Book Title: Vijaychand Kevali Charitra
Author(s): Chandraprabh Mahattar
Publisher: Jain Dharm Prasarak Sabha
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________________ HEASEASESSASSAGE जा चिसो कुमरो दश्या गुरुपुक पुस्किय सरीरो।तासो फुग्गयदेवो कर करे मंजरि तस्स॥|5| मुत्तूण विजारूवं कुंजररूवेण सो सुरो हो।अवलोय तं कुमरं ता पिड सीहरूवेणं // 6 // मुत्तूणं करिरूवं मयारिरूवेण आवए जाव / ता पितं कुमरं परिहियं सरहरूवेणे // 33 // संहरिऊणं मायां परितुझो सो जण कुमरं तं।जह सुरवश्णा नणि तह संजा तुमं जद्द॥६४ पनणसु जं मणझं परितुझो देमि अऊ तंतुस।जश् एवं कुणसुतुमं मस पुरं सुरपुरसरिछ६५ र एवंति पत्नणिऊणं कंचणमणिरयण रयपायारा। निम्मश्या देवेणं सुरजवर्ण विनूसिया नयरी६६ // सालंकारं नयरिं कुमरस्स पुणन्नवं च तं दश्यं / काऊणं संपत्तो सो देवो अत्तणो गणे"॥ 6 // कुमरोवि य तं नयरिं दखूण पुणन्नवं च तं दश्यं परिवहिय संतोसोन माश्यंगेसु नियगेसु॥ सो सूरो विहु राया रहि सिंचिऊण तं कुमरं। निसंतोखायजसो सीलंधरैसूरिणो पासेदए / & कंचणपुरंमि नयरे फलसारनिवस्स चंदलेहाए।सहियस्स जंति दियहा सुहेण सकस्सव सईए० कालकमेणं पुत्तो फलसार नराहिवस्स संजाउँ / नामेण चंदसारो ससिलेहाकुछिसंजूळ // 1 // बंधवकुमुयाणंदो चंऽव्व कलाकलावपरियरिउ / जम्मुक्कबालजावो संपत्तो अवणं रम्मं // 7 // SHRELEASCARRCARE १पिञ्च। 2 ता / 3 सुम्मिय / 4 अवलोय जाकुमरो। 5 आ गाथा बीजी प्रतमा नथी। 6 जण सोसुरोकुमरं / 7 पुरि। 7 पवर / एनिम्मविया / 10 वरजवण / 11 अत्तणं गणं / 12 तोसेणं / 13 नियएसु अंगेसु / |14 अहिसंचिकण / 15 सेयंवर / 16 कालक्कमेण / .Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak

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