तो पुत्तो मुस्कानलेहिं संतत्तो / साहाए पनहो वानरोवें सोए अप्पाणं // 3 // मयकिच्चं काऊणं पिउणो सो कह वि अन्नदियहंमि / संपत्तो निहिगणं लोहेणं तस्स दवस्सधग जा चिश्तब तिन ता पिलश् तं गुहेरगं पुर। दंतग्गगहिय रयणावलीए तेएण पजालंतं // // 18/तं दणं सहसा सो जाउँ कोहलोहपरिगहि। चिअवलोयंतो कुविय कयंतो पुप्पेठो // 42|| 1 सोविय तं दणं नमत्ति जयपसरवेवर सरीरो / नासंतो उणं पहउँ पुत्तेण सीसंमि // 3 // रियणावलीसणाहं नियदेहं शत्ति सो विमुत्तूणं / उलावगरूवेणं" संजा कम्मदोसेणं // 4 // सो सुरपियानिहाणो पुत्तो तं रयणमालियं घेत्तुं / नियमि निवेस नियजाया बाहुजुयलव // तं निम्मलगुणकलियं दययं पिवे रयणमालियं दहुं"।मन्न जुवणनहियं अप्पाणं सुरपि हिको| चिंतश् सो नयनी एयं जश् परिवो वियाणे। ता महसहसीसेणं गिल नब संदेहो // 4 // 1 वबहो / 2 नाम्हे / 3 पाणेहिं / 4 पुरकानलोह / 5 वानरुव / 6 निहिगणे / 7 संजाउँ / " कयंतुब / // 41 // |ए सुप्पिडो / 10 दंडेणं / 11 लावगरूवेणं / 12 धित्तुं / 13 पिय / 14 रश्यं / 15 दश्यंपिव / 16 लद्धं / 17 हर श्मं नहि संदेहो। W Ac- Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Tre
Page #87
--------------------------------------------------------------------------
________________ 45 45 45+5+5+5+5+5+5+5+5+5 जा जोएर दिसा किं केण एब होऊ दिहोई। ता एगंमि पएसे पेन्नई शाणज्यिं साडं॥७॥ तं दणं चिंतश् नूणं बहुकूमकवम जरिएणं। दिछो अणेण मुणिणा निम्मलरयणावलीकलिभए 5 ताजा कत्ति न साहश्नरवश्णो एसमक्ष पुच्चरियं। ता तह करेमि अङां जह जाश्जमालयंसिग्धं है एवं विचिंतिऊणं च दंडं च उरिकवेजणं / कोवं समुवहंतो पहाविउ अनिमुहं तस्स // 51 // हूँ नणिय धुत्त सम0 ए नि कीस मं पलोएसि। दिछोसि मए अङजीवंतो कब वञ्चिहिसि॥ अन्नं च किंपि तत्तं निच्चलचित्तो तुमंपिचिंतेसि / जश् जाणसि किंपितुमंता जाणेसं चिंतियं मन श्रह पुण कहवि नयाणसि महपुर्व पुठ नाणरहिसि। ता मह दंडपहारंविसहसु सीसेण ऽविसहं पमिबुझेसई एसो सम्मं नाऊण हिनाणेणं / संजासश्सो साहूँ तं पुरिसं महुरवयणेहिं // 5 // पजणसि चित्तेण तुमं मनं जणयस्स पुवनवचरियांश्य नवचरियं च तहाकहसु तुमं अनि जश्नाणं 8 अह सो विम्हिय हियर्ड सुरप्पि पणमिऊण तं साहुँ। पत्नण जयवं सच्चं वियाणियं चिंतियं मला जणि सो मुणिवश्णा पुत्विं विनामवीश्मशूमि।श्रासि मयगलगंडो" जूहवई वरगदोत्ति 50 अह तंमिवि चेव वणे सीहो आसित्ति करिकुल कयंतो। दिछो कह विनमंतो सोहबी तेण सीहेण / तं दणं सीहो कोवेण नमत्ति उबलेऊण / पमिर्ज गयस्स देहे गयणा विऊपुंजोवे // 6 // १हुल / 2 पिछ / 3 समणग। ४श्च / 5 तुमं विचिंतेसि / 6 जाणसु / किंपि / महपुळं / ए पडिबुलस्सए / 10 जयवं / 11 मयगलियगंडो। 12 वरगयंञ्च / 13 तंमि / 15 गयणे / 15 विजापुंजब / cGunratnasuriM.S. Jun Gun Aaradhak
Page #88
--------------------------------------------------------------------------
