________________ ॥गंधपूजाविषये जयसुरनृपकथा प्रारंन // वरवेयवनगिंदे' दाहिणसेढी गयपुरे राया। खेयरवई जयसूरो नजांवि अ सुहमई तस्स॥४३॥ तीए सग्गार्ड चु उत्तमसुमिणेण सूज संतो / गब्नंमि समुप्पन्नो संमदिघी सुरो कोइ // 4 // किसिया कीसकिसोयरिसाहसुजश्तुनदोहलोकोवि।श्यनणियादशएणंपनणसासामि निसुणेसु र जाणामि जश् तए सह अधावयपव्वयाइ तिजेसु। वरगंधेहिं सयंचिय करेमि पूयं जिणंदाणं // 46 // है। श्य जणिए सहसच्चिय नरवश्णा वरविमाणमारूढा।सा सुकएणविनीया अहावयपव्वयं तिबं॥ पम्पमुह संख काहल रवेण काऊण मजणं विहिणागंधेहिं कुण पूयं हरिसियहियया जिणिंदाणं - जा उत्तरश्नगाठ संपुन्नमणोरहा विसालछी। तावणगहण निकुंजे अग्घाय ऽस्सहं गंधं // 4 // पुल विम्हियहियया वरकुसुमसमाउलंमिरन्नंमि। कस्सेसो ऽग्गंधो पुस्सहो सामिय मुणीणंपि | तेणविसा पमिनणिया किं न पिए एसें पिछसे पुर।उनिय जुयदंम्जुझं महामुणिं गुरुसिलावट्टे॥ | उहियथिरदेहं निम्मलसूरम्मिदिन्नदिहीयं / घोरं तवं तवंतं तियसाणवि तास संजणय॥५॥ है। सूरखरकिरणतावियतणुस्स मलमयलसेयकिनस्स। उछल सरीराजे एयस्स ये ऽस्सहो गंधो // पत्नण सा मुणिधम्मो पन्नत्तो सोहणो जिर्णिदेहिं / फासुयजलेण न्हाणं जश् कुजा हुजाकोदोसो | PI एवं सा पत्नणंती नणिया दशएण नणसुमा एवं / संजमजलेण न्हाया निच्च सुई मुणिवरा डंति १गिरिदे / 2 सुहम्म। 3 निगुंजे / 4 / 5 कन्नस्स / 6 स / 7 दिछो अह / S c Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak To