Book Title: Vijaychand Kevali Charitra
Author(s): Chandraprabh Mahattar
Publisher: Jain Dharm Prasarak Sabha
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________________ नियनोयणमलाउ पिंमि ढोऊण जिणवरिंदस्सासंपत्तमुणिवरस्स वि जुत्तवमनिग्गहो मस 24 / नणि य मुणिवरेणं निच्चलचित्तेण श्छे होयत्वं / जेण तुमं च सुहेण सासयसुहजायणं होही२५ % श्य नणिऊण मुर्णिदो नमि हलिणा विसुनावण।उप्प गयणयले विहर हियद्रियं देसं 264 हलिउविहु पदियहं घरिणीइसमाणियंमिन्नत्तं मिानियनोयणाज थेवं गहिऊणं कुण जिणपुर|६| अह अन्नया चिरा बुहानियस्स आगयं नत्तानस्किवश्जाव कवलं तासमर अत्तणोनियमं है उरिकत्तं पिहु कवलं ऊमत्ति मुत्तूण गहिय निवजो। जावलि जिणजवणे ताजं जायं तयं सुणह / सत्तपरिकाकामो हलियस्स पुरा हिवो सयं देवो। जिणलवणस्स ज्वारे चिसो सीहरूवेण३० चिंतश् हलियजुवाणो जिणपुर पिडिऊण तं सीहं / कह चुंजिस्स मदिन्ने नेवळे जिणवरिंदस्स: ता अऊ जिणपुर जीवियमरणं व होश्ता होज / अवस्स मए दायवं नेवऊं जिणवरिंदस्स // 3 // अवलंबिऊण सत्तं जह वच्चे जिणवरासन्ने। तह तह तुझो सीहो उवट्टई पछिमपएहिं // 33 // 6 *श्य कयनियचित्तोपविसजा जिणहरंमि सोधीरो। ता सहसा सो सीहोऊमत्ति असणीह नत्तिनरनिप्तरंगो नेवऊं जिणवरस्स दाऊणं / पुणरवि नमिऊण त समाग निययगणं मि 35 हलियस्स तस्स पासे नयरिनिवासी पुणोवि सो देवो। पत्तो नोयणसमए समाग समणरूवेण३६२ | १पिंडं। 2 य / 3 जद्द / 4 सुरकेणं / 5 जप्पय / 6 हियलिए देसे / थोवं / सुमर / ए नेवजो। 10 चलिन / 11 चि / 12 वच्च / 13 जिणवरासन्नं / 14 हट्टो। . ROOSISAARIS * c.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhakt

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