________________ अव // 4 // श्रष्टप्र-तं हणिऊण गदं वियरश्रन्नं मिजाव सो सीहो।ता दिछो सरहेणं कोहानलजलिय चित्तेण // 6 // जह सीक्षण गरंदो पहर्ज सीहेण तेण सरहोवि / जोकरे कम्मं चुंजश्सो जम्मंमि // 6 // पावो पावस्स फलं पावर पावेण श्व जम्मंमि।जह सो गयंदवहगो सीहो सरहान संपत्तो॥३॥ // रुद्दशाणोवगउँसो सीहो सरहघाश्य सरीरो / मरिऊण समुप्पन्नो नेर पढमपुहवीए॥६॥ तब गई सो सीहो बहुःयण नेत्रणा विसहंतो।न लहश् खणंपिसुकं तिलतुसमित्तंपिपुस्कत्तो॥ अविनिमीलिय मित्तं ननि सुहं पुस्कमेव अणुबा नरए नेरश्त्राणं अहोनिसं पच्चमाणाणं // 66 // सो तब सीहजीवो नरए पुकाई अणुहवेऊण।बाउकयेणं जा सुंदरसेहित्ति तुह जणज॥६|3 जो पुण गदजीवो सो पुण कोमीसँ परिजमेऊणं। सुंदरसेहिस्स सुत्रं संजाउँ सुरपिठ तुमय॥६॥ एयं परनवचरियं तुस मए साहियं समासेण / एत्तो श्हनवचरियं साहिऊं तं निसामेह॥६॥ एब नवे जं नेहो जणयसुयाणं च विहमि तुम्ह / तं पुवनवावङिय करवेराणुबंधेणं // // धम्म वा कम्मं वा वेरं पियं च एव जम्मंमि / अप्नासान पवह नवंतरे सर्वजीवाणं // 1 // अन्नंचिय जो अलो दिछो तुम्हेहिं श्ह पएसंमि।सो तुह पियामहेणं पस्कित्तो पुत्तनीएण॥७५| सोविय ए, पएसे मक्को कहकहवि उग्ग जुयगेण।मरिऊण समुप्पन्नो पोमाडो" मोहदोसेणं॥७३ : १एच / रुद्दलाणाणुगढ़ / 3 निमीलण / 4 अणवरयं / ए अहोनिसिं / 6 आनरकयंमि / 7 लवकोडीए। 8.पीई। एश्व / 10 श्च / 11 पुंश्रामो / // 4 // 1 Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak
Page #89
--------------------------------------------------------------------------
________________ जया मोहोद तिवो अन्नाणं खु महतयं / पेलवं' वेयणिजं च तया एगिदियत्तणं // 4 // एगिदिएणं तेणं मुक्को पाठय लोहैदोसेणं / एगिदियावि जम्हा लोहपिसाएण घेप्पंति // 5 // आहार जय परिग्गह मेहुण सन्ना य लोहसन्ना य। तह कोह माणमाया मोहो गयाजवप्नासा सो गोहेरगैरूवो जण जा जाश् श्ह पएसा। तातं विणासिऊणं गहिया रयणावली तुमए॥७]है एयं श्हनवचरियं तुझ समासेण साहियं जद्द / संपश्नाऊण श्मं वरं दूरेण परिहरसु // 7 // / एयं सुरपिय पुरिसो मुणिवयण विणिग्गयं सुणेऊण।संनरिय पुत्वजम्मो सहसा संवेगमापन्नो गए| खाम चलणविलग्गो मुणिनाहे पणमिऊण सोसिरसा।सामियखमसुअसेसंऽच्चरियंमसपावस्स: हा पावाणविवागों पावेणं जेण श्च जम्मेवि। दोसुवि नवेसु जण विणासि अन्नबुझेणं // 1 // 8 धन्ना ते जियलोए जे पुरिसा जणणि जणय बंधूणं / अबविणासेवि सया निच्चंचिय वछला हुँति॥ तेचिये जयंमि धन्ना तेचिय कुल विमलनहयल मियंका।जेजणणिजणयबंधवगुरूणासा"पूरंति के ता तुम्हें जणयस्सवि पावं पावेण जं समायरियं। तस्सवि सोहिनिमित्तं जयवं जलणं पविसामि | नणि सो मुणिवणा सुनश्पावं न नद्द पावेणं। नहु रुहिरेण विलित्तं ववं रुहिरेण सुशेशज्य| जश्तं महसि विसुद्धी ता निच्चं निच्चलेण चित्तेण / पमिवढासु जिणधम्म सम्मं सम्मत्तबुद्धीए॥६|| 1 कोमलं / 2 मोह / 3 घिपति / लोहो / ए गोरेहइ / ६श्यं / 9 मुणिनाहं / पावाणवि पावो / ASSESASARSHASKARSA |ए तेबिय। 10 आणाल / PIEGunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak !
