________________ दीस पुत्तसरिलो विणयंधरोजशवि' सबवाहेण।तह विहु जणेण वुच्च कम्मगरोसबवाहस्स३५/8/ | अहिययरं पूमिज विणयंधरो तेण लोयवयणेण।अहवा परघरवासी मिळाश् को न जियलोए॥ अह अन्नया कयाई कीलंतो जिणहरंमि संपत्तो। निसुण साहुसयासे धंमं जिणधूयपूयाए // 37 // मयणाहि' चंदणागुरु कप्पूर सुयंधे धूवपुप्फेहिं / पुजाश्जो जिणचंदं पूजाश्सो सुरिंदेहिं // 30 // श्य निसुणिऊण वयणं विणयंधरो नियमणं मिचिंते।ते धन्ना जे निच्चं पूयंति जिणं सुधूवेणं॥३॥ (ते धन्ना जे धूवेहिं / पूयंति जिणं सुगंधेहिं // )पागंतरं अहयं पुण असमबो एगंपि दिणं जिणस्स पूयाए।तम्हा धिरत्थु जमो मह एसो धम्मरहियस्सा || 8 एवं परिचिंतितो समाग जाव अत्तणो गेहे। ता गंधिएण धूवो समप्पि सबवाहस्स // 3 // || तेणवि पुझियनिबकोसमप्पि परियणस्स सोसबो। विणयधरेणवि लको संतुझो अत्तणो हियए॥ नियपरियणेण दवो सो धूवो चंमिया देवाणं / विणयंधरेण नी संसासमयंमि जिणनवणे॥४३॥ पकालियकरचरणो बंधेलं नासियं च वजेण / महिऊर्ण समाद्वृत्तो तं जिणपुर पवरधूयं // 4 // विवरइ धूवगंधो सवत्तो महियलंमि गयणंमि / धूयकमुठ्यहलो कुण पन्नं च सो धीरो॥४५॥|| जाव न पऊलश्श्मो मसंतो कमबुंयहियधूछ। ताहं जीयंतेविहु वच्चामिन निययगणा // 46 // || 1 जयवि।२ कम्मकरो।३ मयनाहि / / चंदणागरु / ए सुगंध / 6 गंधधूवेहिं / 7 सुणिकणं / 7 परिचिंतंतो। |ए दहिऊण / 10 कमलय। 11 कडाएन्।ि 12 जीवंतो। 13 नियगेहंपि। Ac.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak