Book Title: Vijaychand Kevali Charitra
Author(s): Chandraprabh Mahattar
Publisher: Jain Dharm Prasarak Sabha

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Page 77
________________ RESTORATI G कलशपूजायां कथानकम् / ढोयई जो जलजरियं कलसं जत्तीश्वीयरागाणं / पावर सो कल्याणं जह पत्तं विप्पधूयाए // 1 // अबिन नरहवासे सुपसिहं सुरपुरंव रमणीयं। बंजपुरं नामेणं विप्पसहस्सेहिं परिकलियं // 2 // तबविचउवेयविऊ विप्पो परिवसश्सोमिलो नामा सोमा य तस्स नजा पुत्तोविहुँ जन्नवक्कोत्ति३ &aa निम्मलवंसविसुका धम्ममि समुझाया पिया तस्स।सोमसिरी नामेणं सुविणीया ससुरवग्गस्सा श्रह सो सोमिल विप्पो पंचत्तं विहिवसेण संपत्तो। पुत्तेण यं पारडं मयकिच्चं तस्स जणयस्स॥५॥ नणिया सासोमसिरी सोमाए सासुयाश् सप्पणयं।वारसि दाण निमित्तं ससुरस्स जल समाणेहिंद श्य सासुयाइ नणिया घम्यं चित्तूण निग्गया उदयं ।जलसंपन्नं घमय समागया जिणहरासन्ने॥७॥ ता निसुण जलजरियं ढोए धर्म जिणवरिंदस। सो पावश्सुपसदं परमपयं नावसुद्धीए // 7 // वरवारिनरिअघम गग्गरीज ढोअंतिजे जिणिंदस्साते निम्मलनाणधरा धरंति सुगईए अप्पाणं 4 श्य सा सोऊण श्मं मुणिंदमुहकमलनिग्गयं वयणं / ढोयश्तंचिय घम्यं जलजरियं जिणवरिंदस्स सामिय मूढमणाहं जाणामि न तुम संथैवं काउं।तं होउ मल पुन्नं तुह जलघमयस्स दाणेण११ || सेसमहिलाहिंगंतुं सवं तंसासुयाश्परिकहियं ।जह तुह सुन्हा घमो गंतुं दिन्नो जिणिदस्स 22|| 1 ढोवइ / 2 परिकिन्नं / 3 पुत्तोविय / 4 जन्नचुकुत्ति / 5 समुजुया। 6 वि। 7 जा जलसंपुन्नघमा / " घडय ढोयश् जो जिकिंदस्स / ए संयुयं / 10 जलघडपयाणेण / O N496496297294 Mc Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak

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