Page #90
--------------------------------------------------------------------------
________________ अष्टप्र. उलहं खुमाणुसत्तं फुलहं जीवाण जीवियं लोए। फुलहो सुहगुरुजोगो उलहो जिणदेसी धम्मो || क तामा कुणसुपमायं लफूण सुमाणुसत्तणं फुलहं। उजामसुसया धम्मे मा मुससुमोहजालंमि॥8॥ सामिय हिउवएसो दिन्नो तुम्हेहिं सो मए नमि।अमय नरियव कुंनोसीसेण पमिछि एसो॥ धम्ममि धणं दाउ नरवश्वयणाउ तं समुरिज / रयणावलीवि दा नरवश्णो दश्याए / पमिवजिऊण दिलं जिणवरधम्मे विसुङ परिणामो। विहरश्गुरुहिं समेगामागरमंमियं वसुहं है। विहरंतो संपत्तोसुसमनयरं पुणोवि मुणिनाहो। चिट निच्चलक्षाणो उजाणे सिलायबुलंगे।ए है एत्तो सा निवघरणी पमले रयणावलि पमुत्तूण।जान्हाचं पवत्ता ता सो उलावगो पत्तो // 3 // तं निय कंति जलंतं दणं श्रामिसंतिकलिऊणं। रयणावली गहेअल रिकर्ज शत्ति उड्डीणो ए|3|| जा सा न्हाणुत्तिन्नान पेछएँ रयणमालियं पुर।ता पत्नण नरनाहं परिकुविया कम्यवयणेहिं। जो नियघरणीए तुमं श्राहरणं रस्किऊण असमबो।सो कह तुमं नरेसर रकेचं मेश्णीं तर सिए६६ श्य नणिए सोराया सदेचं जण अत्तणो पुरिसे।रयणावली चोरं सब पयत्तेण जाणेह ॥ए॥ श्य नणिया ते पुरिसा सवठाणेसु सवजुत्तर्ण / संपत्ता जोयंता उजाणे जब सो साहू // ए // यह सोविंय उरावो चंचुखित्ताए रयणमालाए। कीलये संका कलि मुणिणो सीसोवरिं चमिजा // 43 // 1 नरिऊब / 2 30 देयाए / 3 सहि / / इत्तो / एतेय ।६अलस्कियो / 7 पिचए / 7 सबजत्तेण / ए कीलक। RIAc Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak
Page #91
--------------------------------------------------------------------------
________________ 18| दखूण मुणिवरिंदं जम्मंतर जणिय वेर नयनी। रयणावलीए मुत्तुं' चि व ऊमत्ति उड्डीणो // रयणावलीवि पमियामुणिपयजुयलस्स मायारंमि।तब गएहि दिशा सहसा सा रायपुरुसेहिं११|| है एसो मुणिवेसधरो दिहो रयणावलीए चोरुत्ति। एवं विचिंतिऊणं नरवश्णो साहिलं तेहिं॥१७॥ अवियारिऊण राया परिकुको नण अत्तणो पुरिसे। तरुसाहाए एयं गलपासेणं विणासेह॥१३॥ श्य ते लझाएसा साहुं पत्नणंति काणगयचित्तं ।रयणावली चोरोउछ तुमं पावि अऊ // 10 // जह निवजजाए तए गहिया रयणावली हरेऊण।तह साहसु अन्नं चियजं गहियं श्च नयरंमि / थाश्छो तं वसो नरवश्णा अज उठ रुहेणं / ता साहसु फुम नहुँ जीयं अन्नहा तुझ // 16 // श्य सो सच्चपन्नो निच्चलकाणाउ चलिउँ नहु जाव।ता सो पुणोवि जणि सुमरसुतं इक देवंति 5 श्य नणिऊणं पासो कंठे उविऊण तस्स मुणिवश्णो।