Book Title: Vijaychand Kevali Charitra
Author(s): Chandraprabh Mahattar
Publisher: Jain Dharm Prasarak Sabha
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________________ अष्टप्र. सोऊण श्मं वयणं कोहेण हुयवहवे पङलिया। पत्नण तो जिणपुर देघमं किं न सीसंमि 13 कलश पत्नण पुणोविरुहा नहु पविस्सश्महधरंमिसा उछापरिगहियलनमहबाचिश्साघरज्वारबा / // 3 // पूजा. पविसंती नियगेहे निवारिया सासुयाश्सासुन्हा।मा पविससु घमरहिया अज घरेमस तं पावे॥ (मा पविससु महगेहे घडरहिया अजा तं पावि) पाठांतरं। *नय पूश्याय पियरोअङविन हुआसणोयतप्पविउँ। नय दिन्नंविप्पाणवि कह दिन्नोजिणहरेघम गंतूणं रोवंती कुंजारगिहमि नण कुंजारं / बंधव मह देसु घडं हबा कंकणं चित्तुं // 17 // तेणविसापडिनणिया जणि तुमंकीसमग्गसि रुयंतीतीवि निय वुत्तो नीसेसोसाहितस्स है जणिया य तुमं धन्ना जी तए जिणहरे घमो दिन्नो। संपत्तं जम्मफलं सुहबीयं मुस्कसुरकस्स १ए अणुमोयणा एवं बऊ तेणावि सुहफलं कम्म।धम्माणुमोयणाए जीवो जवसायरं तर // 20 // जश एवं ता गिन्हसु घमयं मा कुणसु नियमणे खेयं / किं लश्णी हबा गिन्हिस्सं कंकणं अहयं / श्य जणियो सा चित्तुं घमयं नरिऊण पवरनीरस्स अप्पेश् सासुयाए सावि चिया नियसहामि॥ [8 है तं दणं घमयं पन्छायावो ये ती संजाउँ / तहविहु बर्फ कम्मं एगनवं जिणपसा // 3 // सो चेव कुंचकारो जिणजलपूयाणुमोयणफलेण। मरिऊण समुप्पन्नो कुंजपुरे सिरिहरो राया है। // 3 // 1 हुयवहुष / 5 जा / 3 पुश्याय / / पिनरो / 5 तिप्पविउँ / 6 नहु / 7 रोयंती / कुंजारघरंमि / ए बहि||६| [णि / 10 तीवि / 11 नणिए / 12 वि / HOROSHO ULIOPHORA Ac Gunratnasuri M.S Jun Gun Aaradhak T

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