Book Title: Vijaychand Kevali Charitra
Author(s): Chandraprabh Mahattar
Publisher: Jain Dharm Prasarak Sabha
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________________ अष्टप्र. // 4 // जजण घरमझे चिश्ता जत्ति सो सुन बाहिं / अह पुत्तो घरमले ताजण शत्ति सो बाहिं हैं। कलश एवंजणयसुयाणं कबुसियहिययाणजाइजो कालो।ता अन्नदिणे नणि कह वसुई तेण जणएण है अबो पुत्त पणो अम्हघरे कहवि विहि निर्जागेण।ता अबस्स निमित्तं वच्चामो अन्नदेसंमि 15 | अबविणो पुरिसो सुवंसजाउवि लहर लहुयत्तं / पावश्परिनवगणं गुणरहि धणुह दंमुव 16 / धम्मबकाममुकाण बाहिरो होश्अपरिहीणो।जैन करश् सुविसुझं पुरिसो जिणदेसियं धम्म॥3 गहिऊण किंपिनं असारमोबँपि निययगेहा।अहिमाणधणा दोन्निवि वच्चामोअन्नदेसंमि // 8 साहसमवलंबतो पायं देसंतरंमि संपत्तो / पुरिसो पमायरहिउँ पाव हियद्रियं लडिं // 1 // श्य कय कवमसिणेहा विणचित्ता पणउसलावा / गहिऊण किंपिनं विणिग्गया निययगेहा संपत्ता उजाणे नग्गोह महामस्स मूलं मि। दिछो धरणिनिविठो दोहिं विपो पुमाडसं // 2 // चिंतंति दोवि हियएँ चिहश हिमि दव्व मेयस्स / सबंमि जनणियं दत्वं पाए पुमामस्स // 1 // ॐ दोन्निवितन्निहिपसत्ता दोन्निविअन्नोन्नवंचणुझुत्तादोन्निविनणंतिगहणेनहुअजसोहणोदियहो (उन्नवि तंमि पसत्ता उन्नवि अन्नन्न वंचणा जुत्ता) पागंतरं / ताअछउ ए हि गिन्हिस्सं सोहणं मि दिवसंमि।अवसउणोत्ति नणे संपत्ता निययगेहं मि॥ // 4 // 1 सोबहिंचेव / विसु / 3 श्रम्ह पणो / 4 पुत्त घरे / 5 जइ। 6 असारमुलंपि / 7 उन्नवि / गएं / |ए पुंयाडस्स / 10 हि / 11 श्व / 12 दियहपि / 13 समागया / S C Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak TE

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