तरु साहाए निबद्धो ता तुट्टो कत्ति सो पासो हूँ एवं तिन्निवि वारे निच्चलचित्तस्स तुट्टए पासो / ता ते तस्स य रुहाँ सूलादं पकुवंति // 10 // एत्तो सासणदेवी निचलचित्तस्स तस्स परितुहा।वर कंचण मणि घमियं सूलोवरि आसणं कुण जह जह ते उवसग्गं सूलाए परिहियस्स कुवंतितह तह मुणी महप्पा परम शाणं समारुहश॥१११ / सुक्क काणं मि परिध्यिस्सधीरस्संतस्स मुणिवश्णो। विहमिय कम्मै चउकं उप्पन्नं केवलंनाणं११५, || देवेहिं कयामहिमा केवलनाणं मि तस्स मुणिवश्णो।मुक्कं कुसुमसमूहं गंधोदयमीसियं सीसे // 113|8 1 पमुत्तुं / 2 तवागएहिं / 3 फुमंचिय। 4 नय / 5 चल।६ पासे / 7 पना। वर / ए वीरस्स।१० घाइ। Silc. Gunratnasuri M.S.. Jun Gun Aaradhak
Page #92
--------------------------------------------------------------------------
________________ अष्टप्र. पूजा. इत्तो निवपुरिसेहिं गंतूणं अत्तणो नरिंदस्स।जह दिलं तह सिहं सत्वं तं साहुणो चरियं // 114 // अव ran|| गुरु विम्हिय हय हियर्ड नरनाहो जण अत्तणो पुरिसे।कह चोरस्सवि मुणिणो संजायं केवलंनाणं || ता नूणं नहु चोरो सो कोविमुणीसरोवि चोरोति / जणिकण मन सिहोता तं गंतुं खमावेमि॥ श्य नणिऊणं राया निय पुर नर नारिलोय परियरिठ ।गंतूण मुणिवरिंदं खामश्नमिऊण जत्तीए जयवं जो श्रवराहो तुम कर्म कहवि मोहमूढेण।सोसवो खमियबो पावस्सवि मन पणयस्स११० श्य नणिऊणं रायापुणो पुणो पणमिऊण मुणिनाहं।मुणिणा दिन्नासीसो उवविछो महियबुलंगे। सुरकयकंचणपउमे उवविछो सुरनरिंदपरिसाए ।पजणश्तं नरनाहं मुणिनाहो महुरवयणेहिं 1204 अन्नाणंधो जीवो पमिळ मोहामवी मसंमि / नाणपहं अलहंतो कं मुखं जं न पावे॥१२॥ अन्नाणं खलु के कयराजवि पावकम्मा। लोगो हियमहियं वा न जाणए जेण आवरि असहायस्स सहा संजाऊ मानचितुह दोसो।जेण मए कम्मरिऊ हणिऊणं संपर्य पत्त॥१५३ || अवि धन्नोसितमंनरवर मा कुणसु नियमणे खेयं।जो कयदोसोवि तुमं पछायावं समुबहसि। कयपावोवि हु सुसपछायावेण तावियसरीरो।जहय नरेसर अहयं पछायावेण संबुको // 15 // 3 // |6 पुरेणं नरवश्णा मुणिणा संपन्न दिवनाणेणं / पुवत्तं नियचरियं सविसेसं साहियं तस्स // 156 // 8 तमुणिणा वरियं चरियं सोऊण सोवि उसावो। संनरि पुत्वजम्मो तरुसिहरा समुत्तरियं // 1 न होइ / 2 चोरुत्ति / 3 महुरवयणेणं / जीवो। 5 सुहपयं। 6 वहसिपला। पडिबुझो। 7 संपत्त। एसजरिय।। N99 S c.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhako!
