Book Title: Vijaychand Kevali Charitra
Author(s): Chandraprabh Mahattar
Publisher: Jain Dharm Prasarak Sabha

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Page 83
________________ श्य जिणवरपूयाए अहबिहाए विसोफलं सोउं / पजण हरिचंदनिवो जयवं अश्सुहफला पूया - ता एयाएजुत्तो कायवो आयरेण ताय मए / अझवि असमबोहं मुणिंदधम्ममि उजामि॥२॥ श्य नणिए मुणिवश्णा निचलचित्तेण नद्द होयत्वं / एसाविहु जिणपूया होही तुह सिवफला चेव॥87 पुणरवि संसियहियर्ड पुछराया मुणीसरं नमिजं / जयवं किं कयपावो पावश् सुडी गिहलो विns कयपावोवि विसुनपन्छायावेण तावियसरीरो।जह सो सुरपियपुरिसोनियलाने मुणिवराहिंतो को सो सुरपियपुरिसो कह पत्ता तेण उत्तमा सुद्धी / नयवं साहसु एयं अश्गरुयं कोउयं मम // 6 // जह संपत्ता रिद्धी नरिंद जह तेण पाविया सिद्धी। तह तंसुरपियपुरिसं साहिऊं तं निसामेह , अचिन्न नरहवासे सुरपुरसरिसं सुसम्म नयरंमि / तब नरिंदो चंदो चंदो श्वबंधु कुमुयाणं॥॥ तस्स पिया पुणतारा गुणनाराहरणनूसियसरीरा / उन्नय पवर पउँहर रमणीया रमणपुत्तिवा ॐ सो तीएं समं राया विसयसुहासत्तमाणसो सयो। न मुणगयंपि कालं सश्सहि तियसनाहुव्व 10|| तमि पुरे सुपसिको सेही" परिवस सुंदरो नाम।मयणसिरीविय नजा पुत्तोविय सुरपिउ नाम पुत्तो तस्स अणिछो सत्तुव सयावि" तस्स पमिहा।पुत्तस्स वि सोवि पिया पुत्वयि कम्मदोसेण॥ 1 जणिउँसो / 5 सिद्धिं / 3 निहिनाणे / 4 नयरति / 5 गुणहारा / 6 पीण / 7 रयणमुत्तिव / प्रती। एनिच्च / 10 सिही। 11 दिने सत्तुब / 12 पुवजिय। . . WC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak TV

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