Book Title: Vijaychand Kevali Charitra
Author(s): Chandraprabh Mahattar
Publisher: Jain Dharm Prasarak Sabha

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Page 73
________________ **** * ** अह सो पुग्गयदेवो पजणश्रयणीपलिमे जामे। कुमर निसामेसु तुम पुवनवे जं कयं सुकयं 35 || *ज दिन्नं जिणपुर चूयफलं सहपियाश् सुयजमे / तेण तए संपत्तं मणुयत्तं उत्तमं एयं // 36 // 3 & कीरजवे जं तुमए दश्यासहिएण जिणवरिंदस्स / दिन्नं चिय चूयफलं तस्स फलं तुह सिरी एसा // 36 // पागंतरं है। कीरजवे जा जमा जिणिंदचंदस्स फलपयाणेण।मरिऊण समुप्पन्ना रायपुरे राश्णो धूया॥३७॥ जं दिन्नं मश फलं पुत्विं तुमए जिणिंदचंदस्स। तस्स फलं मह एसा संजाया कुमर सुररिची॥३॥ तुमए गप्नंमिलिएँ अगाल अंबेसु दोहलो जाउंसो फलदाणेण मए पूरिजंतुस जणणीए // 3 // ||जा तुह सुयनवनजा सा संपर समरकेजणोधूया।नरवश्णो रायपुरे वश्य सयंवरो तीए // 40 // [8] चित्तपमिया लिहियं सुयमिहुणं गविऊण नियचिंधविच्चसु तुमं महायस सयंवरे तीए कन्नाए है। सा दउँ सुयमिहुणं समरिय॑नियजाश्जायसंतोसा।तुह उवरिं वरमालं खिवही नबिब संदेहोर है। श्य जणिकण देवो कहिऊण य पुत्वजम्मसंबंध। कुमरेणवि पमिवंने संपत्तो निययवाणं मि॥४३॥ || कुमरोविय संपत्तो सयंवरे ती चंदलेहाए / दिको सो सुयचिंधो सयंवरे रायकन्नाए // 44 // तं दहुं सुयमिहुणं जाईसरणं विचिंतियंतीए।सो कीरोह कुमरोअहयं चियसा सुई चेव // 45 जणिया सा नियपिजणा पुत्ति तुमं निच्चला दिहिए। दणंसुयजुयलं पुणो पुणो किं पलोएसिध६४ है ताय अहं पुवजवे कीरी कीरो य एस कुमरुत्ति। जिणफलदाणेण पुणो दोहि विमणुयत्तणं पत्तं / / है १निसामेह।तए। 3 कम्मं / धजोग मिठिए तइ। 5 लिहिऊण। ६सुमरिय। प्रजायं सरिऊण। दोविहु / एपत्ता। ** ** DNC GunratnasuriM.S. Jun Gun Aaradhak T *

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