________________ अष्टप्र. श्य जणिकणं तीए जम्मंतरजणिय नेहनमियाए। सहसच्चिय वरमाला परिकवियो कुमरकंमि॥ दिन्नो साहुक्कारो नरिंदमशंमि सबलोएण।अणुरूवो एस वरो वरिउ कुमरी कुमरुत्ति // 4 // // 35 कुमरकुमरीणसुकं अन्नुन्न समागमंमि संजायं / तं नृणं सुरलोए देवाणवि उल्लहं चेव // 5 // अश्नेहनिलराणं उन्हें पिहु गुरुपमोय जुत्ताणं / वित्तं पाणिग्गहणं सवरिंदाणपञ्चकं // 51 // ससिलेहाए पिउणा वरवनविनूसणेहिंविविहिं। सम्माणिकण विहिणा विसजि नरवश्लो॥ फलसारोवि य कुमरो सहिउँ दश्याश् नियससुरेण।सम्माणिकण मुक्को संपत्तो अत्तणो नयरे॥५३॥ 5 तीए सह विसयसुहं अणुहवमाणस्स तस्स कुमरस्स। वच्चंति वठराविहु दियहत्व सुहावगाढस्स५४|| जं जं मणंमि चिंतश् सुहलं सवं पिहोश्तं तस्स।पुवनवंतरविरश्य जिणफलपूयाणुनावणं // 5 // अह अन्नदिणे दो जंपश् देवाण मसयारंमि। फलसारस्स य सहलं संपङ चिंतियमणस्स // 56 // . (फलसारस्स सुरस्सवि संपऊ चिंतयं मणसा ) पागंतरं / / तब य कोवि सुरों विहु सुरवश्वयणं असदहेऊण। विसहररूवं काउंसश्नझं कुमारस्स॥५७ | तंदणं नरवश्लोउँ अहियं समाउलो जा। वाहर मंतकुसले गारुमिए मंतजुत्तेय॥ 27 // 8| बहुविह विजासएहिं विविहेसु य मंततंत जोएसु।तह विहु जियरहिया विटु निच्चिा चिठए जाव ता पुणरवि सो देवो सुविङारूवेण नणश्श्रागंतु।सुररुकमंजरीएहिं कुमार तुह जीवए नजा६० 1 परिकत्ता। कुमरत्ति।३ अन्नोन्नं। 4 गतूणं / 5 तथेगो कोविसुरो। 6 सुनऊ / 7 सवो / विहियेसुय / ए इव / // 3 // AC Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak !