Book Title: Vijaychand Kevali Charitra
Author(s): Chandraprabh Mahattar
Publisher: Jain Dharm Prasarak Sabha
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________________ उदश्यत्व ताणं नहु निदानयणगोयरे पड। अहवा अबविलुद्धा पुरिसा निदं न पावंति॥४॥ (जा ते बहुधणलुम्मा मुना चिति दोवि नियगेहे ) पागंतरं / ||जाते अनविलुद्धा चिति य दोवि निययगेहंमि।ता सो पुत्तो सुत्तो सयणे रयणी चिंते॥२५॥ जह जाण नेय पिया तह अऊंजामिणीए सेसंमि। गंतूण तं निहाणं आणेमिअल स्किलं काउंश६] जा जाइ न तब सुर्व ता पिउणा कत्ति तब गंतूण।उहरिऊणं अटो परिकत्तो अन्नदेसंमि॥॥ * तत्तो सो संपत्तो तं जणश्ताय कब सो अठो। उकरिऊणं इत्तो पस्कित्तो कइ पएसंमि // 7 // तं पत्नणश्सोवि पिया मा जणसु पुत्त एरिसं वयणं / नहु दिछो हियश्शो सोश्रबो एबदेसंमिश्ए| तंकन्नसूलसरिसं वयणं जणयस्स सो सुणेऊण।कोहानलपऊलि घयसित्तोजलणरासिव॥३॥ जा अवि ताय अहं कुछो न हरामि जीवियं तुस।ता साहसु मह अतुल श्रण नियकर। जसो पुत्त अणलो अबोतातुन वजहो कीसापुलसि जेण पुणोतं तिसि पहिलवजलनिलयं 35 लप्रश्नपि पुणो जीयं जम्मंतरेवि जीवेटिं।अबो पुण पनहो नहु लाइ पुन्नरहिएहिं // 33 // 3| जश्खुको कुछोविहु पुत्त तुमं हरसि जीवियं मशातहवि न साहेमि अहं तं अजीवियतहियं 34|| 7 एत्तों कोवेण सुर्व घयसित्तो हुयवहोर्व पङलिउँ पाउंदाऊण गले निप्पीमश्अत्तणो जणयं३५ 1 रु। 2 एइ / 3 उरकणिऊणं / इह पएसंमि / 5 कंनमूलविरसं।६ पहियब। इत्तो। हुयवहुव। ए इच्छं। SHESA RSHERS RINGunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Te!

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