Page #93
--------------------------------------------------------------------------
________________ 943OSKORIISKUSKURSSI कय गुरु पछायावो जत्तीए तं मुणिं नमेऊणं / खाम नियच्चरियं सो सवं निययनासाए // 12 // पुल निवो नमेलं किं एसो ना? तुम्हपयपुर विबुलश्महियलवमि कुरुणंतो उच्चकंणरए जं परिकणाणुजुयं मुखं सुखं च पुव्वजम्मेसु / तं सवं मुणिवश्णा नीसेसं साहियं रन्नो // 130 // संजरिय पुवजम्मो संपर संपत्त सुझपरिणामो / मग्गश्अणसणमेसो निंदतो अप्पणो जम्म 131 जणि धन्नो एसो नरवश्सहियाश् सबपरिसाए। जस्सेसो परिणामो तिरियस्सविअणसणे जान काले सुपत्तदाणं संमत्तविसुद्ध बोहिलानं च / अंते समाहिमरणं अनवजीवा न पावंति 133 मुणिणाविहु नाऊणं परिणामं तस्स सुरूचित्तस्स। दिन्नं निछयहिययस्सअणसणं परिकणो तस्स|| नवकारोविड दिन्नो जावेणं पमिबिकण सो परकमरिऊण समुप्पन्नो सोहम्मे सुरविमाणं मि 135 सोविय नरिंदचंदो दाऊणं वरसुयस्स नियरऊ।पनिवजार पवळ केवलिणोपायमूलं मि // 136 // जग्गंतवो विहाणंकाऊणं संजमंच सुविसुकं / मरिऊण समुप्पन्नो पंचमकप्पंमि सुरनाहो॥१३॥ यसो सुरपियपुरिसो पछायावेण केवली हो / आजकयंमिमरि"संपत्तो सासयंगणं॥१३॥ एवं विबोहिऊणं हरिचंदं विजयचंदमुणिचंदो"विदरश्महिं महप्पा बोहिंतो नवियकुमुयाइं१३॥ पमिबोहिऊण जेणं सायरचंदोय केवली नयवं।खविऊण कम्मसेसं संपत्तो सासयं गणं // 10 // 18 | 1 नाह / 2 पहियलिपडिउँ / 3 कुरुवंतो। 5 अत्तणो। 5 चरियं / 6 पाविति / 7 विहिणा / ज्वर / दाए नरिंदविंदो। 10 श्राराहिऊणसम्मं / 11 मुणिनाहो / OIL Gunrainasuri M.S. Jun Gun Aaradhak
Page #94
--------------------------------------------------------------------------
________________ // 45 // अष्टप्र. जयसिरि पवत्तिणीविय उप्पाश्यदिवकेवलसमिछि। निहुविय कम्मसेसा संपत्ताणुत्तरं गणं॥१४॥ तह मयणसुंदरी विहु कमलसिरीचेव दोवि पवङ / काऊणं कालगया उववन्नाउ महासुक्के 145|| नगवंपि विजयचंदो पमिबोहेऊण नवकुमुयाइं। तुंगगिरि गरूयसिहरे संपत्तो सासयं गणं 143 एयं परमपय सुपसबं मंगलं च कहाणं / हियनिय सुहजणगं चरियं सिरिविजयचंदस्स // 144 श्व समप्पश्चरियंसुपवित्तं विजयचंदमुणिवश्णो। निसुणंताणं एवं कुणउँ सुहं नवियलोयाणं // एयं जो सुणश्नरो निच्चलचित्तों विसुझबुद्धीए / सो नवकविमुक्को पावश् मुकं सदासुकं 146 एयं मंगल निलयं चरियं सिरिविजयचंदकेवलियो / जा गयणे गहचकं ता मोहं हणज नवियाणं // 1 सिरिनिव्वुयवंसमहाधयस्स सिरिश्रमयदेवसूरिस्स। सीसंण तस्स रश्यं चंदप्पहमहयरेणेयं॥१४० % रश्यं विचररहियं चरिथं सिरिविजयचंदकेवलियो / गाहाबंदनिबर्क नवियाणं विबोहणछाएं १४ए है। / देयावमवरनयरे रिसहनरिंदरस मंदिरे रश्यं / नियवीरदेव सीसस्स साहुणो तस्स वयणेणं // 15 // मुणिकमरुद्दक(११५७)जुए काले सिरिविकमस्स वदृते / रश्यं फुमकरवं चंदप्पहमहयरेणेयं 151 || जाव जसो ससिधवलो धवलश्महिमंगलंजिणिंदाणांताव श्मंजयउजएचरियं सिरिविजयचंदस्स इति पूजाष्टके अवशिष्ट कथा समाप्ता। | 1 संपन्नाविसुध। संपत्ता सासयं / 3 दोविगहिय / 4 जयवंपि / 5 नविय / 6 संजण्यं / 7 कुए। // 4 // - सुविसुहचित्तो। ए हियगुणगण / 10 जिणंदस्स / SHAHISIRLIQLARISORSHIN MOSAS पोषा SC Gunratnasuri MS Jun Gun Aaradhak. T X
Page #95
--------------------------------------------------------------------------
________________ S LoLGAR इति अष्टप्रकारी पूजाउपर श्राप दृष्टांतयुक्त प्राकृत पद्यबंध 7 श्री विजयचंद केवलीनुं चरित्र. HEACHI PP.AC.Gunratnasuri M.S. . Jun Gun Aaradhak Trust