Book Title: Vijaychand Kevali Charitra
Author(s): Chandraprabh Mahattar
Publisher: Jain Dharm Prasarak Sabha

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Page 71
________________ HARSASSSSSSSSSS * तीए जणियं वरतरु फलाइं जो ढोयए जिणिंदस्स।जम्मंतरेवि सफलो जायंति मणोरहा तस्स११ | (वरतरुपवर फलाई ढोयर जो जिणवरस्स जत्तीए) पागंतरं / श्य सोउं गुरुमूले जिणमुहकमलाउ निग्गयं वयणांता खिवसुमन अंबं जेण पयहामि जिणपुर चणि सो सूईएनाह पयामि अंबगमिमीए।अम्हेविय ढोएमो जिणपुर अंबगफलाइं॥१३॥ श्य नणिए परिकत्तं तीई सयासंमि अंबगं एगोसाविय गहिलं ढोय जिणपुर परमजत्तीए॥१॥ तेणवि सुयमिहुणेणं तुणं चंचुसंपुडे धरिजं / उविजं जिणिंदपुर चूयफलं परमजत्तीए // 15 // पत्नणश्तं सुयजुयलंन याणिमो नाह तुह थुशंकाजाजं जिण तुहफलदाणे होश्फलं होतंमर्स। आजकयंमि मरि जग्गयनारी विसहपरिणामा / जवना सुरलोए जिणिंदफलदाण पुन्नेण॥ सोवियं सूर्य मरि उववंनो गंधिलाश्नयरीए। सूरनराहिवपुत्तो रंनो देवी गनंमि // 17 // गप्प तंमि सुए, पुत्वलदेहं वियाणि राया / नऊं पुब नद्दे साहसु मह दोहल सर्वैवं // 1 // पत्नण सामि अगाले डोहल मश अंबगफलेसु।सो कह पूरेबो नाह तए मद अजन्नाए२०] श्य सोऊणं राया दश्यामुहकुहरनिग्गयं वयणं / चिंता पुरकसमुद्दे ऊमत्ति पमि विचिंते॥१॥ * कह एसो मोहल प्रेयवो मए अगालं मि। अपुणे पुण एसा मर धुवं नबि संदेहो // 22 // 1 सहला / 2 निसुयं / 3 तीए / 5 अम्ह / 5 सोवि / 6 मरिऊणं / 7 रंनादेवी / जं मोहलो तुझ। ए अयाले। 10 अकालंमि / C Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak

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