________________ 2- अष्टप्र. इत्तो उग्गयनारी देवो जाणेश् अवहि विसएण।जो'सो सुयस्स जीवो रन्नो गमि उववन्नो 23 जेण क उवयारो पुवनवे मा फलपयाणेण।ता गंतूण अहं पिहु रेमिमणोरहे तस्स // 4 // // 3 // पुवनवप्नासाउँ अहिलासो तस्स अंबगफलेसु। तस्स वसेणं अंबाण अंबाए मोहलोचेवै // 25 // ता सबवाहवेसेण चुलगं अंबगाणनरिऊणं / ढोएमि ती पुरळ पुकसमुदाउ उत्तरणं // 26 // एवं विचिंतिकणं सो देवो सबवाहवेसेण / अंबगजरियं चुलं ढोय अह तस्स नरवश्णो // 7 // साहसु कब अगाले जद्द तए पावियाई अंबाइं।श्य पुठो नरवश्णा सबाहो जणउँमाढत्तो॥णा , नरवर रन्नागने पुत्तो परिवस तस्स पुन्नेहिं / श्छवि पत्ताई मए नणिऊण अदंसणी ॥२ए॥ |श्राणं दियहियएणं विन्नायं राणा जहा एसो। जम्मंतरपमिबको कोवि सुरो हुज पुत्तस्स॥३०॥|8| है देवविणिम्मिय अंबगफलेहिं संपुन्न मोहला देवी। रंना सुर्च पसू सुलकणो सुरकुमारुव // 31 / ..... (रंना सुयं पसूया सलरकणं सुरकुमारं व ) पागंतरम् / वझावणं नरिंदो परितुझो कुणइपुत्तजम्मंमि। जिण गुरुयणेसु पूयाँ दाणं चिय दे दीणेसु॥३॥ पत्ते सुहनकत्ते पसबवारंमि सुझतम दियहे। फलसारुत्ति गुरूहिं नामंच पहियं तस्स // 33 // सोहग्गरूवकलिउ जुवणलाइन्नं कंतिपमिपुन्नो / तं दळूण अणंगो गवं नो वह रूवस्स // 34 // // 3 // 1 जह / 2 रन्ना / 3 डोहलो तारिसो चेव / 4 ढोएश्य / 5 जणिय / 6 जणेसु / 7 पूर्य / सुपसले वासरंमि सुपवित्ते / ए जोयणलायन्नं / SSSOCCUSA SIA Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak