Book Title: Vijaychand Kevali Charitra
Author(s): Chandraprabh Mahattar
Publisher: Jain Dharm Prasarak Sabha
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________________ ॐ कयसिंगारा सवे श्रारूढा तेसु परममंचेसु / रेहंति नूमिपाला असुरव लिया विमाणेसु // 4 // * सियचामरायवत्ता सियवबविलेवणाहरणसोहा / निवकुलसरोरुहें वसा कन्ना रायहंसीव // 5 // नरवश्धूया पुरर्ड वढिरपमुपमहसंखसद्दालो / उबलर तूरसदो दूर्घ श्व सुरवराहवणे // 51 // * सोऊण तूरसदं कोऊहलमाणसो स मणुपत्तो / हलिउँ हलमारूढो जोए सयंवरं तु॥५॥ पंडिहारी कमेणं कहिए सवेवि पछिवे मुत्तुं / कयसुरसंनिशाए कन्नाए हालि वरि // 53 // 8 जणणी जण तह बंधवाय कन्नाई हालिए वरिए।वण तामिया श्व लजाइअहोमुहा जाया 54/6 पंति इक्कमिकं सविलका पबिवा सकोवा य / मुत्तुण पबिववरे कन्नाए हालि वरि // 5 // * किं कुग्गहगहगहिया मूढा वा हुँऊ बालिया एसा / जा पबिवे पमुत्तुं हीणं पिहु हालियं वरश्५६ / / ते सूरसेणपमुहा सवेवि य पबिवा य जंपति"। जश् हालिवि" को ता मेलहै पबिवे कीस५७ / तमा हलिणा सहियं एयं हणिकण कन्नगं लेहै / किडाउ सयंवरपणे मणशं कन्नगं वर॥५॥ पत्नणे चमसीहो वरि एयाश् मूढबुद्धीए / नहु पिउणो वयणेणं तमा पेसेढुमो दूंयं // तस्स वयणेण दूजे पहवि सूरसेणनरवश्णा / गंतूण पमिनियत्तो पमिवयणं साहए ताण // 6 // 1 तेवि / 2 पवरमंचेसु / 3 निवकमलसरे रेह / 4 संकेयाए / 5 पडिहारीय / 6 कन्नाश् / 7 लजाए। 4aa होऊ / ए सुरसेणस्स कुविया / 10 पयंपंति / 11 हलिविहु / 12 मेल / 13 लेमो। 15 सयंवरो पुण / 15 कन्नगा / 16 पेसिङ / 17 दूळ / 10 तेण / SHOROSCOPERTOSHARRASTASES C.GunratnasuriM.S. Jun Gun Aaradhak TE!

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