Book Title: Vijaychand Kevali Charitra
Author(s): Chandraprabh Mahattar
Publisher: Jain Dharm Prasarak Sabha
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________________ आशा |विहिउँ तह उवसग्गो कुक्केण सुरेण नयरलोयस्स। जय सहसविय नयरं सर्वपि निरुकसंचारिश श्राराहिऊण विहिणा तुरेण सुरेण पनणिराया।अन्नपएसे नयरं कुणसु तुमं होहिही खेमं 13/8 तस्स वयणेण एसा पुत्विं निवासिया नरिंदेण / जायं च त खेमं खेमपुरी तेण विकाया // 1 // तू नयरि निवासिय देवो सुन्ने रन्नंमि रिसहनवणं मि।देश न फुटपवेसं निवसइ सो सीहरूवेणं 15 है। एगो कोविजुवाणो फुस्सहदारिद्द कसंतत्तो। जिणहरपुर खित्तं पश्दियहं सो हलं वहश् 161 खेमपुर घरिणीए श्राणियं सामिणो य गेहाठ। जुंज अरसं विरसं घयतिबविवडियं नत्तं 27 7 अन्नदिणं मि नहार्ड चारणसमणं समागयं दई / रिसह जिणिंदं थोडं" उवविकं एगदेसंमि 20|| पाणंदबाहजलजरियबोयणो नत्तिनिप्परसरीरो। मुत्तूणं निययहलं तं वंदश् परम विनएणे 156 नयवं निसुणसु ऐयं फुलहं लहिऊण माणुसं जम्मं / किं जम्मा अहयं संजाउँ मुरिक निच्चं | नणि सो मुणिवश्णा जद्द तए परनवंमि नत्तीए।दिन्नं मुणिहिं न दाणं नय नेवऊं जिणिंदस्स 12 2 तेण तुमं श्ह जम्मे कहविहु संपत्तमाणुसे जम्मे।जा जोगविहूणो दीणो उहि दरिदो यश / सोऊण श्मं वयणं धरणियलनिहत्तमुत्तिमंगोया नणि तेण मुर्णिदो जयवं निसुणे( महवर्येणं 53 . ॥श्या 1 सहसच्चिय / 2 निरुवसंजायं / 3 आराहिएण। 4 होइ जह / 5 विनिवेसिया।६ नयरनिवासी। 7 नयरेवि। कोई। ए खित्ते / 10 खेमपुरा / 11 श्रुणे / 12 लोयणो। 13 विणएणं / 14 जणश्य जयवं निसुणेसु / 15 सुरकविहीणो। 16 निहिय उत्तमंगेण / * निक्षिप्तमस्तकेन / 17 निसुणेह / 10 मेवयणं / Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak. The

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