Book Title: Vijaychand Kevali Charitra
Author(s): Chandraprabh Mahattar
Publisher: Jain Dharm Prasarak Sabha
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________________ ARSANSAR नाऊण कणगमाला उजाणे संठियं मुणिवरिंदं / जत्ती वंदणवं संचलिया सह नरिंदेण // 51 // दण मुणिवरिंदं वंदर तिपयाहिणं करेऊणं / धम्मं च सुणेऊणं पुल नियसंसयं कणया // 5 // नयवं को पदियहं महपुर पढअकरतंमि / केण निमित्तणं चिय साहसुअश्कोउयं मश५३| पुविं दोसहिया जिणमधणसिरि पसिनामा। जिणदीवयदाणेणं दोवि गया देवलोगंमि५४ तत्तो चविऊण तुमं जाया श्वेव राणो नजा।साविय जिएमश्देवी पदियहं कुणश्पमिबोहं 55|| सा सग्गा चविलं श्चय जम्मंमि तुह सही होही / तत्तो मरि तुझे सबके दोवि देवत्ति॥५६॥|| सवठाउ चविलं वयजुत्तं पाविऊण मणुयत्तं / कम्मरकरणे तुझे उन्निवि सिकिंपि पावेहें // // 5 जं जिणनवणपश्वो विहि तुझेहिं श्च जम्मंमि। तस्स फलं निवाणं होही नबिन संदेहो॥५॥ एवं मुणिवयणा पुवनवं अत्तणो सुणंतीए / जायं जाईसरणं सहसच्चिय कणगमालाए // // पनण जयवं सबो पुवनवो मक्ष साहिउँ तुमए / हिँ मएवि नायं जाईसरणेण नीसेसे // 6 // श्य जणिऊणं कणयासम्मंपमिव जिऊण जिणधम्म।समयं विय दश्एणं समागया अत्तणो गेहंदर जिणमश्देवी पुणो जणियासा जामिणी पब साहु तए पमिवंनो जिणधम्मो मयसमो वच्छे 654 इहिं अहंपि चविलं सायरदत्तस्स सिहिणो धूया / होहामि तए नद्दे बोहेयवा य जिणधम्मे 63|3|| एवंति तीए जणियं विणिग्गया जिणमई निययगणाजुंज सुरसुका कणयाविय मणुयजम्मस्स। . 1 पयाहिणी / तुहबोहिं / 3 श्चवि / 4 कम्मरकएवि / 5 पाविजा / 6 नीसेसो / 7 मइ विसालछि ROADCLOSSADORGANGANASALUESC 12 Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhaki

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